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महिलाओं के प्रेग्नेंट न होने में महिलाओं से ज्यादा जिम्मेदार हैं पुरूष

Sperm count

अक्सर महिलाओं के प्रेग्नेंट न होने के लिए उन्हीं को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है, मगर रिपोर्ट्स में ये बात सामने आई है कि महिलाओं के प्रेग्नेंट न होने में महिलाओं से कहीं ज्यादा जिम्मेदार पुरुष होते हैं। भारत समेत दुनियाभर के कई देशों में ये रिपोर्ट्स सामने आई हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो पिछले 45 सालों में पुरुषों में स्पर्म काउंट आधे से भी ज्यादा कम हो गया है। ये रिपोर्ट्स ‘Human Reproduction Update’ के द्वारा जारी की गई है। इनके द्वारा जारी की गई रिपोर्ट्स में ये बात निकलकर आई है कि भारतीय मर्दों के स्पर्म्स काउंट (Sperm Count) में सबसे ज्यादा कमी पाई गई है।

Human Reproduction Update ने ये रिपोर्ट 15 नवंबर को एक जर्नल में जारी की है। इसके तहत अफ्रीका, एशिया, यूरोप, दक्षिणी अमेरिका, उत्तरी अमेरिका एवं ऑस्ट्रेलिया समेत 53 देशों को शामिल किया गया था। 53 देशों से लगभग 57,000 लोगों पर रिसर्च की गई थी। जिसमें यह सामने आया है कि पुरुषों का स्पर्म काउंट आधे से भी ज्यादा कम हुआ है। यह एक भारी चिंता का विषय है।

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स्पर्म काउंट (Sperm Count) कम होना चिंता का विषय इसलिए क्योंकि इसकी वजह से पुरूष बांझपन का शिकार हो सकते हैं। अक्सर महिलाओं को उनके प्रेग्नेंट न होने को लेकर दोषी ठहरा दिया जाता है। मगर पुरुषों के सीमन में स्पर्म काउंट में कमी आने की वजह से पुरूष बांझपन के शिकार हो सकते हैं। इसकी वजह से महिलाएं प्रेग्नेंट नहीं हो सकती है। हिब्रू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर का कहना है कि पिछले कुछ सालों में ‘ओलिगोस्पर्मिया’ के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। इसका मतलब यह हुआ कि बहुत तेज़ी से पुरुषों का स्पर्म काउंट कम हो रहा है। जिसका नतीजा ये हो रहा है कि पुरूष नपुंसकता के शिकार हो रहे हैं और बच्चे पैदा करने की क्षमता में कमी आ रही है।

● स्पर्म काउंट कम होने के क्या कारण हैं?

इसके पीछे बहुत सारे कारण हो सकते हैं। सबसे मुख्य कारण तो आजकल का खानपान ही है। इसके अलावा धूम्रपान, शराब आदि की वजह से स्पर्म्स में कमी आती है। इसके साथ ही पुरूष के सेक्स हार्मोन टेस्टोस्टेरोन के संतुलित न होने की वजह से भी स्पर्म काउंट में कमी देखने को मिलती है। वहीं अगर किसी पुरूष के प्राइवेट पार्ट में कोई बीमारी है तो भी स्पर्म काउंट (Sperm Count) कम हो जाता है।

इससे बचने के लिए खानपान को सुधारना होगा एवं एक हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाना होगा। साथ ही पेस्टीसाइड फ्री चीजों का इस्तेमाल करना होगा। अगर एक नॉर्मल स्पर्म काउंट की बात करें तो प्रति मिलीलीटर स्पर्म काउंट 1.5 करोड़ से लेकर 3.9 करोड़ होता है। वहीं जब स्पर्म काउंट में कमी आती है तो ये प्रति मिलीलीटर 1.5 करोड़ से कम हो जाता है।

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