Argentina Trip : 1968 में इंदिरा गांधी की ऐतिहासिक यात्रा के बाद, पहली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री अर्जेंटीना की धरती पर कदम रख रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह दौरा सिर्फ एक प्रतीकात्मक कूटनीतिक कदम नहीं, बल्कि 44,000 करोड़ रुपये से अधिक के द्विपक्षीय व्यापार, ऊर्जा सुरक्षा, रणनीतिक खनिजों और रक्षा सहयोग को नई दिशा देने वाला पड़ाव है। यह यात्रा ब्राजील में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से ठीक पहले हो रही है और इसे मोदी सरकार की “ग्लोबल साउथ” की ओर बढ़ती रणनीतिक पकड़ के तौर पर भी देखा जा रहा है।
ऊर्जा और खनिजों की खोज में भारत की नजर अर्जेंटीना पर
भारत और अर्जेंटीना के बीच सहयोग का सबसे अहम पहलू रणनीतिक खनिज, खासकर लिथियम और कॉपर हैं। अर्जेंटीना, चिली और बोलीविया के साथ लिथियम त्रिकोण का हिस्सा है, जो वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) और हरित ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला में निर्णायक भूमिका निभाता है। भारतीय सरकारी कंपनी खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड (केबिल) पहले ही अर्जेंटीना के कैटामार्का प्रांत में लिथियम अन्वेषण की मंजूरी हासिल कर चुकी है और इस यात्रा के दौरान और अधिक समझौते संभव हैं। इसके अलावा, शेल गैस और एलएनजी में अर्जेंटीना की क्षमताएं भारत को ऊर्जा स्रोतों में विविधता का अवसर दे रही हैं। खासकर जब खाड़ी क्षेत्र में सप्लाई अनिश्चित होती जा रही है।
बदलते व्यापारिक समीकरण : खाद्य तेल से आगे बढ़ा रिश्ता
भारत और अर्जेंटीना का पारंपरिक व्यापार सोयाबीन तेल और कृषि उत्पादों पर आधारित रहा है। लेकिन अब परिदृश्य बदल रहा है।
2024 में द्विपक्षीय व्यापार 5.2 बिलियन डॉलर को पार कर चुका है, और 2025 के शुरुआती महीनों में ही 2 बिलियन डॉलर से ज्यादा का व्यापार हो चुका है। भारत फार्मा, आईटी, हेल्थकेयर और आॅटोमोबाइल सेक्टर में अर्जेंटीना को बड़ा निर्यातक बनना चाहता है, वहीं अर्जेंटीना भारत के दूध, अनाज, फल और सब्जियों के बाजार में प्रवेश की उम्मीद कर रहा है। दोनों देशों ने व्यापार असंतुलन को कम करने और बाजार पहुंच को संतुलित करने की प्रतिबद्धता भी जताई है।
रक्षा और अंतरिक्ष में नई साझेदारी की जमीन तैयार
मोदी की यात्रा के दौरान रक्षा क्षेत्र में सहयोग की संभावना को लेकर भी चचार्एं तेज हैं। अर्जेंटीना ने भारत में निर्मित तेजस हल्के लड़ाकू विमान में रुचि दिखाई है। संभावित समझौतों में संयुक्त प्रशिक्षण, को-प्रोडक्शन, और तकनीकी हस्तांतरण जैसे पहलुओं पर चर्चा हो सकती है। इसके अलावा, डिजिटल गवर्नेंस, टेलीमेडिसिन और स्पेस टेक्नोलॉजी में भी दोनों देशों के बीच सहयोग के रास्ते खुल सकते हैं। इसरो और अर्जेंटीना की स्पेस एजेंसी पहले से सहयोग में हैं और इस यात्रा से उनके रिश्तों को औपचारिक विस्तार मिलने की संभावना है।
निवेश का नया क्षितिज
वर्तमान में 1.2 बिलियन डॉलर से अधिक के भारतीय निवेश अर्जेंटीना में मौजूद हैं, जिसमें कई कंपनियां शामिल हैं।
वहीं भारत में अर्जेंटीना का निवेश करीब 120 मिलियन डॉलर है, जिसमें दिग्गज फर्मों की मौजूदगी दर्ज है। नई दिल्ली, ब्रिक्स और मकोर्सुर जैसे मंचों पर दक्षिण अमेरिका के साथ “साउथ-साउथ” सहयोग को मजबूत करने के प्रयास कर रही है। अर्जेंटीना, जो अब राष्ट्रपति जेवियर माइली के नेतृत्व में पश्चिम से परे साझेदारियों को खुला मन दे रहा है, भारत की रणनीतिक सोच में एक अहम स्तंभ बनता जा रहा है। 57 साल के अंतराल के बाद भारत और अर्जेंटीना के संबंध परंपरा, संभावनाओं और प्राथमिकताओं के नए दौर में प्रवेश कर रहे हैं। यह यात्रा ऊर्जा, अर्थव्यवस्था और वैश्विक रणनीतिक समीकरणों को लेकर भारत की दृष्टि और दिशा दोनों को दर्शाती है।
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