Monday, 14 October 2024

World Diabetes Day : डायबिटिक रेटिनोपैथी से आंखों को गंभीर खतरा

World Diabetes Day : नोएडा। लगभग 10-12 साल तक अनियंत्रित किस्म के डायबिटीज से पीड़ित 3 में से एक मरीज…

World Diabetes Day : डायबिटिक रेटिनोपैथी से आंखों को गंभीर खतरा

World Diabetes Day : नोएडा। लगभग 10-12 साल तक अनियंत्रित किस्म के डायबिटीज से पीड़ित 3 में से एक मरीज डायबिटिक रेटोनोपैथी का शिकार हो जाता है। अगर समय पर इसका उपचार ना किया जाए तो मरीज की आंखों को गहरी क्षति हो सकती है और वो हमेशा के लिए देखने की क्षमता तक गंवा सकता है। भारत में मोतियाबिंद और ग्लूकोमा के बाद नेत्रहीनता का तीसरा सबसे बड़ा कारण है डायबिटिक रेटोनोपैथी।

ज्यादातर भारतीयों को इस बात का अंदाजा तक नहीं है कि डायबिटीज से किसी तरह से उनकी आंखें भी क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। इस बारे में बात करते हुए नोएडा स्थित आईकेयर आई हॉस्पिटल के डॉ. सौरभ चौधरी ने कहा कि लोगों को इस संबंध में जागृत करने और उनकी धारणाओं को बदले जाने की सख्त आवश्यकता है।

World Diabetes Day:

हॉस्पिटल के सीईओ डॉ. सौरभ चौधरी कहते हैं कि हाल ही में किये गये एक सर्वे के मुताबिक 63 फीसदी लोग इस बात से अनभिज्ञ हैं कि डायबिटीज के चलते उनकी देखने की क्षमता को गहरा नुकसान हो सकता है। इतना ही नहीं, भारत में 93 प्रतिशत लोग तभी किसी ऑप्थलमॉलॉजिस्ट या नेत्र विशेषज्ञ के पास जाते हैं, जब उन्हें आंखों से संबंधित किसी तरह की कोई समस्या होती है, मगर तब तक आंखों को गहरी क्षति हो चुकी होती है और फिर ऐसे में मरीजों का इलाज कर उन्हें ठीक करना बहुत मुश्किल साबित होता है। नियमित रूप से आंखों के परीक्षण के चलते डायबिटीज से प्रभावित होने वाली आंखों की वस्तु स्थिति बारे में पहले ही पता लगाना संभव होता है। फिर भले ही मरीज को किसी तरह के लक्षण हो या ना हों।

डॉ. चौधरी कहते हैं कि डायबिटिक रेटोनोपैथी के मरीजों को ड्राइविंग, पठन-पाठन और अन्य तरह के काम करने के दौरान देखने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जांच के जरिए पहले ही बीमारी का पता लगा लेने, शुगर लेवल को नियंत्रण में रखने और लेसर ट्रीटमेंट के जरिए मरीजों की देखने की क्षमता को उम्रभर के लिए सुरक्षित किया जा सकता है। यह बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि आर्थिक रूप से सक्षम वर्ग के ज्यादातर मरीज ना तो आंखों का परीक्षण कराते हैं और ना ही डायबिटीज संबंधी जांच कराने में वो कोई रूचि लेते हैं। इनमें से ज्यादातर लोग इलाज के लिए अस्पताल में तब पहुंचते हैं, जब उनकी बीमारी बेहद एडवांस स्टेज में पहुंच चुकी होती है। ऐसे में मरीजों का इलाज करना किसी भी बड़ी चुनौती से कम नहीं होता है।

दुनियाभर के 95 मिलियन यानि 9.5 करोड़ व्यस्क डायबिटिक रेटिनोपैथी से पीड़ित हैं। इनमें से 80 फीसदी लोगों को ठीक से दिखाई नहीं देने के कारण ड्राइविंग, पठन-पाठन अथवा किसी अन्य तरह का काम के दौरान मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। डायबिटिक रेटिनोपैथी के अलावा डायबिटीज की वजह से आंखों में शुष्कता और मोतियाबिंद होने के आसार भी बढ़ जाते हैं। डॉक्टरों के मुताबिक डायबिटीज के मरीजों को 50-55 साल की उम्र में मोतियाबिंद होने की आशंका रहती है। जबकि बिना डायबिटीज वाले लोगों को इसके 10 साल बाद ही मोतियाबंद होने की आशंका रहती है।

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