Tuesday, 3 December 2024

गर्भ में पल रहे बच्चों में मोतियाबिंद का खतरा, विशेषज्ञों ने सुझाए बचाव के उपाय

Cataract : आजकल बच्चों में विभिन्न गंभीर बीमारियों का बढ़ता हुआ प्रकोप समाज के लिए चिंता का विषय बन गया…

गर्भ में पल रहे बच्चों में मोतियाबिंद का खतरा, विशेषज्ञों ने सुझाए बचाव के उपाय

Cataract : आजकल बच्चों में विभिन्न गंभीर बीमारियों का बढ़ता हुआ प्रकोप समाज के लिए चिंता का विषय बन गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, ना केवल नवजात बच्चों को बल्कि गर्भ में पल रहे बच्चों को भी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं, जिनमें से एक है- मोतियाबिंद (Cataract)। टेक्नोलॉजी और चिकित्सा विज्ञान ने इन समस्याओं को पहचानने और उनका उपचार आसान बनाने के लिए कई उपाय किए हैं।

जागरूकता बढ़ाने के लिए सेमिनार का आयोजन

इस विषय पर जागरूकता बढ़ाने के लिए आगरा ओफ्थाल्मोलॉजिस्ट्स असोसियेशन के तत्वावधान में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार में मोतियाबिंद के उपचार के नवीनतम तरीकों पर गहन चर्चा की गई। देश के प्रमुख नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. पुरेन्द्र भसीन ने मोतियाबिंद के अत्याधुनिक उपचार और नई तकनीकों के बारे में जानकारी दी।

गर्भावस्था में मोतियाबिंद के लक्षण

डॉ. भसीन ने बताया कि अब गर्भावस्था के दौरान कुछ बच्चों में मोतियाबिंद के लक्षण सामने आ रहे हैं, जिन्हें समय रहते पहचानकर उनका इलाज किया जा सकता है। उन्होंने माता-पिता को सलाह दी कि यदि वे जल्दी लक्षण पहचानें और डॉक्टर से परामर्श लें, तो बच्चों में शुरुआती अवस्था में ही मोतियाबिंद का इलाज संभव है। इस दिशा में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर उन्होंने जोर दिया।

आधुनिक उपचार विधियां

सेमिनार में आधुनिक उपचार विधियों, विशेषकर ब्लेड-फ्री लेसिक तकनीक पर भी चर्चा की गई। डॉ. भसीन ने बताया कि इस तकनीक की मदद से बिना चश्मे के बेहतर दृष्टि प्राप्त करना संभव हो गया है। यह विधि मोतियाबिंद के इलाज में भी प्रभावी साबित हो रही है, जिससे मरीजों को बेहतर रिजल्ट्स मिल रहे हैं। इस सेमिनार में आगरा के लगभग 100 से अधिक डॉक्टरों ने भाग लिया। उन्होंने मोतियाबिंद के आधुनिक और उन्नत उपचारों पर चर्चा की। इस आयोजन ने नेत्र चिकित्सक समुदाय को नई तकनीकों और उपचारों के बारे में जानने का एक अनूठा अवसर प्रदान किया, जिससे वे अपने पेशेवर कौशल को और विकसित कर सकें।

जागरुकता का महत्व

SN मेडिकल कॉलेज की नेत्र रोग विभाग की प्रमुख डॉ. शेफाली मजूमदार ने कहा, “मोतियाबिंद के कई प्रकार होते हैं और यह आजकल बच्चों में भी कम उम्र में देखने को मिल रहा है। इसके उपचार के साथ-साथ जागरूकता फैलाने की भी जरूरत है। “उन्होंने इस सेमिनार का उद्देश्य बताते हुए कहा कि यह जूनियर डॉक्टरों को नई तकनीकों से अवगत कराने का एक महत्वपूर्ण मौका है। Cataract

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