Defense Agreement : यह रिपोर्ट भारत-श्रीलंका संबंधों में आए एक ऐतिहासिक मोड़ को रेखांकित करती है, जो न केवल रिपोर्ट भारत-श्रीलंका संबंधों में आए एक ऐतिहासिक मोड़ को रेखांकित करती है है, बल्कि पाकिस्तान और चीन जैसे भारत विरोधी देशों के लिए भी एक चिंता का कारण बन सकती है। इस घटनाक्रम को आप नीचे दिए गए प्रमुख बिंदुओं के माध्यम से आसानी से समझ सकते हैं।
पाकिस्तान और चीन के लिए झटका
श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके ने पुष्टि की है कि उनकी सरकार भारत के साथ एक बड़े रक्षा समझौते को संसद में प्रस्तुत करने वाली है। इस कदम से भारत-विरोधी गतिविधियों पर सख्ती और हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की रणनीतिक स्थिति मजबूत होगी। यह रक्षा समझौता ज्ञापन भारत और श्रीलंका के बीच 5 वर्षों के लिए प्रभावी रहेगा। इस समझौते के तहत भारत हर वर्ष लगभग 750 श्रीलंकाई सैन्यकर्मियों को प्रशिक्षण देता रहेगा। दोनों देशों ने यह स्पष्ट किया कि वे एक-दूसरे की सुरक्षा, कानून, और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों का सम्मान करेंगे। श्रीलंका ने स्पष्ट किया है कि उसकी भूमि का इस्तेमाल किसी भी भारत-विरोधी गतिविधि के लिए नहीं होने दिया जाएगा।
राष्ट्रपति दिसानायके का स्पष्टीकरण
विपक्ष के गुप्त समझौते के आरोपों पर जवाब देते हुए, उन्होंने कहा कि देशों के बीच समझौते पारदर्शी होते हैं। सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को समर्थन देने के लिए धन्यवाद दिया। 4 से 6 अप्रैल, 2025 को पीएम नरेन्द्र मोदी की श्रीलंका यात्रा के दौरान इस रक्षा सहयोग की नींव रखी गई थी। इस दौरान द्विपक्षीय सुरक्षा और रक्षा सहयोग को संस्थागत रूप देने की दिशा में पहली बार इतनी बड़ी पहल हुई।
रणनीतिक असर : भारत को क्या लाभ?
यह समझौता भारत को हिंद महासागर में चीन की रणनीति को संतुलित करने में मदद करेगा। श्रीलंका की भूमि का उपयोग अब भारत-विरोधी एजेंडों के लिए नहीं होगा। यह भारत के लिए सुरक्षा की दृष्टि से बड़ी जीत है। क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा मिलेगा और रक्षा नीति को मजबूती।
चीन और पाकिस्तान की चिंता
श्रीलंका पहले चीन के कई रणनीतिक और आर्थिक जालों (जैसे हम्बनटोटा पोर्ट) में उलझा हुआ था। यह रक्षा समझौता भारत के साथ श्रीलंका की प्राथमिकता में बदलाव को दर्शाता है। पाकिस्तान के साथ तनावपूर्ण माहौल के बीच यह समझौता भारत की राजनयिक और रणनीतिक जीत माना जा रहा है। श्रीलंका का यह कदम सिर्फ एक रक्षा समझौता नहीं, बल्कि भू-राजनीतिक संतुलन का एक नया अध्याय है। भारत की कूटनीतिक सक्रियता, सुरक्षा सहयोग, और क्षेत्रीय नेतृत्व की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण प्रगति है।
आखिर पाकिस्तान से क्या-क्या मंगवाता था भारत, लगा पूर्ण प्रतिबंध
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