Health : रैशेज की प्रॉब्लम से छूटकारा पाने के लिए स्किन के हिसाब से चुने सैनेट्री पैड
महिलाएं हर महीने पीरियड्स के दर्द भरे दौर से गुजरती हैं। यह एक नेचुरल प्रॉसेस है। इस प्रक्रिया में महिलाओं…
Sonia Khanna | November 10, 2021 11:34 PM
महिलाएं हर महीने पीरियड्स के दर्द भरे दौर से गुजरती हैं। यह एक नेचुरल प्रॉसेस है। इस प्रक्रिया में महिलाओं के शरीर का दूषित खून बाहर निकल जाता है। पीरियड्स के दौरान महिलाएं ब्लड क्लॉटिंग को सोखने के लिए सैनेटरी पैड और टैम्पोन का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन इन चीजों के गलत इस्तेमाल के कारण महिलाओं को गुप्तांगों में खुजली, सूजन और लाल चकत्तों जैसी परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। कभी-कभी ये परेशानियां वेजाइनल इंफेक्शन का रूप धारण कर सकती हैं। इससे बचने के लिए हमें पैड के इस्तेमाल को लेकर कुछ विशेष बातों का ख्याल रखना चाहिए।
सैनिटेशन का सही तरीका चुनें
अपने पीरियड पैटर्न के हिसाब से सही सैनिटरी नैपकिन का चयन करें। आप अपनी ज़रूरत के हिसाब से अलग-अलग दिनों और जगहों पर अलग-अलग सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल भी कर सकती हैं। ज्य़ादातर स्त्रियों को शुरुआती दिनों में तेज़ और बाद के दिनों में हलका फ्लो होता है। अगर आपके साथ भी ऐसा ही है तो शुरुआती दिनों में लॉन्ग व एक्सट्रा एब्ज़ॉर्पशन वाला और कम फ्लो वाले दिनों में सामान्य नैपकिन इस्तेमाल करें।
सैनिटरी पैड का चयन
एक अच्छे सैनिटरी पैड की खासियत यह है कि उसमें कम समय में ज्य़ादा से ज्य़ादा नमी सोखने की क्षमता होती है। अवशोषित नमी को पैड के सेंट्रल कोर में लॉक हो जाना चाहिए। ऐसा होने पर तेज़ फ्लो होने पर (जैसे, बैठने की मुद्रा में) भी लीकेज की आशंका कम हो जाती है।
आम तौर पर पीरियड्स के शुरुआती दिनों में ब्लड फ्लो ज्य़ादा तेज़ होता है। इसलिए इस दौरान ज़रूरत होती है एक ऐसे सैनिटरी नैपकिन की जो ब्लड फ्लो को तेज़ी से सोख सके। सैनिटरी पैड्स को दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है- डे पैड्स व नाइट पैड्स। जहां डे पैड्स 17 से 25 सेंटीमीटर तक लंबे होते हैं, वहीं नाइट पैड्स 35 सेंटीमीटर या इससे भी अधिक लंबाई वाले होते हैं। पैड जितना अधिक लंबा होता है, उतना अधिक लिक्विड सोखता है।
ज्य़ादातर सैनिटरी नैपकिंस या तो कॉटन से बने होते हैं, या फिर पीवीसी मेश मटीरियल से। हर स्त्री की त्वचा और उसकी संवेदनशीलता अलग-अलग होती है। कुछ को सॉफ्ट टच सूट करता है तो कुछ को नेटेड लेयर। सैनिटरी नैपकिन के मटीरियल का चयन करते वक़्त ध्यान रखें कि वह ब्रीदेबल हो।
क्लीनिंग मेकैनिज़्म
वजाइना का अपना क्लीनिंग मेकैनिज़्म होता है जो बैड व गुड बैक्टीरिया के बीच बैलेंस बनाकर रखता है। इसे साबुन से धोने पर यहां के गुड बैक्टीरिया खत्म हो सकते हैं जिससे इन्फेक्शन की आशंका बढ़ सकती है। इसलिए वजाइनल एरिया को वॉश करने के लिए सिर्फ गुनगुना पानी ही इस्तेमाल करें। अगर किसी साबुन या इंटीमेट वॉश का इस्तेमाल कर भी रही हैं, तो बाहरी हिस्से में ही करें, अंदरूनी हिस्से में नहीं।
एंटीसेप्टिक ऑइंटमेंट
पैड रैशेज से बचाव ज़रूरी है। अकसर हेवी फ्लो के दिनों में यह समस्या हो जाती है। ऐसा तब होता है जब पैड लंबे समय तक गीला रहता है और त्वचा से रगड़ खाता रहता है। ऐसा न हो, इसके लिए पीरियड्स के दौरान नियमित तौर पर पैड्स बदलें और जेनिटल एरिया ड्राय रखने की कोशिश करें। इसके बावजूद रैशेज़ होने पर सोने से पहले और नहाने के बाद वजाइनल एरिया में एंटीसेप्टिक ऑइंटमेंट लगाएं।
मेडिकेटेड पाउडर का इस्तेमाल
इससे रैशेज हील होंगे और उनसे बचाव भी होगा। लेकिन अगर रैशेज़ की समस्या बहुत अधिक बढ़ जाए तो किसी गायनिकोलॉजिस्ट को दिखाएं। डॉक्टर की सलाह लेकर आप पीरियड्स के दौरान जेनिटल एरिया को ड्राय और इन्फेक्शन मुक्त रखने के लिए मेडिकेटेड पाउडर का इस्तेमाल भी कर सकती हैं।
गायिनोलॉजिस्ट डॉ. चंचल शर्मा से बातचीत पर आधारित