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नेपाल में राजशाही की वापसी की मांग, सरकार को एक हफ्ते का अल्टीमेटम !

Pro-Monarchy :

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Pro-Monarchy : भारत के पड़ोसी देश नेपाल में इन दिनों सियासी उथल-पुथल मची हुई है। हाल ही में कई रैलियां और प्रदर्शनों ने इस बात को साबित किया है कि नेपाल में राजशाही की वापसी की मांग जोर पकड़ रही है। राजशाही समर्थक (Pro-Monarchy) संगठनों ने अब सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है और उन्होंने एक हफ्ते का अल्टीमेटम भी दे दिया है। इन घटनाक्रमों ने देश के राजनीतिक माहौल को और भी गर्म कर दिया है।

राजशाही समर्थकों (Pro-Monarchy) का आंदोलन और अल्टीमेटम

नेपाल में इन दिनों बढ़ते सियासी तनाव के बीच राजशाही समर्थक (Pro-Monarchy) संगठन एकजुट हो गए हैं। संयुक्त जन आंदोलन समिति के बैनर तले हो रहे प्रदर्शनों में इन संगठनों ने सरकार से राजशाही की वापसी की मांग की है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अगर सरकार उनके मांगों पर एक हफ्ते के भीतर कोई ठोस कदम नहीं उठाती, तो वे अपने विरोध को और उग्र करेंगे। 87 वर्षीय नबराज सुबेदी, जो इस आंदोलन के प्रमुख चेहरे हैं, ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों का समाधान नहीं हुआ, तो आंदोलन तेज किया जाएगा।

राजशाही समर्थकों (Pro-Monarchy) की मुख्य मांगें

राजशाही समर्थक संगठन (Pro-Monarchy) ने स्पष्ट रूप से अपनी मांगें रखी हैं। वे चाहते हैं कि नेपाल में 1991 का संविधान फिर से लागू किया जाए, जिसमें संवैधानिक राजशाही, बहुदलीय व्यवस्था और संसदीय लोकतंत्र की व्यवस्था हो। इसके अलावा, उनका कहना है कि नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए। उनका मानना है कि मौजूदा संविधान में संशोधन की जरूरत है, ताकि पुराने कानूनों को फिर से लागू किया जा सके। यह आंदोलन नेपाल के राजनीतिक भविष्य को प्रभावित करने वाला साबित हो सकता है।

लोकतंत्र समर्थकों का विरोध और सुरक्षा बढ़ाई गई

राजशाही समर्थकों (Pro-Monarchy) के आंदोलन के जवाब में लोकतंत्र समर्थक भी विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी कर रहे हैं। सोशलिस्ट रिफॉर्म नामक चार दलों के गठबंधन ने लोकतंत्र के पक्ष में रैली निकालने का ऐलान किया है। इन दलों में नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) और सीपीएन सहित अन्य दल भी शामिल हैं। उनका कहना है कि नेपाल की जनता ने लोकतंत्र के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया है और वे इसे खत्म नहीं होने देंगे।

राजधानी काठमांडू में बढ़ते तनाव को देखते हुए सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा कर दिया है। लगभग 5000 सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है, ताकि किसी भी प्रकार की हिंसा और झड़प को रोका जा सके। खुफिया एजेंसियां भी इस प्रदर्शन के दौरान संभावित झड़पों की चेतावनी दे रही हैं।Pro-Monarchy :

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