Financial Aid To Pakistan : पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने आपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों को नष्ट किया। जिससे पाकिस्तानी सेना को भारी नुकसान उठाना पड़ा। इसके बावजूद, पाकिस्तान कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है, लेकिन फिर भी वह आतंकवाद फैलाने के लिए बड़े पैमाने पर वित्तीय संसाधन जुटा रहा है। इस रहस्य के पीछे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और वर्ल्ड बैंक जैसी संस्थाएँ हैं, जो पाकिस्तान को भारी आर्थिक सहायता प्रदान कर रही हैं। भारत सरकार की कूटनीति इस चुनौती के सामने क्यों नहीं हो रही सफल, यह सवाल अब तेजी से उभर रहा है।
तनाव के बीच भी आईएमएफ ने दी अरबों की मदद
भारत-पाक के जारी तनाव के बीच आईएमएफ ने पाकिस्तान को करीब 1 अरब डॉलर की तत्काल वित्तीय सहायता दी। भारत ने इस फैसले का विरोध किया और आईएमएफ की बैठक में मतदान से परहेज किया। सितंबर 2024 में पाकिस्तान को आईएमएफ से 7 बिलियन डॉलर के ऋण की मंजूरी मिली थी। पाकिस्तान अब तक आईएमएफ से 24 बार वित्तीय मदद ले चुका है।
वर्ल्ड बैंक और एडीबी का भी भरपूर सहयोग
वर्ल्ड बैंक और एशियाई विकास बैंक ने भी पाकिस्तान को अरबों डॉलर का आर्थिक सहयोग प्रदान किया है। एडीबी ने राजकोषीय स्थिरता और वित्तीय प्रबंधन के सुधार के लिए पाकिस्तान को 800 मिलियन डॉलर की सहायता दी है, जिसमें नीति-आधारित ऋण और कार्यक्रम-आधारित गारंटी शामिल हैं।
आतंकवाद पर पाकिस्तान का खर्चा और भारत की चुनौती
अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान हर साल भारत में आतंक फैलाने के लिए लगभग 42 करोड़ रुपये खर्च करता है, जबकि भारत सरकार इस दिशा में करीब 730 करोड़ रुपये खर्च करती है। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों पर पाकिस्तान का वार्षिक खर्च करीब 683 करोड़ रुपये है।
बड़ी वित्तीय मदद के बावजूद सवाल उठते हैं
पाकिस्तान की ओर से आतंकवादी घटनाओं के बढ़ने के कारण भारत बार-बार यह सवाल उठाता रहा है कि ये वित्तीय संसाधन आतंकवाद के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, एशियाई विकास बैंक ने पाकिस्तान को 43.4 बिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता दी है, जबकि वर्ल्ड बैंक ने पाकिस्तान में 365 परियोजनाओं के लिए 49.7 बिलियन डॉलर की प्रतिबद्धता जताई है। जनवरी 2025 में 20 बिलियन डॉलर की बड़ी डील भी प्रस्तावित है।
आईएमएफ का खेल और अमेरिका की भूमिका
आईएमएफ के फंड सदस्य देशों के कोटे पर आधारित होते हैं। अमेरिका इस फंड का सबसे बड़ा कोटा धारक है और उसके पास वोटिंग पावर भी सबसे अधिक है। हालांकि, अमेरिका परंपरागत रूप से पाकिस्तान का मित्र रहा है, इसलिए वह पाकिस्तान को सहायता देने में अड़ंगा नहीं लगाता।
कर्ज के जाल में फंसा पाकिस्तान
पिछले 35 वर्षों में पाकिस्तान ने आईएमएफ से 28 बार कर्ज लिया है। इसके अलावा चीन, सऊदी अरब, यूएई, पेरिस क्लब, इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक, एशियाई विकास बैंक जैसे कई अन्य संस्थानों से भी भारी कर्ज प्राप्त किया है। पहलगाम हमले जैसे गंभीर घटनाओं के बाद भी पाकिस्तान को वित्तीय मदद की बहार मिल रही है। इस पर भारत की कूटनीति कितना प्रभावी साबित हो रही है, यह अब एक बड़ा सवाल बन चुका है। मोदी सरकार के लिए यह चुनौती है कि वह वैश्विक मंच पर इस वित्तीय मदद को आतंकवाद की पोषण सामग्री बनने से कैसे रोके।