Drone Attack :

Drone Attack : पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के बीच इराक में स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकाने ऐन अल-असद एयर बेस पर ड्रोन हमले ने एक बार फिर क्षेत्रीय शांति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को खुले तौर पर चेतावनी दी थी कि यदि अमेरिका या उसके ठिकानों को निशाना बनाया गया, तो जवाब “इतिहास में अब तक का सबसे घातक” होगा।

तीन ड्रोन, सभी निष्क्रिय, फिर भी बढ़ा खतरा

पेंटागन सूत्रों के मुताबिक, रविवार देर रात इराक के अल-असद बेस की ओर तीन ड्रोन दागे गए। अमेरिकी सुरक्षा बलों ने इन सभी ड्रोनों को सफलतापूर्वक हवा में ही निष्क्रिय कर दिया, जिससे किसी प्रकार की जान-माल की हानि नहीं हुई। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि यह हमला सीधा ईरान द्वारा किया गया या इराक में सक्रिय किसी ईरान-समर्थित शिया मिलिशिया की ओर से। यह हमला इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते सैन्य संघर्ष की पृष्ठभूमि में हुआ है, जिससे पश्चिम एशिया में संभावित क्षेत्रीय युद्ध की आशंका और गहरा गई है।

ट्रंप की चेतावनी और अमेरिका की रणनीतिक स्थिति

हमले से ठीक पहले डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर चेताया था कि अगर ईरान ने अमेरिका या उसके ठिकानों पर हमला किया, तो अमेरिका की सैन्य ताकत का ऐसा जवाब मिलेगा जो अब तक कभी नहीं देखा गया। ट्रंप का यह बयान इजराइल द्वारा तेहरान में ईरान के कथित परमाणु ठिकानों पर किए गए हमलों के बाद आया। इजराइली रक्षा बलों ने दावा किया है कि उनके आॅपरेशन ने ईरानी शासन की परमाणु परियोजनाओं को निशाना बनाया।

ईरान की धमकी और संभावित प्रतिक्रिया

इस पूरे घटनाक्रम में अहम मोड़ तब आया जब ईरान ने खुलेआम धमकी दी थी कि अगर इजराइल को क्षेत्रीय अमेरिकी ठिकानों से समर्थन मिला, तो वह उन अमेरिकी सैन्य ठिकानों को भी हमलों का निशाना बनाएगा। यह बयान एक संभावित विस्तृत संघर्ष की ओर संकेत करता है, जिसमें अमेरिका, इजराइल और ईरान के साथ-साथ इराक और लेबनान जैसे देश भी अप्रत्यक्ष रूप से खिंच सकते हैं।

पिछला अनुभव और आगे का खतरा

यह पहली बार नहीं है जब इराक में अमेरिकी बेस को निशाना बनाया गया है। पूर्व में ईरान समर्थित शिया मिलिशिया समूहों ने कई बार अमेरिकी प्रतिष्ठानों को ड्रोन और रॉकेट से हमला किया है। लेकिन इस बार की परिस्थिति असाधारण है, क्योंकि यह हमला उस वक्त हुआ है जब इजराइल और ईरान के बीच तनाव सैन्य टकराव की सीमाओं को पार कर रहा है।

युद्ध की आहट या कूटनीतिक मोड़?

हालांकि अभी तक कोई पक्ष खुलकर इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ले रहा है, लेकिन अमेरिकी खुफिया तंत्र इस हमले को एक संदेश के रूप में देख रहा है कि अगर पश्चिमी देशों ने इजराइल को खुला समर्थन दिया, तो वे खुद भी निशाने पर आ सकते हैं। इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि पश्चिम एशिया एक नाजुक मोड़ पर खड़ा है, जहां एक चिंगारी भी पूरे क्षेत्र को युद्ध की आग में झोंक सकती है। अगला कदम किसका क्या होगा यही अब अंतरराष्ट्रीय राजनीति की धुरी तय करेगा।

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