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Health Update : डराने वाली रिसर्च, भारत में तेजी से पांव पसार रहा लंग्स कैंसर

Health Update: Scaring research, Lungs cancer spreading rapidly in India

Health Update: Scaring research, Lungs cancer spreading rapidly in India

Health Update :

सैय्यद अबू साद

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Health Update : चेतना मंच हेल्थ डेस्क। कैंसर एक बेहद खतरनाक बीमारी है। ये न सिर्फ किसी मरीज का जीवन नर्क जैसा बना देती है, बल्कि उनके साथ जुड़े लोगों के लिए भी परेशानी का सबब बनती है। इसके इलाज में व्यक्ति न सिर्फ अपनी जीवनभर की कमाई को लुटा देता है, बल्कि अधिकतर मामलों में जीवन को बचा पाने में भी नाकाम रहता है। कैंसर एक ऐसी बीमारी जो काफी घातक है, जिसका नाम ही दहशत फैलाने के लिए काफी है। यह सरकार व हेल्थ एक्सपर्ट के लिए गंभीर चिंता का विष है क्योंकि ये बहुत तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रही है। पिछले कुछ वर्षों में देश में कैंसर के इलाज के बेहतर इंतजाम हुए हैं, लेकिन चुनौती ये है कि कैंसर के मरीजों की तादाद कहीं ज्यादा बढ़ गई है। कैंसर के रूप अलग-अलग हैं, लेकिन देश में लंग्स यानी फेफड़ों का कैंसर तेजी से पैर पसार रहा है। न सिर्फ दुनिया में बल्कि भारत में लंग्स कैंसर से मरने वाले मरीजों की तादाद बहुत अधिक है। यहां तक कि इलाज में प्रगति के बावजूद लंग्स कैंसर के मरीजों की मौत के आंकड़े में ज्यादा कमी नहीं आई। एक रिसर्च के मुताबिक लंग्स कैंसर के मरीजों में सबसे ज्यादा कम आयु वर्ग के लोग शामिल हैं। इसलिए जरूरी है कि इस जानलेवा बीमारी को लेकर अधिक से अधिक सावधानी बरती जाए।

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सबसे बड़ी संख्या लंग्स कैंसर की
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कैंसर के मामलों और उससे होने वाली मौतों का डेटा एकत्र करने वाली संस्था ग्लोबल कैंसर ऑबसर्वेटरी यानी ग्लोबोकॉन का सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कैंसर से होने वाली मौत के मामलों में सबसे बड़ी संख्या लंग्स कैंसर के मरीजों की है और पिछले कुछ वर्षों में इस बीमारी से मरने वालों की संख्या में मामूली कमी आई है। लेकिन लंग्स कैंसर के मरीजों में आश्यर्चजनक रूप से बढ़ोत्तरी हुई है। दुनियाभर में हुए सर्वे में सबसे ज्यादा लंग्स कैंसर के मरीज भारत में निकलकर सामने आए हैं। उससे भी ज्यादा आश्चर्य की बात है कि इसमें युवाओं की संख्या सर्वाधिक है।

युवाओं में तेजी से बढ़ रहा लंग्स कैंसर
यकीनन ये तस्वीर चिंता पैदा करने वाली है, लेकिन नए रिसर्च में लंग्स कैंसर के कुछ ऐसे पहलू भी सामने आए हैं, जिन पर गौर करना जरूरी है। ग्लोबोकॉन का सर्वे की रिपोर्ट के बाद हाल ही मेदांता अस्पताल की एक टीम ने लंग्स कैंसर के मरीजों पर रिसर्च किया, जिसमे चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं। सर्वे में रोगियों में अपेक्षाकृत कम आयु वर्ग के लोगों की संख्या ज्यादा मिली। रोगियों में लगभग 20 प्रतिशत की आयु 50 वर्ष से कम पाई गई और 10 प्रतिशत की आयु 40 साल से कम थी। हैरानी की बात है कि करीब 50 फीसदी रोगी नॉन स्मोकर्स यानी धूम्रपान नहीं करने वाले लोग थे और 30 साल से कम उम्र के सभी रोगी नॉन स्मोकर्स थे।

धूम्रपान नहीं है लंग कैंसर की बड़ी वजह
आमतौर पर धूम्रपान को लंग्स कैंसर की बड़ी वजह माना जाता है, लेकिन मेदांता अस्पताल की रिसर्च बताती है कि लंग्स कैंसर न सिर्फ कम उम्र के लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है बल्कि उनकी तादाद ज्यादा है, जो धूम्रपान नहीं करते। मेदांता अस्पताल की टीम ने इस सर्वे के लिए 2012 से 2022 यानी एक दशक के दौरान इलाज के लिए आए मरीजों का विश्लेषण किया। उनकी जीवन शैली और रहन सहन के साथ उम्र और लिंग का भी आकलन किया गया। इसके बाद डॉक्टरों को कुछ हैरान करने वाले नतीजे मिले। पुरुष और महिला दोनों में फेफड़ों के कैंसर की वृद्धि पाई गई। हालांकि बीमारी होने और मौत की दर पुरुषों में ज्यादा है। महिलाओं में ये बीमारी बढ़ी है लेकिन संख्या कुल रोगियों का 30 प्रतिशत है। देखने वाली बात है कि ये सभी महिलाएं नॉन स्मोकर्स पाई गईं। वहीं इसमें अधिकतर पुरुष ऐसे थे, जो धुम्रपान नहीं करते थे।

भारत में बढ़ रही लंग्स कैंसर की रफ्तार
डॉक्टरों के मुताबिक भारत में लंग्स कैंसर का प्रसार पश्चिमी देशों की तुलना में बाद में हुआ, लेकिन अब भारत में इसकी रफ्तार बहुत तेज हो चुकी है। रिसर्च के मुताबिक समस्या ये है कि 80 प्रतिशत से अधिक लोगों में बीमारी का पता एडवांस्ड स्टेज में चला यानी तब जब उनका पूरा इलाज नहीं किया जा सकता था। रिसर्च से सामने आया कि करीब 30 फीसदी मामलों में रोगी की बीमारी की सही पहचान नहीं हुई और टीबी की बीमारी समझकर कई महीनों तक उसका इलाज किया गया। इसलिए कैंसर का इलाज ही नहीं हो पाया यानी जरूरी है कि लंग्स कैंसर के खतरे को गंभीरता से लिया जाए। इसे लेकर लोगों को जागरूक किया जाए।

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