विनय संकोची
Health: अनेक फूलों में सुंदरता और मनभावन सु गंध के साथ तमाम औषधीय गुण भी होते हैं। ऐसा ही एक फूल है – ‘गेंदा’, (‘Marigold flower’) जिसके औषधीय गुणों को आयुर्वेद में बहुत सम्मान दिया है। गेंदे के पौधे को लोग अपने घर की क्यारियों और गमलों में लगाते हैं और इसकी बड़े स्तर पर बाकायदा खेती भी होती है। गेंदा गले का हार भी बनता है, मंदिरों में पूजा अर्चना के काम भी आता है, इसकी पंखुड़ियों से फूलों की होली खेलने का आनंद भी लिया जाता है और यह अनेक प्रकार के रोगों से बचाव का माध्यम भी बनता है। गेंदा का वानस्पतिक नाम टैगटीज इरेक्टा है। तेज खुशबू वाले इस गुणकारी फूल/ पौधे को हिंदी में गेंदा, मखमली व गुल्तोरा, संस्कृत में गणेरुक व स्थूल, अंग्रेजी में मैरीगोल्ड, ओड़िया में गेंदु, कन्नड़ में चंदुमल्लिगे, गुजराती में गलगोटो, तमिल में कानकापुचटी, मराठी में रोजी, मखमली व जेंडु, मलयालम में चेंडूमल्ली और फारसी में गुलहजारा व काजेखूसा कहा जाता है।
गेंदे के फूल में कई एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो अनेक नेत्र रोगों में लाभदायक होते हैं। इस फूल से प्राकृतिक रंग भी बनाए जाते हैं। गेंदा का फूल शानदार सौंदर्य उत्पाद भी है, जो त्वचा को जवां बनाए रखने का काम करता है। इसमें मौजूद तत्व अल्सर और घाव को ठीक कर सकते हैं। गेंदे का इत्र भी बनाया ही जाता है।
आइए जानते हैं गेंदा फूल किन- किन रोगों में राहत पहुंचाने का काम कर सकता है।
• मिर्गी आने पर गेंदा फूल का रस निकालकर दो-दो बूंद नाक में डालने से लाभ होता है। इसके अतिरिक्त जैविक विधि से तैयार गेंदा की जड़ को पीसकर 3 ग्राम शहद के साथ सुबह-शाम लेने से रोग में आराम मिलता है।
• आज डिप्रेशन आम परेशानी बन चुका है। अवसाद की स्थिति में दो-तीन गेंदा फूल रात को पानी में डालकर सुबह उस पानी को सेवन करने से मन प्रसन्न में शांत रहने लगता है।
• कान में दर्द होने पर गेंदे के फूल या पत्तों का दो बूंद रस निकाल कर कान में डालने से आराम मिलता है।
• 30 मिलीलीटर गेंदे के पत्तों के रस में समान मात्रा में नारियल तेल और कपूर की दो टिकिया मिलाकर लगाने से दाद, खाज, खुजली में आराम मिल सकता है।
• गेंदा फूल आंखों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। नेत्र ज्योति बढ़ाने के लिए गेंदा फूल की कलियों को पीसकर आंखों के बाहर चारों ओर लगाना उपयोगी है। गेंदा की चाय पीने से भी लाभ होता है।
• गेंदे के फूल में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण मौजूद होता है, इसीलिए गेंदे के अर्क अथवा गेंदे के तेल से जोड़ों पर मालिश करने से अर्थराइटिस के दर्द से छुटकारा मिल सकता है।
• गेंदे की थोड़ी- सी पत्तियों को पानी में उबालकर ठंडा करके कुल्ला करने से दांत में दांत के दर्द में आराम मिलता है।
• घाव पर गेंदे के फूल का रस लगाने से घाव जल्दी भर जाता है, क्योंकि गेंदे के फूल में त्वचा के नए ऊतकों और नई रक्त वाहिकाओं के विकास को बढ़ावा देने का गुण होता है।
• गेंदे का फूल तैलीय त्वचा वालों के लिए बहुत काम की चीज है। गेंदे के कुछ ताजा फूलों को पानी में उबालकर ठंडा करके त्वचा पर लगाकर 15 मिनट बाद साफ पानी से धो लेने से तेलीय त्वचा वालों को बहुत लाभ मिल सकता है।
• गेंदा फूल के तेल से चेहरे की मसाज करने से झुर्रियां और मुहांसों से छुटकारा मिल सकता है।
• गेंदे के फूलों को सुखाकर और उसके बीज निकालकर उनमें थोड़ी मिश्री मिलाकर सेवन करने से नपुंसकता दूर हो सकती है।
• एक चम्मच सूखे हुए गेंदे के फूल में एक चम्मच मिश्री डालकर खाने से अस्थमा और खांसी में आराम मिलता है।
• गेंदे की पत्तियों के रस में थोड़ा-सा काली मिर्च चूर्ण और एक चुटकी नमक मिलाकर पीने से बवासीर में राहत मिल सकती है।
जरूरी बात : गेंदे से त्वचा पर एलर्जी हो सकती है। इसका अधिक उपयोग फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकता है। गेंदा पीरियड्स को अनियंत्रित कर सकता है। गेंदे का उपयोग/ प्रयोग गर्भवती (Pregnant)और स्तनपान (Lactating) कराने वाली महिलाओं को नहीं करना चाहिए।
विशेष : यहां गेंदा के गुण और उपयोग के बारे में विशुद्ध सामान्य जानकारी दी गई है। यह सामान्य जानकारी चिकित्सकीय परामर्श का विकल्प नहीं है। इसलिए हम किसी उपाय अथवा जानकारी की सफलता का दावा नहीं करते हैं। रोग विशेष के उपचार में गेंदा को औषधि रूप में अपनाने से पूर्व योग्य आयुर्वेदाचार्य से परामर्श अत्यंत आवश्यक है।