Bangladesh me Uthapatak : इन दिनों भारत के पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में उठा पटक का दौर चल रहा है। इसलिए जब वहां का कोई बड़ा नेता कहीं आता जाता है या कोई बयान देता है तो सबकी निगाह उस पर चली जाती है। इस समय शेख हसीना जो निर्वासित जीवन बिता रही हैं, उनकी दुश्मन नंबर एक पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया मंगलवार को इलाज करवाने के नाम पर लंदन रवाना हो गईं। हालांकि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) का कहना है कि उनकी नेता की यात्रा मेडिकल कारणों से हो रही है और इसके राजनीतिक मायने निकालने का मतलब ही नहीं है। जबकि सच्चाई यह है कि जब मुल्क में राजनीतिक उथल पुथल का दौर चल रहा है ऐसे में जिया की विदेश यात्रा खुद ही कई सवाल खड़ी करती है। यह सबसे अहम बात यह है कि बांग्लादेश की राजनीति पर कई दशकों तक हावी रहीं दो शीर्ष नेता अब विदेश में हैं।
एअर एंबुलेंस से लंदन गईं हैं जिया
एक विशेष घटनाक्रम में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया मंगलवार देर रात अपने इलाज के लिए एयर एंबुलेंस से लंदन रवाना हुईं। उनके सलाहकार जहीरुद्दीन स्वपन ने बताया कि जिया बीती देर रात हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से एयर एंबुलेंस से लंदन के लिए रवाना हुई हैं। खास बात यह है कि कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद बिन खलीफा अल थानी ने उनके लिए विशेष एयर एंबुलेंस भेजी थी। खालिदा जिया के डॉक्टरों के अनुसार, उन्हें लीवर सिरोसिस, दिल की बीमारी और किडनी से संबंधित समस्या है। जिसके इलाज के लिए उनका लंदन जाना जरूरी था और वे किसी और कारण से नहीं इलाज के लिए ही लंदन गई हैं।
खालिदा जिया को शेख हसीना सरकार में 17 साल की सजा मिली
दोनों नेताओं में अदावत बहुत पुरानी है। खालिदा जिया को अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के शासन के दौरान भ्रष्टाचार के दो मामलों के कारण 17 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। भ्रष्टाचार के ये दोनों कथित मामले उस वक्त के थे जब जिया 2001-2006 के दौरान प्रधानमंत्री थीं। हालांकि उनके समर्थकों का दावा है कि आरोप राजनीति से प्रेरित थे। अब जब छात्र आंदोलन के बाद स्थितियां बदली और स्थित इतनी बदतर हो गई कि सेख हसीना को देश छोड़कर भारत में शरण लेना पड़ा। इसके बाद नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया जो फिलहाल देश का सत्ता संभाल रही है। यूनुस के शासन में, जिया को नवंबर में एक मामले में बरी कर दिया गया था, और दूसरे मामले की अपील पर सुनवाई हो रही है। ऐसे में अचानक खालिदा जिया का विदेश जाना एक अलग ही संकेत दे रहा है।
बांग्लादेश में कट्टरवादी ताकतें कुछ नया करने की जुगत में
बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के वजूद में आने के बाद से देश में कट्टरवादी ताकतों को मजबूती मिली है। अल्पसंख्यक समुदायों और उनके धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया जा रहा है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार इस वर्ष दिसंबर में या 2026 की पहली छमाही में चुनाव कराने की योजना बना रही है। जिया और हसीना के देश में नहीं होने का सबसे अधिक असर उनकी पार्टियों की चुनावी तैयारियों पर पड़ेगा। क्या बांग्लादेश में घोर सांप्रदायिक युग के दौर में पुरानी पार्टियां प्रासंगिक बन गई हैं। राजनीतिक रूप से संवेदनशील समय में दो पूर्व पीएम का देश में नहीं होना क्या इस बात का संकेत है कि बांग्लादेश अब नए राजनीतिक युग में प्रवेश कर रहा है। पुरानी पार्टियों के लिए आने वाला दौर काफी चुनौतिपूर्ण साबित हो सकता है। दूसरी ओर यूनुस सरकार भी इस्लामाबाद के साथ लगातार संबंध सुधारने में लगी हुई है। इस पूरे घटनाक्रम को देखते हुए ऐसा नहीं लगता है कि वहां की अंतरिम सरकार कुछ नया गुल खिलाने के चक्कर में पड़ी हुई है।
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