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Mansoon Health Special : में स्टमक फ्लू (Stomach Flu) का खतरा, पड़ सकते हैं गंभीर बीमार

Monsoon Ailments

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Mansoon Health Special :

 

सैय्यद अबू साद

Mansoon Health Special : मानसून के इस मौसम में सभी लोगों को सेहत को लेकर विशेष सावधानी बरतते रहने की सलाह दी जाती है। बरसात के दिनों में जलजमाव और गंदगी के कारण जहां कई प्रकार की संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, वहीं खान-पान में होने वाली गड़बड़ी के कारण स्टमक फ्लू होने का जोखिम भी अधिक रहता है। आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर ये स्टमक फ्लू क्या होता है। आपने फ्लू, सर्दी, खांसी और जुकाम के बारे में सुना होगा, जो कि हमारे श्वसन मार्ग और गले से जुड़े संक्रमण होते हैं। उसी तरह स्टमक फ्लू भी एक प्रकार का इन्फेक्शन है, जो पेट में होता है। मेडिकल भाषा में इसको गैस्ट्रोएंटेराइटिस भी कहा जाता है, जो कि एक गंभीर समस्या हो सकती है। पेट में हल्का-हल्का दर्द होना या फिर पाचन क्रिया खराब हो जाना स्टमक फ्लू का पहला लक्षण होता है और इसे अक्सर इग्नोर कर दिया जाता है। यही कारण है कि इस बीमारी का समय रहते इलाज नहीं हो पाता है और और स्थिति गंभीर होने लगती है। समय रहते स्टमक फ्लू का इलाज न किया जाए तो यह एक गंभीर बीमारी का रूप ले सकता है।

Mansoon Health Special :

 

आखिर क्या होता है स्टमक फ्लू
नोरोवायरस, रोटावायरस, एस्ट्रोवायरस आदि वायरस अक्सर दूषित खाने या फिर पानी में पाए जाते हैं। ये वायरस खाने या पानी के साथ शरीर में घुस जाते हैं और संक्रमण फैलाना शुरू कर देते हैं। इसका बच्चों से लेकर बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरोधक तंत्र वाले लोगों को खतरा ज्यादा होता है। संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने या दूषित भोजन-पानी का सेवन करने के कारण यह दिक्कत हो सकती है। बच्चों और बुजुर्गों के साथ कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में इसका जोखिम अधिक होता है। बारिश के दिनों में इस तरह की समस्याओं से बचाव करते रहना बहुत आवश्यक माना जाता है। स्टमक फ्लू में रोगी पेट में ऐंठन, दस्त और उल्टी जैसी शिकायत करता है। स्टमक फ्लू से प्रभावित व्यक्ति को दस्त भी हो सकते हैं।

बारिश के दिनों में बढ़ जाता है खतरा
आमतौर पर बारिश के मौसम में स्टमक फ्लू, गैस्ट्रोएंटेराइटिस या पेट संबंधी अन्य समस्याओं का खतरा अधिक हो सकता है। इसका सबसे पहला कारण आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता की खराबी होती है और दूसरा, मानसून के दौरान खान-पान को लेकर बरती गई असावधानियों को माना जाता है। भोजन के रखरखाव में गड़बड़ी, फलों-सब्जियों को अच्छे से साफ किए बिना उनका सेवन करने या अधपका-बासी भोजन करने के कारण स्टमक फ्लू हो सकता है। चूंकि बरसात के दिनों में इसके वायरस तेजी से बढ़ते हैं इसलिए नम मौसम में इस प्रकार के रोग अधिक देखे जाते रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इन मौसम में होने वाली गर्मी, उमस और नमी इस बीमारी के जीवाणुओं को पनपने के लिए अनुकूल माहौल देती है। इस मौसम में फल, सब्जियां और यहां तक कि पका हुआ खाना भी जल्द खराब हो जाता है। वहीं, मक्खी, मच्छर भी इन जीवाणुओं को एक जगह से दूसरी जगह ले जाते हैं।

ये लक्षण हैं, तो सतर्क हो जाएं

▪ पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द
पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द होना आमतौर पर स्टमक फ्लू का सबसे आम लक्षण माना जाता है। यह दर्द आमतौर पर छाती के ठीक निचले हिस्से में होता है। अगर आपको पेट में दर्द के साथ-साथ उसी हिस्से में ऐंठन भी महसूस हो रही है, तो यह संकेत देता है कि संक्रमण गंभीर हो चुका है। आपको इस दर्द की पहचान करनी होगी कि यह आम पेट दर्द नहीं है और जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना होगा।

▪ जी मिचलाना और उल्टी आना
यदि आप सही डाइट ले रहे हैं और हेल्दी लाइफस्टाइल में जी रही है, तो ऐसे में उल्टी आना या जी मिचलाना असाधारण संकेत हो सकता है। वैसे तो उल्टी आना या जी मिचलाना कई बार पाचन से जुड़ी कोई समस्या भी हो सकती है। लेकिन अगर आपको दो दिन से ये दिक्कत हो रही है या फिर इसके साथ अन्य लक्षण भी महसूस हो रहे हैं, तो डॉक्टर से संपर्क कर लेना चाहिए।

▪ दस्त लगना
स्टमक फ्लू के मामलों में दस्त लगने जैसी समस्याएं होना काफी आम हैं, लेकिन कई बार खराब पाचन या फिर आंतों से जुड़ी बीमारियों के कारण भी दस्त लगने जैसी समस्याएं होने लगती हैं। दस्त किसी भी कारण से हो अगर इसका समय रहते इलाज न किया जाए तो यह डिहाइड्रेशन जैसी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है।

▪ हल्का बुखार रहना
अगर आपको उपरोक्त लक्षणों के साथ हल्का बुखार भी महसूस हो रहा है, तो यह स्पष्ट रूप से संक्रमण का ही संकेत देता है। ऐसे में आपको जल्द से जल्द डॉक्टर से बात कर लेनी चाहिए। हालांकि, ऐसा जरूरी नहीं है कि बुखार होना सीधा स्टमक फ्लू का ही संकेत है, लेकिन डॉक्टर जांच के बाद ही इसकी पुष्टि कर सकते हैं।

कैसे करें स्टमक फ्लू से बचाव
स्टमक फ्लू का जल्द से जल्द इलाज करना जरूरी है। सबसे पहले डॉक्टर लक्षणों की जांच करके और जरूरत पड़ने पर कुछ टेस्ट करके यह पता लगाते हैं कि आपको स्टमक फ्लू है या कोई और बीमारी। स्टमक फ्लू की पुष्टि होने के बाद इसका इलाज शुरू किया जाता है। स्टमक फ्लू के इलाज में दवाओं के साथ-साथ लाइफस्टाइल और डाइट में भी कुछ जरूरी बदलाव किए जाते हैं। इसके इलाज में इस्तेमाल की जा रही दवाओं में आमतौर पर एंटीबायोटिक, एंटीपायरेटिक और लक्षणों के अनुसार दी जाने वाली पेनकिलर आदि शामिल हैं।

मानसून के मौसम में खासतौर पर ताजा फलों का जूस, नींबू पानी, सत्तू, ओआरएस आदि जैसी चीजों का सेवन करें। मास्क लगाकर बाहर निकलें। लक्षणों के ज़्यादा गंभीर होने का इंतजार न करें, शुरुआत में ही डॉक्टर को दिखाएं। डॉक्टर बताते हैं कि स्टमक फ्लू से बचाव के लिए सबसे आवश्यक है कि आप खान-पान की स्वच्छता को लेकर सावधानी बरतें। विशेषतौर पर इस मौसम में सब्जी-फलों को अच्छे तरीके से धोकर ही इनका सेवन किया जाना चाहिए। अपने हाथों को अच्छे से धोएं और सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे भी ऐसा करें। हाथों के माध्यम से भी बैक्टीरिया के पेट में पहुंचने का खतरा अधिक रहता है। जिन लोगों में यह संक्रमण हो, ऐसे किसी भी व्यक्ति के निकट संपर्क से बचें।

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इनका करें कम से कम सेवन

गैस्ट्रोएंटेराइटिस या पेट संबंधी अन्य समस्याओं से बचाव के लिए क्या खाएं और क्या न खाएं इस बात का ध्यान रखना बहुत आवश्यक हो जाता है। बारिश के दिनों में किन चीजों का सेवन कम से कम किया जाना चाहिए।

▪ एडेड शुगर वाले फलों के जूस
▪ कार्बाेनेटेड या कैफीन युक्त पेय
▪ तले हुए खाद्य पदार्थ
▪ बाजार से लाकर तुंरत फलों-सब्जियों का सेवन न करें
▪ अशुद्ध पानी बिल्कुल न पिएं। पानी को पहले उबालें और फिर इसे ठंडा करके ही पीना चाहिए

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