मुंबई- हैदराबाद की रहने वाली एक 24 वर्षीय युवती मुंबई नौकरी के लिए आई। यहां इस युवती को एक ऐसी बीमारी लगी, जिसके चलते वह साफ सफाई में इतनी मशगूल हो जाती कि खाना-पीना तक भूल जाती। डॉक्टरों के मुताबिक इस युवती को ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (OCD) हो गया है। अब डॉक्टरों ने यूपी के डीप ब्रेन स्टिमुलेशन के जरिए इलाज करने की बात की है, जिसके लिए युवती के पिता ने मुंबई हाईकोर्ट से परमिशन मांगी है।
क्या है ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (OCD) जिसके इलाज के लिए कोर्ट के आदेश की आवश्यकता –
OCD को एक दिमागी बीमारी के रूप में जाना जाता है। लगातार स्ट्रेस में रहने से या स्ट्रेस से फ्री न हो पाने की वजह से कोई भी शख्स ओसीडी का शिकार हो सकता है। ये किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकती है। अगर इसके शुरुआती लक्षणों की बात करें तो इसके शुरुआती लक्षण बाकी साइकोलॉजिकल बीमारियों की तरह ही लगते हैं। इसके मुख्यतः दो रूप होते हैं। एक होता है ऑब्सेशन का हिस्सा। और दूसरा होता है कंपल्सिव पार्ट। चलिए इसको जान लेते हैं।
ऑब्सेशन पार्ट- ऑब्सेशन पार्ट में ये होता है कि ओसीडी पेशेंट खुद को दूसरों से कम समझने लगता है और अपने विचारों पर उसका कोई कंट्रोल ही नहीं होता है। पेशेंट खुद पर शक करने लगता है और हमेशा बेचैनी बनी रहती है।
कंपल्सिव पार्ट- इस पार्ट में पेशेंट हर चीज़ में परफेक्शन चाहता है। हर काम को परफेक्ट वे में खत्म करना चाहता है और अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो इंसान खुद को घृणा की भावना से देखने लगता है। पेशेंट इसमें परफेक्शन पाने के लिए कुछ भी कर सकता है और किसी भी हद तक जा सकता है।
इन फैक्टर्स पर निर्भर करती है ओसीडी:-
ओसीडी। मूलतः दो फैक्टर पर निर्भर करती है-
व्यक्ति की लाइफस्टाइल पर- व्यक्ति की लाइफस्टाइल कैसी है ओसीडी इस पर निर्भर करता है। अगर व्यक्ति को लगातार स्ट्रेस की अनुभूति हो रही है तो वो चीजों को परफेक्ट करने में इतना मशरूफ हो जाएगा कि जब तक वो परफेक्ट नहीं कर लेगा चीज़ों को तब तक बेचैन ही रहेगा।
बीमारी के लेवल पर- शरीर में डोपामाइन नाम का एक हार्मोन होता है। ये हॉर्मोन खुशी के लिए जाना जाता है। जब कोई भी काम कोई व्यक्ति पूरा कर लेता है तो डोपामाइन रिलीज होता है और खुशी का एहसास होने लगता है। लेकिन बार- बार डोपामाइन से मिलने वाली खुशी की वजह से इंसान कंपल्सिव होने लगता है और ओसीडी का लेवल बढ़ने लगता है।
ओसीडी साइकिल होती है सबसे ज्यादा खतरनाक:-
जब भी कोई काम परफेक्ट नहीं हो पाता है या काम पूरा नहीं हो पाता है तो ओसीडी पर्सन (OCD Person) का ओसीडी ब्रेन उसे हारा हुआ महसूस करता है और उसे ये एहसास दिलाने की कोशिश करता है, वो दुनिया में सबसे कमजोर व्यक्ति है और उससे कुछ भी नहीं हो सकता है। इसमें अक्सर लोग ज्यादा सफाई करते है और अगर गलती से भी कहीं गंदगी रह जाती है तो डोपामाइन का लेवल कम हो जाता है और व्यक्ति परेशान होने लगते हैं। डोपामाइन को वापस पाने के लिए दिमाग पहले से और भी ज्यादा काम करना चाहता है। कभी- कभी तो बेवजह के काम को पूरा करने के लिए भी लोग परेशान हो जाते हैं और सब काम धाम छोड़कर बस वही फिजूल का काम करने लगते हैं। ऐसे में जब लगातार ओसीडी की ये साइकिल चलती रहती है तो व्यक्ति के ब्रेन की संरचना बिगड़ने लगती है।
Health : दुर्लभ बीमारी ‘जीएनबी1 इन्सेफेलोपैथी’ की दवा खोज रहे अनुसंधानकर्ता