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Instant Home Remedies for Constipation : मात्र 10 दाने लें और पाएं कब्ज से छुटकारा

Instant Home Remedies for Constipation: Take only 10 grains and get rid of constipation

Instant Home Remedies for Constipation: Take only 10 grains and get rid of constipation

Instant Home Remedies for Constipation : सब जानते हैं कि पेट ही सारी बीमारियों की जड़ है। यदि किसी का पेट खराब रहता है तो समझ लीजिए कि उसे दर्जनों बीमारी या तो हो चुकी हैं। या होने वाली हैं। पेट की खराबी का सबसे बड़ा कारण Constipation यानि कब्ज का होना है। हम आज आपको बताते हैं कब्ज का बेहद आसान ईलाज। यह ईलाज प्रसिद्ध चिकित्सक डा. अजीत मेहता ने हम तक पहुंचाया है।

Instant Home Remedies for Constipation :

कब्ज का घरेलू ईलाज
डा. अजीत मेहता बताते हैं कि हमारी रसोई में ही कब्ज का ईलाज मौजूद है। आपको बस इतना करना है कि कब्ज होने पर रात्रि सोते समय दस-बारह मुनक्के (पानी से अच्छी तरह धोकर साफ कर बीज निकाल कर) दूध में उबाल कर खाएँ और ऊपर से वही दूध पी लें। प्रात: खुलकर शौच लगेगा। भयंकर कब्ज़ में तीन दिन लगातार लें और बाद में आवश्यकतानुसार कभी-कभी लें।
विकल्प –  त्रिफला चूर्ण चार ग्राम (एक चम्मच भर) 200 ग्राम हल्के गर्म दूध अथवा गर्म पानी के साथ रात्रि सोते समय लेने से कब्ज दूर होता है।

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ईसबगोल की भूसी : दस ग्राम (दो चम्मच) ईसबगोल की भूसी छ: घंटे पानी में भिगोकर इतनी ही मिश्री मिलाकर रात सोते समय जल के साथ लेने से दस्त साफ आता है। इसे केवल पानी के साथ वैसे ही बिना भिगोये ही रात्रि सोते समय लिया जा सकता है। ईसबगोल की भूसी पाँच से दस ग्राम की मात्रा में 200 ग्राम गर्म दूध में भिगो दें। यह फूलकर गाढ़ी हो जायेगी। इसे चीनी मिलाकर खाएँ और ऊपर से थोड़ा गर्म दूध पी लें। शाम को इसे लें तो प्रात: मल बँधा हुआ साफ आ जाएगा।

विशेष :- कब्ज में 1-2 चम्मच ईसबगोल की भूसी का प्रतिदिन रात सोते समय पानी में भिगोकर भी प्रयोग किया जा सकता है अथवा इसे गर्म पानी या दूध के साथ भी लिया जा सकता है। दस्तों और पेचिश में इसका ताजे दही अथवा छाछ के साथ सेवन किया जाता है। इस प्रकार कब्ज में पानी या दूध के साथ और दस्तों और पेचिश में दही के साथ इसका प्रयोग किया जाता है। पेट के रोगों के लिए यह निर्दोष और श्रेष्ठ दवा है। यह दस्त, पेचिश और कब्ज की प्रसिद्ध और निरापद औषधि है और बालक से लेकर वृद्ध तक सभी को बिना किसी हानि या दुष्परिणाम की आशंका से निसंकोच दी जा सकती है। यह आंतों के मार्ग को चिकना बनाती है और आंतों में फूलकर मल को ठीक प्रकार से बाहर निकालने में सहायता देती है। अपचन के कारण आँव बनने की शिकायत में निरन्तर लम्बे समय तक सेवन करने का परामर्श दिया जाता है क्योंकि इसके नियमित प्रयोग से अन्य विरेचक औषधियों की भाँति शरीर में अन्य प्रकार के विकार (side effects ) नहीं होते।

 हानि रहित जुलाब- एरण्ड का तेल अवस्थानुसार एक से पाँच चम्मच की मात्रा एक कप गर्म पानी या दूध में मिलाकर रात सात समय पीने से कब्ज दूर होकर दस्त साफ आता है।

विशेष— वयस्कों को सामान्यतया दो-चार चम्मच एरण्ड का तेल लेना और नवजात शिशु को एक छोटा चम्मच लेना पर्याप्त रहता है। कठिन कब्ज वालों को आठ चम्मच तक एरण्ड का तेल लेना पड़ सकता है और अन्य को केवल तीस बूँदों से ही पाखाना आ जाता है।
एरण्ड का तेल बहुत ही अच्छा हानि रहित जुलाब है। इसे छोटे बच्चे को भी दिया जा सकता है और दूध के विकार से पेट दर्द तथा उल्टी होने की अवस्था में भी इसका प्रयोग बहुत हितकारी होता है। इससे अमाशय और आंतों को किसी प्रकार की हानि नहीं होती। इसलिए हर प्रकार के रोगी को इसे बिना किसी हिचक के दिया जा सकता है। इसका प्रयोग कब्ज, बवासीर, आँव के अतिरिक्त आँखों की बीमारियों और खुजली आदि चर्म रोगों में भी हितकारी है।

पुराना अथवा बिगड़ा हुआ कब्ज – दो संतरों का रस खाली पेट प्रात: आठ-दस दिन लगातार पीने से ठीक हो जाता है। संतरों के रस में नमक, मसाला या बर्फ न लें। रस लेने के बाद एक-दो घंटे तक कुछ न लें।

कब्ज में पथ्य- गेहूँ (दो भाग) और चना (एक भाग) को मिलाकर बनाई गई मिस्सी रोटी, मोटे आटे की रोटी, चोकरयुक्त आटे की रोटी, चोकर की खीर दलिया, भुने हुए चने, पालक या पालक का सूप, बथुआ, मैथी, टमाटर, संपूर्ण नेड़ायुक्त गाजर, कच्चा प्याज, सलाद, पुदीना, पपीता, चीकू, अमरूद, आँवला संतरा, ताजे फलों का रस, नींबू पानी, देशी घी, मक्खन, दूध, दूध के साथ भिगो हुई मुनक्का, खजूर या अंजीर, रेशेदार (fibre, छिलका, भूसायुक्त) पदार्थ आदि उपरोक्त हितकारी आहार के साथ-साथ यदि निम्नलिखित कब्जनाश सप्त नियम पालन किये जाए तो कब्ज में आश्चर्यजनक और स्थायी लाभ प्राप्त किया जा सकता है। भोजन में आग पर पके हुए पदार्थों की मात्रा में कुछ कमी करके उसके स्थान पर हरे ताजे मौसमी फल सब्जियाँ, अंकुरित अन्न आदि प्राकृतिक आहार की मात्रा में वृद्धि करना। भोजन करते समय प्रत्येक ग्रास को खूब चबा-चबाकर खाना।  पहले से अधिक पानी पीना। उषा: पान अर्थात प्रात: उठते ही खाली पेट रात में तांबे के बर्तन या मटके में रखा हुआ पानी पीना। खाने के तुरन्त बाद पानी न पीकर भोजन करने के एक घंटे बाद पानी पीना। योगासन अथवा 4-5 किलोमीटर का पैदल भ्रमण। शाम को भोजन सूर्य अस्त होने से पहले करना ।

कब्ज में अपथ्य — मैदा तथा मैदे की बनी वस्तुएँ, तले हुए पदार्थ अधिक मिर्च मसाले वाले पदार्थ, बाजारू चाट-पकौडिय़ाँ, मिठाइयाँ, कोकाकोला जैसे मिलावटी पानी, केला, सौंठ, शराब, काफी, चाय, मांस, मछली, अण्डे, रात देर का खाना, खाने के तुरन्त बाद फ्रिज का पानी पीना, लगातार देर तक बैठे रहने की आदत आदि।

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