वाइवैक्स मलेरिया को सामान्य सीजनल बीमारी के रूप मे लेने के मिथ से पर्दा हट गया है। बच्चों में यह ना सिर्फ खतरनाक हो गया है, बल्कि असामान्य जटिलताएं पैदा कर रहा है।ऐसे बच्चों में एक्यूट लिवर फेल्योर, न्यूरोलॉजिकल सिंड्रोम, स्ट्रोक और ऑप्टिक न्यूराइटिस जैसी दिक्कते पैदा होने लगी है। गंभीर वाइवैक्स संक्रमण मासूमों को कोमा में भी धकेल रहा है।
World Malaria Day 2023
इसका खुलासा जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग की स्टडी में किया गया है। मलेरिया ग्रसित 214 बच्चों को लिया गया। उनकी उम्र 1 महीने से 18 साल रही। तीन साल तक चली रिसर्च में मलेरिया टेस्ट के बाद विभाजन किया गया। इसमे वाइवैक्स, 71 फैल्सीपेरम और 34 बच्चे मिक्स मलेरिया के डायग्नोस किये गये। सारा फोकस सिर्फ वाइवैक्स मलेरिया पर किया गया। पाया गया कि वाइवैक्स को अभी तक अनुकूलनिय रोग माना जाता रहा है। लेकिन, ये बच्चों को गंभीर बनाने लगा है। सात साल के बच्चे को वाइवैक्स मलेरिया डायग्नोस हुआ, लेकिन दोनों आंखों में उसका विजन बुखार के दो दिन में जाने लगा तो उसके टेस्ट करायें गये, जिसमे ऑप्टिक न्यूराइटिस की पुष्टि हो गई। एक हफ्ते के बाद उसका विजन सुधरा पर डैमेज तो हो गया।
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12 साल की बच्ची में न्यूरो समस्या सामने आने लगी तो उसके टेस्ट कराये गये, जिसमें पोस्ट मलेरिया न्यूरोलजिकल सिंड्रोम सामने आया। बुखार के बाद ऐसी जटिलता में बच्ची को तीन महीने रिकवरी में लग गये।
परिणाम :
रिजल्ट के मुताबिक वाइवैक्स के शिकार 58 यानी 27 फीसदी बच्चों मे असामान्य जटिलताएं मिली हैं। 11 बच्चों में एक्यूट लिवर फेल्योर ने डॉक्टरों तक को हैरान कर दिया। बच्चों की जिंदगी बचाने के लिये उन्हें एक महीने तक अस्पताल मे भर्ती रखना पड़ा। अमूमन फैल्सीपेरम मलेरिया मे गंभीर जटिलताएं आती हैं, लेकिन वाइवैक्स और मिक्स में भी 10 बच्चों में न्यूरोलाजिकल सिंड्रोम तो तीन को स्ट्रोक और 12 मे ऑप्टिक न्यूराइटिस यानी ऑप्टिक नर्व मे सूजन मिली।
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लक्षण :
रोग के जटिल रूप में, प्रारंभिक गैर-विशिष्ट लक्षण दिखाई देते हैं, जिसमें ठंड के साथ बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द (मायलगिया), मतली, उल्टी, भूख में कमी और आर्थ्राल्जिया (जोड़ों का दर्द) शामिल हैं।
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मच्छर पर स्थाई बजट :
मच्छर हर घर के लिये बड़ा सिरदर्द सबित हो गया है। इसकी रोकथाम के लिये हर घर का अलग बजट है। फिर भी सीजन में मच्छर जनित बीमारियां खास कर डेंगू परेशान करता है। मलेरिया उन्मूलन के प्रयास और विभिन्न अभियानों पर सालाना होने वाला खर्च 20 लाख है, पर मलेरिया विभाग के पास सिर्फ 1.5 लाख सालाना बजट है। हर घर मे मच्छरों का अलग से बजट है। सर्वे मे सामने आया की बीते पांच सालों में चार सदस्यों वाले घर में रैकेट, मच्छरदानी, क्वाइल, लिक्विड और स्प्रे पर महीने का बजट एक हजार पार कर गया है।
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