Sunday, 20 April 2025

इजराइल ने दो ब्रिटिश सांसदों को हिरासत में लिया, बदलते समीकरण का संकेत

Britain and Israel : ब्रिटेन और इजराइल के रिश्तों की जड़ें 1948 से शुरू हुई हैं, जब ब्रिटेन ने फिलिस्तीन…

इजराइल ने दो ब्रिटिश सांसदों को हिरासत में लिया, बदलते समीकरण का संकेत

Britain and Israel : ब्रिटेन और इजराइल के रिश्तों की जड़ें 1948 से शुरू हुई हैं, जब ब्रिटेन ने फिलिस्तीन क्षेत्र से हटने की घोषणा की थी और इजराइल एक स्वतंत्र राष्ट्र बना। हालांकि शुरुआत में दोनों देशों के रिश्ते अस्थिर थे, लेकिन समय के साथ विशेषकर सुरक्षा, खुफिया सहयोग और व्यापार के मोर्चे पर दोनों देशों ने मजबूत संबंध बनाए। ब्रिटेन हमेशा से इजराइल का एक प्रमुख यूरोपीय सहयोगी रहा है। परंतु गाजा संघर्ष के दौरान ब्रिटेन के अंदर से उठी आवाजें, विशेषकर मानवाधिकार और युद्धविराम की मांग इजराइल को पसंद नहीं आईं।

ब्रिटेन की नीति : युद्धविराम और मानवीय समर्थन पर जोर

ब्रिटिश संसद में कई सांसद गाजा में मानवीय संकट पर लगातार आवाज उठा रहे हैं। लेबर पार्टी के भीतर फिलिस्तीन के समर्थन में कई सांसद सक्रिय रहे हैं, जिनमें हिरासत में लिए गए युआन यांग और अब्तिसाम मोहम्मद शामिल हैं। दोनों सांसद गाजा में मानवीय सहायता को लेकर प्रत्यक्ष जानकारी लेने के मकसद से इजराइल गए थे। वे गाजा सीमा के पास स्थित शरणार्थी कैंप और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से मिलने वाले थे। लेकिन उन्हें इजराइली एयरपोर्ट पर ही रोक दिया गया, पूछताछ की गई और फिर देश से बाहर भेज दिया गया।

इजराइल का रुख : ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ की दलील

इजराइल ने अब तक आधिकारिक तौर पर इस मामले पर ज्यादा टिप्पणी नहीं की है, लेकिन गृह मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने इशारा किया कि ये सांसद गाजा पर इजराइल की कार्रवाई की खुली आलोचना कर चुके हैं। कथित रूप से इजराइल-विरोधी गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों और समूहों से मिलने वाले थे। ऐसे हालात में राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे का हवाला देते हुए उन्हें एंट्री से रोका गया।

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया

ब्रिटेन में सांसदों ने इसे ‘लोकतंत्र पर हमला’ बताया। लेबर पार्टी और लिबरल डेमोक्रेट्स ने संसद में मामला उठाने की घोषणा की है। मानवाधिकार संगठनों और मुस्लिम समुदायों ने इजराइल के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। इजराइल में सरकार के समर्थकों ने इस निर्णय का स्वागत किया, यह कहते हुए कि कोई भी जो हमारी संप्रभुता और सुरक्षा को चुनौती देगा, उसे रोका जाएगा।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ता दबाव

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद पहले ही गाजा में नागरिक मौतों पर चिंता जता चुकी है। यह घटना उस दबाव को और बढ़ा सकती है कि इजराइल पारदर्शिता और जवाबदेही दिखाए। यूरोपीय यूनियन के कुछ सदस्य देश इस घटना को लेकर संयुक्त बयान पर विचार कर रहे हैं। अमेरिका ने अभी तक इस पर कोई सीधी टिप्पणी नहीं की है, लेकिन ब्रिटेन की प्रतिक्रिया के बाद वाशिंगटन पर भी नैतिक दबाव बन रहा है कि वह अपनी स्थिति स्पष्ट करे।

अंतरराष्ट्रीय कूटनीति पर प्रभाव

ब्रिटेन-इजराइल कूटनीतिक समीकरणों में दरार आएगी। यह घटना लंबे समय के सहयोग में अविश्वास का बीज बो सकती है। यूरोप में फिलिस्तीन समर्थन को बल मिलेगा। यह घटना यूरोपीय संसदों और सिविल सोसायटी में फिलिस्तीन के समर्थन को और मुखर बना सकती है। इजराइल की छवि पर असर पड़ सकता है। पहले से ही युद्ध और मानवीय संकट को लेकर आलोचना झेल रहे इजराइल की लोकतांत्रिक छवि पर यह घटना और चोट पहुंचा सकती है। दूसरे देशों के लिए चेतावनी है, यह घटना उन सांसदों और मानवाधिकार कार्यकतार्ओं के लिए संकेत है जो इजराइल में निष्पक्ष जांच या मानवीय हस्तक्षेप के लिए जाना चाहते हैं।

यह कोई साधारण सुरक्षा कार्रवाई नहीं

ब्रिटिश सांसदों की हिरासत कोई साधारण सुरक्षा कार्रवाई नहीं थी। यह एक राजनयिक संकेत है। इजराइल स्पष्ट रूप से यह संदेश देना चाहता है कि वह अब केवल सैन्य रूप से नहीं, बल्कि राजनयिक मोर्चे पर भी आक्रामक रुख अपना रहा है। यह घटना यह भी दर्शाती है कि गाजा संकट अब केवल मानवीय या राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि एक वैश्विक कूटनीतिक संघर्ष बन गया है। जिसमें लोकतंत्र, अधिकार, सुरक्षा और राष्ट्रीय हित सभी टकरा रहे हैं।

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