Friday, 17 May 2024

कुत्ते के काटने से फैल सकता है रेबीज़, जानिए कितनी खतरनाक है ये बीमारी ?

Rabies Syndrome : भारत में  रेबीज़ बहुत से मामले देखने को मिलते है एवं विश्व में रेबीज़ से होने वाली…

कुत्ते के काटने से फैल सकता है रेबीज़, जानिए कितनी खतरनाक है ये बीमारी ?

Rabies Syndrome : भारत में  रेबीज़ बहुत से मामले देखने को मिलते है एवं विश्व में रेबीज़ से होने वाली कुल मौतों में 36 प्रतिशत मौत भारत में होती है। रेबीज़ से प्रत्येक वर्ष 18 हजार से 20 हजार लोगों की मौत हो जाती है। भारत में रिपोर्ट किये गए रेबीज़ के लगभग 30-60 प्रतिशत मामले एवं मौतों में 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे शामिल हैं, क्योंकि बच्चों में काटने के निशान को अक्सर पहचाना नहीं जाता एवं रिपोर्ट नहीं किया जाता है।
भारत में मानव रेबीज़ के लगभग 97 प्रतिशत मामलों के लिये कुत्ते ज़िम्मेदार हैं, इसके बाद बिल्लियाँ (2 प्रतिशत), गीदड़, नेवले एवं अन्य (1 प्रतिशत) हैं। यह रोग पूरे देश में स्थानिक है।

Rabies Syndrome – रेबीज क्या है ?

रेबीज एक बीमारी है जो कि रेबीज नामक विषाणु से होते है। यह मुख्य रूप से पशुओं की बीमारी है लेकिन संक्रमित पशुओं द्वारा मनुष्यों में भी हो जाती यह विषाणु संक्रमित पशुओं के लार में रहता है। जब कोई पशु मनुष्य को काट लेता है यह विषाणु मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाता है। यह भी बहुत मुमकिन होता है कि संक्रमित लार से किसी की आँख, मुहँ या खुले घाव से संक्रमण होता है। इस बीमारी के लक्षण मनुष्यों में कई महीनों से लेकर कई वर्षों तक में दिखाई देते हैं, लेकिन साधारणतः मनुष्यों में ये लक्षण 1 से 3 महीनों में दिखाई देते हैं।

रेबीज कैसे फैलता है ?
रेबीज से संक्रमित जानवर के काटने से रेबीज का संक्रमण फैलता है। ज्यादातर मामलों में मनुष्यों में यह बीमारी कुत्ते के काटने या खरोंचने से भी होती है।

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रेबीज बीमारी के मुख्य लक्षण क्या होते हैं ?
रेबीज बीमारी के लक्षण संक्रमित पशुओं के काटने के बाद या कुछ दिनों में लक्षण प्रकट होने लगते हैं लेकिन अधिकतर मामलों में रोग के लक्षण प्रकट होने में कई दिनों से लेकर कई वर्षों तक लग जाते हैं। रेबीज बीमारी का एक खास लक्षण यह है कि जहाँ पर पशु काटते हैं उस जगह की मांसपेशियों में सनसनाहट की भावना पैदा हो जाती है। विषाणु के रोगों के शरीर में पहुँचने के बाद विषाणु नसों द्वारा मष्तिक में पहुँच जाते हैं और निम्नलिखित लक्षण दिखाई देने लगते हैं जैसे-

दर्द होना
थकावट महसूस करना।
सिरदर्द होना।
बुखार आना।
मांसपेशियों में जकड़न होना।
घूमना-फिरना ज्यादा हो जाता है।
चिड़चिड़ा होना था उग्र स्वाभाव होना।
व्याकुल होना।
अजोबो-गरीबो विचार आना।
कमजोरी होना तथा लकवा हों।
लार व आंसुओं का बनना ज्यादा हो जाता है।
तेज रौशनी, आवाज से चिड़न होने लगते हैं।
बोलने में बड़ी तकलीफ होती है।
अचानक आक्रमण का धावा बोलना।

जब संक्रमण बहुत अधिक हो जाता है और नसों तक पहुँच जाता है तो निम्न लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं जैसे –

सभी चीजों/वस्तुएं आदि दो दिखाई देने लगती हैं।
मुंह की मांसपेशियों को घुमाने में परेशानी होने लगती है।
शरीर के मध्यभाग या उदर को वक्ष:स्थल से अलग निकाली पेशी का घुमान विचित्र प्रकार का होने लगता है।
लार ज्यादा बनने लगी है और मुंह में झाग बनने लगते हैं।

रेबीज किन किन जानवरों से फैलता है ?

रेबीज बीमारी कुत्तों, बंदरों और बिल्लियों के काटने पर इंसानों में फैलती है। आमतौर पर कुत्तों के काटने पर इंसानों में यह बीमारी फैलती है।

Rabies Syndrome – रेबीज का क्या इलाज है ?

एक बार संक्रमण पकड़ में आने के बाद रेबीज का कोई इलाज नहीं है। हालांकि कुछ लोग जीवित रहने में कामयाब रहे हैं, बीमारी आमतौर पर मृत्यु में परिणत होती है। अगर आपको लगता है कि आप रेबीज के संपर्क में आ गए हैं, तो आपको बीमारी को घातक बनने से रोकने के लिए कई टीके लगवाने चाहिए।

जिन लोगों के घर में पालतू जानवर या कुत्ते है, वो क्या सावधानी रखें ?

किसी भी जानवर को पालने के लिए सबसे जरूरी होता है उसका खानपान और उसको दिया जाने वाला माहौल। ताकि आपका पालतू जानवर किसी को अपना शिकार न बनाये।

वैक्सीनेशन

किसी भी जानवर को पालने के बाद पहला और सबसे जरूरी काम वैक्सीनेशन है, ताकि घर में रहने वाले किसी सदस्य या बाहर से आने वाले किसी इंसान के साथ खेलते हुए गलती से या जानबूझकर काटने से कोई गंभीर समस्या न हो। अगर आपके पालतू जानवर का वैक्सीनेशन प्रॉपर समय से होता है तो आप रैबीज जैसी बीमारी से लगभग निश्चिन्त हो सकते हैं।

कुत्ता काट ले तो क्या करना चाहिए?

जब भी कुत्ता काटे तो सबसे पहले उस जगह को धो लेना चाहिए। इसके लिए डिटर्जेंट साबुन जैसे कि रिन या सर्फ एक्सेल साबुन से इसे अच्छी तरह धो लें। अगर जख्म बहुत गहरा है तो इस जगह पर पहले साबुन से धोएं और उसके बाद बिटाडिन मलहम लगा लें। इससे रैबीज वायरस का असर थोड़ा कम हो जाता है, लेकिन इसे अच्छी तरह से क्लीन करना जरूरी है। इसके साथ ही कुत्ते काटने पर रेबीज का वैक्सीन, एंटीबाडीज़,एवं टेटनस का इंजेक्शन लगवाना चाहिए।

कब लगवाएं इंजेक्शन

24 घंटे के अंदर आपको रैबीज का वैक्सीन एवं इसकी 4-5 डोज़ का पूरा कोर्स करना चाहिए। आमतौर पर कुत्ते काटने के बाद 5 इंजेक्शन लगाने की जरूरत पड़ती है। इसके लिए पहला शॉट 24 घंटे के अंदर लगना चाहिए। इसके बाद तीसरे दिन, सांतवें दिन, 14 वें दिन और अंत में 28वें दिन में लगता है। 48 घंटे के अंदर काटे हुए शरीर के भाग पे immunoglobulin देना चाहिए। समय पर इंजेक्शन न देने पर कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

कुत्ते के काटने पर क्या नहीं करना चाहिए ?

ध्यान रखें कि कुत्ता काटने के बाद घाव पर पट्टी नहीं बांधनी चाहिए। घाव पर तेल, हल्दी या किसी घरेलु चीज़ को लगाने से बचें। घाव को धोने के बाद तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। ताकि डॉक्टर इसकी गंभीरता के आधार पर इलाज कर सके।

Rabies Syndrome – कुत्ते के काटने का प्राथमिक उपचार

डॉक्टर कहते हैं, कुत्ते के काटने के बाद शीघ्रता से इसके लिए प्राथमिक उपचार लेना चाहिए। यदि काटे हुए जगह पर घाव नहीं है तो उस हिस्से को गर्म पानी और साबुन से धो लें। आप एहतियात के तौर पर जीवाणुरोधी लोशन भी लगा सकते हैं। यदि काटने के बाद वहां जख्म है तो उस हिस्से को धोने के बाद कोई एंटीसेप्टिक लगाएं और तुरंत रेबीज के इंजेक्शन के लिए अस्पताल जाएं।

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