Balochistan : पकिस्तान से अलग होते ही बिखरा बलूचिस्तान, 5 की मौत





POK : POK का पूरा नाम पाक अधिकृत कश्मीर है। भारत ने हमेशा बताया है कि पीओके (POK) भारत का हिस्सा है। भारत की संसद ने भी एक प्रस्ताव पास करके घोषित कर रखा है कि POK भारत का ही है तथा POK भारत का ही रहेगा। हर भारतीय की इच्छा है कि POK को अधिकारिक तौर पर भारत में मिला लिया जाए। पाकिस्तान तथा चीन नहीं चाहते कि POK का भारत में विलय हो जाए। इस बीच पाकिस्तान से खबर आ रही है कि वहां बलूचिस्तान (Balochistan) को आजादी मिल गई है। बलूचिस्तान को एक आजाद देश बनाने की लड़ाई लडऩे वाले आजादी के दीवानों ने बलूचिस्तान को आजाद देश घोषित कर दिया है।
बलूचिस्तान (Balochistan) को आजाद देश घोषित कराने की लड़ाई लड़ रहे बलूच नेताओं ने बलूचिस्तान को आजाद देश घोषित कर दिया है। बलूचिस्तान की आजादी के दीवानों में एक प्रमुख नाम बलूच नेता मीर यार बलोच का है। बलूचिस्तान(Balochistan) को आजाद कराने का बड़ा दावा मीर यार बलोच ने कर दिया है। अधिकृत माध्यम से मिली जानकारी में बताया गया है कि बलूच लीडर मीर यार बलोच ने बुधवार को पाकिस्तान (Pakistan) से बलूचिस्तान की आजादी का औपचारिक ऐलान कर दिया। उन्होंने दशकों से चली आ रही हिंसा, बलूचों का अपहरण और मानवाधिकार उल्लंघनों को इसकी वजह बताया है। एक्स पर एक पोस्ट में मीर बलोच ने कहा कि बलूचिस्तान के लोगों ने अपना राष्ट्रीय फैसला ले लिया है और दुनिया को अब चुप नहीं रहना चाहिए. लिहाजा उन्होंने भारत समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन की अपील की है।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि बलूचिस्तान को आजाद देश घोषित करने वाले मीर यार मूलत: एक पत्रकार हैं। मीर यार बलोच (Mir Yar Baloch) एक लेखक, स्वतंत्र पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता और आजाद बलूचिस्तान आंदोलन का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने न सिर्फ पाकिस्तान से आजादी का ऐलान किया है बल्कि संयुक्त राष्ट्र से बलूचिस्तान को अलग मुल्क के तौर पर पहचान देने के लिए बैठक बुलाने की अपील की है। साथ ही भारत सरकार से नई दिल्ली में बलूचिस्तान दूतावास को मंजूरी देने की गुहार लगाई है. मीर बलोच ने संयुक्त राष्ट्र से बलूचिस्तान की मुद्रा और पासपोर्ट के लिए अरबों रुपये का फंड भी मांगा है। इसके अलावा शांति सेना भेजने की अपील की है ताकि बलूच जनता को पाकिस्तान के जुल्म से मुक्त कराया जा सके। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि पाकिस्तान को अब बलूचिस्तान पर अपना कब्जा छोड़ देना चाहिए और स्थानीय स्वतंत्र सरकार को बागडोर सौंपनी चाहिए। इस बीच पाकिस्तान की सरकार ने दावा किया है कि पूरा पीओके अभी भी पाकिस्तान के पास है तथा पाकिस्तान के पास ही रहेगा। ब्लूचिस्तान बनाने की किसी भी बात से पाकिस्तान ने साफ-साफ इंकार किया है।
आपको बता दें कि बलूचिस्तान के रूप में आजाद देश घोषित करने वाले सबसे बड़े संगठन का नाम बलूच लिबरेशन आर्मी है। बलूच लिबरेशन आर्मी ने पाकिस्तानी सेना की नाक में दम कर रखा है. इसी आर्मी ने 11 मार्च को क्वेटा से पेशावर जा रही ट्रेन जाफर एक्सप्रेस को हाइजैक कर लिया था. इस ट्रेन में 440 लोग सवार थे. इसके बाद बलूच लिबरेशन आर्मी के खिलाफ़ पाकिस्तान की सेना की कार्रवाई हुई। दोनों तरफ से कई लोग मारे गए. बलूच आर्मी के पास करीब 5 हजार से ज्यादा लड़ाके हैं, जो पाकिस्तान आर्मी को कई बार निशाना बना चुके हैं, इसी वजह से वहां की सरकार ने 2006 मे बीएलए को आतंकी संगठन घोषित कर दिया है। बलूच लिबरेशन आर्मी का नेतृत्व बशीर जेब कर रहे हैं, जिन्हें संगठन में कमांडर इन चीफ का पद हासिल है। इससे पहले वह आर्मी की कोर कमेटी का हिस्सा थे. लेकिन पाकिस्तानी सेना द्वारा काबुल में असलम बलोच की हत्या के बाद 2018 में बशीर जेब को इस आर्मी का कमांडर बनाया गया था. उनके पद संभालने के बाद बलूच आंदोलन की आवाज बुलंद हो गई है। इसके अलावा बलूचों की लड़ाई लडऩे वाली दूसरी प्रमुख संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट है, जिसका गठन 1964 में जुम्मा ख़ान ने किया था। एक दौर में BLF बलूच आंदोलन का सबसे बड़ा चेहरा था, लेकिन इसके कई लड़ाके BLA में शामिल हो गए। 60 के दशक में बना संगठन पाकिस्तानी सेना के खिलाफ गुरिल्ला हमलों के लिए जाना जाता रहा। वो पाकिस्तान की गैस पाइपलाइन और रेलवे ट्रैक पर हमले करता है। इसके साथ ही फ्री बलूचिस्तान मूवमेंट, बलूच नेशनल मूवमेंट और बलूच रिपब्लिकन पार्टी भी ऐसे संगठन हैं जो बलूचिस्तान की आजादी के लिए पाकिस्तान से लड़ रहे हैं।
मीर यार बलोच के अलावा यकजेहती कमेटी की सदस्य और पेशे से डॉक्टर महरंग बलोच भी बलूच आंदोलन का प्रमुख चेहरा हैं। उन्होंने पाकिस्तान के जुल्म के खिलाफ शांति से अपनी बात रखी और दुनियाभर में चर्चित चेहरा बन गई हैं। साल 2009 में महरंग के सामाजिक कार्यकर्ता रहे पिता को अगवा किया गया था और फिर दो साल बाद उनका शव मिला था. इसी तरह 2017 में महरंग के भाई को भी अगवा किया गया था. लेकिन विरोध के बाद उनकी सकुशल वापसी मुमकिन हो पाई थी. महरंग को पाकिस्तान सरकार ने मार्च में गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था। मानवाधिकार कार्यकर्ता नाएला कादरी बलोच भी बलूचिस्तान आंदोलन की सिपाही हैं. वह लंबे समय से बलूचिस्तान की आजादी के लिए संघर्ष कर रही हैं. उनका दावा है कि बलूचिस्तान, जो कभी एक स्वतंत्र देश था, अब पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है. वह पाकिस्तान सरकार पर बलोच लोगों के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन, संसाधनों की लूट और नरसंहार के आरोप लगाती हैं. आजाद बलूचिस्तान के सपने को साकार करने के लिए नायला कादरी बलोच ने निर्वासित बलोच सरकार की स्थापना की है. वे खुद निर्वासित बलोच सरकार की प्रधानमंत्री हैं. जिसकी स्थापना 21 मार्च 2022 को यूरोप में कहीं हुई थी, वह फिलहाल वे कनाडा में रहती हैं। बलूचिस्तान नेशनल पार्टी (बीएनपी) के अध्यक्ष अख्तर मेंगल ने भी पाकिस्तान सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की है। पिछले दिनों उन्होंने संघीय सरकार में मंत्री पद लेने से इनकार कर दिया था और बलूच लोगों से अपने हक की लड़ाई लडऩे का आह्वान किया था। वह पाकिस्तान नेशनल असेंबली के सदस्य रह चुके हैं और अपने हालिया बयान में उन्होंने पाकिस्तान को 1971 की जंग की याद दिलाई थी। इसके अलावा फ्री बलूचिस्तान मूवमेंट के अध्यक्ष हरबयार मर्री जैसे नेता भी वैश्विक मंचों से बलूचिस्तान की आजादी के लिए आवाज उठा रहे हैं।
हालांकि, यह तथ्य हैरान करने वाला है कि पाक अधिकृत कश्मीर (POK) पर पाकिस्तान का कब्जा होने के बाद भी यह पाकिस्तान का हिस्सा नहीं है। दुनिया को दिखाने के लिए पाकिस्तान ने POK को अलग देश घोषित कर रखा है। यह अलग बात है कि पाकिस्तान ने POK को लेकर जो भी कर रखा है वह केवल एक दिखावा है किन्तु सच यह है कि POK का पूरा नियंत्रण पाकिस्तान सरकार के पास है। आजादी के बाद पाकिस्तान जब भारत से अलग हुआ तो 1947 में ही उसने कश्मीर पर हमला कर पीओके को अपने कब्जे में ले लिया। तब से पाकिस्तान इसे अपना हिस्सा बताता है। हालांकि, भारत ने कभी भी इसे पाकिस्तान हिस्सा नहीं माना। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा तो है, लेकिन कथित तौर पर पाकिस्तान ने इसे स्वायत्ता दी हुई है। पाकिस्तान के संविधान में तकनीकी तौर पर POK पाकिस्तान का हिस्सा नहीं है। दरअसल, पाकिस्तान के संविधान में पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा का जिक्र है, लेकिन इसमें पाक अधिकृत कश्मीर शामिल नहीं है। इतना ही नहीं पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में इसका कोई रिप्रेजेंटेशन नहीं है।
POK :
पाक अधिकृत कश्मीर करीब 13000 किलोमीटर में फैला हुआ है और यहां 40 लाख से ज्यादा आबादी रहती है। कथित तौर पर पाकिस्तान की ओर से इस क्षेत्र को आतंरिक व्यवस्था के संचालन की अनुमति दी गई है और यहां का राजनैतिक ढांचा भी पूरी तरह से अलग है। पाक अधिकृत कश्मीर में अलग प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति से लेकर अपनी विधानसभा भी है। इतना ही नहीं पाक अधिकृत कश्मीर की अपनी पुलिस और यहां की न्यायिक व्यवस्था भी पूरी तरह अलग है, जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट जैसी संस्थाएं हैं। पाक अधिकृत कश्मीर में मौजूदा समय में प्रधानमंत्री चौधरी अनवर-उल-हक की सरकार है। भले ही पाकिस्तान पाक अधिकृत कश्मीर को कथित तौर पर स्वायत्ता देने का हवाला देता हो, लेकिन पाकिस्तान की सरकार पर यह आरोप हमेशा से लगते आए हैं कि पाकिस्तान की सरकार ही तय करती है कि पीओके में कौन पीएम बनेगा। पाकिस्तान की सरकार यह सुनिश्चित करती है कि यहां के चुनावों में उनके ही सपोर्टर नेता हिस्सा लें, जिससे पाकिस्तान का इस पर नियंत्रण बना रहे। POK :
POK : POK का पूरा नाम पाक अधिकृत कश्मीर है। भारत ने हमेशा बताया है कि पीओके (POK) भारत का हिस्सा है। भारत की संसद ने भी एक प्रस्ताव पास करके घोषित कर रखा है कि POK भारत का ही है तथा POK भारत का ही रहेगा। हर भारतीय की इच्छा है कि POK को अधिकारिक तौर पर भारत में मिला लिया जाए। पाकिस्तान तथा चीन नहीं चाहते कि POK का भारत में विलय हो जाए। इस बीच पाकिस्तान से खबर आ रही है कि वहां बलूचिस्तान (Balochistan) को आजादी मिल गई है। बलूचिस्तान को एक आजाद देश बनाने की लड़ाई लडऩे वाले आजादी के दीवानों ने बलूचिस्तान को आजाद देश घोषित कर दिया है।
बलूचिस्तान (Balochistan) को आजाद देश घोषित कराने की लड़ाई लड़ रहे बलूच नेताओं ने बलूचिस्तान को आजाद देश घोषित कर दिया है। बलूचिस्तान की आजादी के दीवानों में एक प्रमुख नाम बलूच नेता मीर यार बलोच का है। बलूचिस्तान(Balochistan) को आजाद कराने का बड़ा दावा मीर यार बलोच ने कर दिया है। अधिकृत माध्यम से मिली जानकारी में बताया गया है कि बलूच लीडर मीर यार बलोच ने बुधवार को पाकिस्तान (Pakistan) से बलूचिस्तान की आजादी का औपचारिक ऐलान कर दिया। उन्होंने दशकों से चली आ रही हिंसा, बलूचों का अपहरण और मानवाधिकार उल्लंघनों को इसकी वजह बताया है। एक्स पर एक पोस्ट में मीर बलोच ने कहा कि बलूचिस्तान के लोगों ने अपना राष्ट्रीय फैसला ले लिया है और दुनिया को अब चुप नहीं रहना चाहिए. लिहाजा उन्होंने भारत समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन की अपील की है।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि बलूचिस्तान को आजाद देश घोषित करने वाले मीर यार मूलत: एक पत्रकार हैं। मीर यार बलोच (Mir Yar Baloch) एक लेखक, स्वतंत्र पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता और आजाद बलूचिस्तान आंदोलन का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने न सिर्फ पाकिस्तान से आजादी का ऐलान किया है बल्कि संयुक्त राष्ट्र से बलूचिस्तान को अलग मुल्क के तौर पर पहचान देने के लिए बैठक बुलाने की अपील की है। साथ ही भारत सरकार से नई दिल्ली में बलूचिस्तान दूतावास को मंजूरी देने की गुहार लगाई है. मीर बलोच ने संयुक्त राष्ट्र से बलूचिस्तान की मुद्रा और पासपोर्ट के लिए अरबों रुपये का फंड भी मांगा है। इसके अलावा शांति सेना भेजने की अपील की है ताकि बलूच जनता को पाकिस्तान के जुल्म से मुक्त कराया जा सके। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि पाकिस्तान को अब बलूचिस्तान पर अपना कब्जा छोड़ देना चाहिए और स्थानीय स्वतंत्र सरकार को बागडोर सौंपनी चाहिए। इस बीच पाकिस्तान की सरकार ने दावा किया है कि पूरा पीओके अभी भी पाकिस्तान के पास है तथा पाकिस्तान के पास ही रहेगा। ब्लूचिस्तान बनाने की किसी भी बात से पाकिस्तान ने साफ-साफ इंकार किया है।
आपको बता दें कि बलूचिस्तान के रूप में आजाद देश घोषित करने वाले सबसे बड़े संगठन का नाम बलूच लिबरेशन आर्मी है। बलूच लिबरेशन आर्मी ने पाकिस्तानी सेना की नाक में दम कर रखा है. इसी आर्मी ने 11 मार्च को क्वेटा से पेशावर जा रही ट्रेन जाफर एक्सप्रेस को हाइजैक कर लिया था. इस ट्रेन में 440 लोग सवार थे. इसके बाद बलूच लिबरेशन आर्मी के खिलाफ़ पाकिस्तान की सेना की कार्रवाई हुई। दोनों तरफ से कई लोग मारे गए. बलूच आर्मी के पास करीब 5 हजार से ज्यादा लड़ाके हैं, जो पाकिस्तान आर्मी को कई बार निशाना बना चुके हैं, इसी वजह से वहां की सरकार ने 2006 मे बीएलए को आतंकी संगठन घोषित कर दिया है। बलूच लिबरेशन आर्मी का नेतृत्व बशीर जेब कर रहे हैं, जिन्हें संगठन में कमांडर इन चीफ का पद हासिल है। इससे पहले वह आर्मी की कोर कमेटी का हिस्सा थे. लेकिन पाकिस्तानी सेना द्वारा काबुल में असलम बलोच की हत्या के बाद 2018 में बशीर जेब को इस आर्मी का कमांडर बनाया गया था. उनके पद संभालने के बाद बलूच आंदोलन की आवाज बुलंद हो गई है। इसके अलावा बलूचों की लड़ाई लडऩे वाली दूसरी प्रमुख संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट है, जिसका गठन 1964 में जुम्मा ख़ान ने किया था। एक दौर में BLF बलूच आंदोलन का सबसे बड़ा चेहरा था, लेकिन इसके कई लड़ाके BLA में शामिल हो गए। 60 के दशक में बना संगठन पाकिस्तानी सेना के खिलाफ गुरिल्ला हमलों के लिए जाना जाता रहा। वो पाकिस्तान की गैस पाइपलाइन और रेलवे ट्रैक पर हमले करता है। इसके साथ ही फ्री बलूचिस्तान मूवमेंट, बलूच नेशनल मूवमेंट और बलूच रिपब्लिकन पार्टी भी ऐसे संगठन हैं जो बलूचिस्तान की आजादी के लिए पाकिस्तान से लड़ रहे हैं।
मीर यार बलोच के अलावा यकजेहती कमेटी की सदस्य और पेशे से डॉक्टर महरंग बलोच भी बलूच आंदोलन का प्रमुख चेहरा हैं। उन्होंने पाकिस्तान के जुल्म के खिलाफ शांति से अपनी बात रखी और दुनियाभर में चर्चित चेहरा बन गई हैं। साल 2009 में महरंग के सामाजिक कार्यकर्ता रहे पिता को अगवा किया गया था और फिर दो साल बाद उनका शव मिला था. इसी तरह 2017 में महरंग के भाई को भी अगवा किया गया था. लेकिन विरोध के बाद उनकी सकुशल वापसी मुमकिन हो पाई थी. महरंग को पाकिस्तान सरकार ने मार्च में गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था। मानवाधिकार कार्यकर्ता नाएला कादरी बलोच भी बलूचिस्तान आंदोलन की सिपाही हैं. वह लंबे समय से बलूचिस्तान की आजादी के लिए संघर्ष कर रही हैं. उनका दावा है कि बलूचिस्तान, जो कभी एक स्वतंत्र देश था, अब पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है. वह पाकिस्तान सरकार पर बलोच लोगों के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन, संसाधनों की लूट और नरसंहार के आरोप लगाती हैं. आजाद बलूचिस्तान के सपने को साकार करने के लिए नायला कादरी बलोच ने निर्वासित बलोच सरकार की स्थापना की है. वे खुद निर्वासित बलोच सरकार की प्रधानमंत्री हैं. जिसकी स्थापना 21 मार्च 2022 को यूरोप में कहीं हुई थी, वह फिलहाल वे कनाडा में रहती हैं। बलूचिस्तान नेशनल पार्टी (बीएनपी) के अध्यक्ष अख्तर मेंगल ने भी पाकिस्तान सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की है। पिछले दिनों उन्होंने संघीय सरकार में मंत्री पद लेने से इनकार कर दिया था और बलूच लोगों से अपने हक की लड़ाई लडऩे का आह्वान किया था। वह पाकिस्तान नेशनल असेंबली के सदस्य रह चुके हैं और अपने हालिया बयान में उन्होंने पाकिस्तान को 1971 की जंग की याद दिलाई थी। इसके अलावा फ्री बलूचिस्तान मूवमेंट के अध्यक्ष हरबयार मर्री जैसे नेता भी वैश्विक मंचों से बलूचिस्तान की आजादी के लिए आवाज उठा रहे हैं।
हालांकि, यह तथ्य हैरान करने वाला है कि पाक अधिकृत कश्मीर (POK) पर पाकिस्तान का कब्जा होने के बाद भी यह पाकिस्तान का हिस्सा नहीं है। दुनिया को दिखाने के लिए पाकिस्तान ने POK को अलग देश घोषित कर रखा है। यह अलग बात है कि पाकिस्तान ने POK को लेकर जो भी कर रखा है वह केवल एक दिखावा है किन्तु सच यह है कि POK का पूरा नियंत्रण पाकिस्तान सरकार के पास है। आजादी के बाद पाकिस्तान जब भारत से अलग हुआ तो 1947 में ही उसने कश्मीर पर हमला कर पीओके को अपने कब्जे में ले लिया। तब से पाकिस्तान इसे अपना हिस्सा बताता है। हालांकि, भारत ने कभी भी इसे पाकिस्तान हिस्सा नहीं माना। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा तो है, लेकिन कथित तौर पर पाकिस्तान ने इसे स्वायत्ता दी हुई है। पाकिस्तान के संविधान में तकनीकी तौर पर POK पाकिस्तान का हिस्सा नहीं है। दरअसल, पाकिस्तान के संविधान में पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा का जिक्र है, लेकिन इसमें पाक अधिकृत कश्मीर शामिल नहीं है। इतना ही नहीं पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में इसका कोई रिप्रेजेंटेशन नहीं है।
POK :
पाक अधिकृत कश्मीर करीब 13000 किलोमीटर में फैला हुआ है और यहां 40 लाख से ज्यादा आबादी रहती है। कथित तौर पर पाकिस्तान की ओर से इस क्षेत्र को आतंरिक व्यवस्था के संचालन की अनुमति दी गई है और यहां का राजनैतिक ढांचा भी पूरी तरह से अलग है। पाक अधिकृत कश्मीर में अलग प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति से लेकर अपनी विधानसभा भी है। इतना ही नहीं पाक अधिकृत कश्मीर की अपनी पुलिस और यहां की न्यायिक व्यवस्था भी पूरी तरह अलग है, जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट जैसी संस्थाएं हैं। पाक अधिकृत कश्मीर में मौजूदा समय में प्रधानमंत्री चौधरी अनवर-उल-हक की सरकार है। भले ही पाकिस्तान पाक अधिकृत कश्मीर को कथित तौर पर स्वायत्ता देने का हवाला देता हो, लेकिन पाकिस्तान की सरकार पर यह आरोप हमेशा से लगते आए हैं कि पाकिस्तान की सरकार ही तय करती है कि पीओके में कौन पीएम बनेगा। पाकिस्तान की सरकार यह सुनिश्चित करती है कि यहां के चुनावों में उनके ही सपोर्टर नेता हिस्सा लें, जिससे पाकिस्तान का इस पर नियंत्रण बना रहे। POK :