Monday, 14 October 2024

World Heart Day 2021: पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में है हार्ट अटैक का ज्यादा खतरा

नई दिल्ली। कहते हैं कि जान है तो जहान है। लेकिन आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम इस कदर…

World Heart Day 2021: पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में है हार्ट अटैक का ज्यादा खतरा

नई दिल्ली। कहते हैं कि जान है तो जहान है। लेकिन आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम इस कदर उलझ कर रह गए हैं कि शादय हम इस फलसफे को भूल गये हैं और जहान के चक्कर में कुदरत ने हमें जो ये खूबसूरत जान बख्शी है उसकी ओर से मुंह मोड़ते चले जा रहे हैं जिसका खामियाजा हमें ही भुगतना पड़ रहा है। जब-जब इंसान ने कुदरत द्वारा बख्शी नियामतों से खिलवाड़ किया है तब-तब कुदरत ने हमें दुगनी ताकत से इसका जवाब भी दिया है। आज हम जीवन को सुधारने के लिए जिस तरह अपने आप को भूलते जा रहे हैं उसी का परिणाम है कि आज मानव जाति अनगिनत बीमारियों की गिरफ्त में जकड़ती जा रही है। वैसे तो तमाम ऐसी बीमारिया हैं जिससे मानव असमय काल के गाल में समा रहा है लेकिन उसमें हृदय रोग से संबंधित बीमारियों से होने वाली मौतों का आंकड़ा सबसे ऊपर है। इसका खुलासा डब्ल्यूएचओ (WHO) अपनी रिपोर्ट में भी कर चुका है। अनुसंधानकर्ताओं द्वारा किए गए अनेक अनुसंधानों से ये बात भी सामने आई है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं दिल की बीमारी(Heart Attack) से ज्यादा पीड़ित होती हैं।

दिल हमारे शरीर का बेहद महत्वपूर्ण अंग होता है और इसकी सेहत का ध्यान रखना हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। लेकिन ऐसा करने में हम शायद नाकाम हो रहे हैं। कुछ समय से कम उम्र के लोगों में भी दिल के दौरे या कार्डियक अरेस्ट से मौत के मामले बढ़े हैं। यही वजह है कि दिल के प्रति सजग रहने के लिए हर साल 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस (World Heart Day) मनाया जाता है। कोरोना महामारी के दौरान दिल के मरीजों में भी बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा गलत लाइफस्टाइल यानी ऊटपटांग खानपान की आदतें और व्यायाम की कमी से भी दिल से जुड़ी बीमारियां बढ़ रही हैं। आइए जानें इस बारे में एक्सपर्ट्स का क्या कहना है।

पंचकुला पारस हॉस्पिटल के कार्डिएक साइंस के चेयरमैन डॉ. हरिंदर के. बाली का कहना है कि, विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) के अनुसार दुनियाभर में स्ट्रोक और इस्केमिक हार्ट बीमारी से होने वाली 1/4 मौतें भारत में होती हैं, जिनमें से अधिकतर मामलों में शिकार युवा होते हैं। हृदय रोग भारतीयों को उनके पश्चिमी समकक्षों की तुलना में एक दशक पहले प्रभावित करते हैं और हर साल लगभग 30 लाख लोग स्ट्रोक और दिल के दौरे से मर जाते हैं। सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि जिन लोगों को दिल का दौरा पड़ता है उनमें से चालीस प्रतिशत 55 वर्ष से कम उम्र के होते हैं। युवा वयस्कों में धूम्रपान की बढ़ती आदत, नींद की कमी, डायबिटीज, ज्यादा तनाव, शराब के अधिक सेवन से दिल की समस्याएं हो सकती हैं। नशीली दवाओं के दुरुपयोग, असुरक्षित और अनावश्यक सप्लीमेंट का सेवन, बहुत ज्यादा एक्सरसाइज और स्लिमिंग दवाइयां खाने से भी दिल की बीमारियां होती हैं। पिछले 26 सालों में भारत में दिल की बीमारी से होने वाली मौतों की घटनाओं में 34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसलिए इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए और देश में हार्ट की बीमारी के बोझ को कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का समय आ गया है।

पुरुषों के मुकाबले महिलाएं हो रहीं ज्यादा शिकार :
जिंदल नेचर क्योर इंस्टीट्यूट, बेंगलुरु के सीएमओ डॉ. जी प्रकाश ने युवाओें में बढ़ती दिल की समस्या के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि, ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज के अनुसार भारत में सभी मौतों में से लगभग एक चौथाई (24.8 प्रतिशत) मौत कार्डियोवैस्कुलर (सीवीडी) के कारण होती हैं। इसके अलावा हार्ट की बीमारी से पीड़ित महिलाओं की लगातार बढ़ती संख्या चिंता का विषय बना हुआ है। उन्होंने बताया कि सीवीडी के कारण पुरुषों की तुलना में ज्यादा महिलाएं सालाना अपनी जान गवांती हैं। सीवीडी आमतौर पर कम शारीरिक गतिविधि, धूम्रपान, शराब के उपयोग और कम फल और सब्जी के सेवन से होती है। प्रीवेंटिव केयर पर ध्यान देने से प्राकृतिक चिकित्सा का उद्देश्य विभिन्न पर्यावरणीय, शारीरिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक फैक्टर पर विचार करके सीवीडी को जड़ से खत्म करना है। प्राकृतिक चिकित्सा का मरीज केंद्रित दृष्टिकोण क्रोनिक हार्ट की बीमारी के इलाज के लिए अनुकूलित, नॉन- इनवेसिव और बिना दवा वाले इलाज पर केंद्रित होता है। रिसर्च से साबित हुआ है कि इलाज के तौर-तरीके, जब लाइफस्टाइल और डाइट बदलाव साथ में जुड़े होते हैं, सीवीडी को रोकने में मदद करते हैं, और जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार करते हैं।

इन बीमारियों से बढ़ता है जोखिम : पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम के कार्डियोलॉजी एसोसियेट डायरेक्टर डॉ. अमित भूषण शर्मा ने बताया कि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार भारत में 2016 में नॉन-कम्यूनिकेबल बीमारी के कारण 63 प्रतिशत मौतें हुई हैं जिनमें से 27 प्रतिशत मौतें हार्ट की बीमारी यानि कि सीवीडी के कारण हुईं। इसके अलावा हार्ट की बीमारी से होने वाली मौतों की संख्या 2021 में 4.77 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है, पहले यह संख्या 1990 में 2.26 मिलियन थी। महामारी के कारण लाइफस्टाइम में आए बदलाव के कारण यह अनुमान लगाया गया है कि आने वाले समय में हार्ट की बीमारी में और वृद्धि होगी। दिल की बीमारी के जोखिम वाले फैक्टर हाई ब्लड प्रेशर, लिपिड, ग्लूकोज के साथ-साथ ज्यादा वजन और मोटापा हैं।

Read This Also-

World Heart Day: कैसे रखें अपने हृदय का ख्याल

Related Post