Fire Of Terror

Fire Of Terror : पाकिस्तान का बलूचिस्तान प्रांत एक बार फिर आतंक की आग में जल उठा है। कराची-क्वेटा राष्ट्रीय राजमार्ग पर हुआ यह हमला न सिर्फ सैन्य दृष्टि से एक बड़ा झटका है, बल्कि यह बताता है कि पाकिस्तान में सुरक्षा का पूरा ढांचा चरमरा गया है। जहां एक ओर पाकिस्तान सरकार और सेना दुनिया को अपनी एंटी-टेरेरिज्म रणनीतियों का पाठ पढ़ाते हैं, वहीं दूसरी ओर खुद उनकी सेना आईईडी जैसे बुनियादी हथियारों के सामने असहाय नजर आ रही है।

सुरक्षा घेरे की विफलता उजागर हुई

इस हमले में न केवल सुरक्षा घेरे की विफलता उजागर हुई, बल्कि यह भी साफ हुआ कि सेना के काफिले की मूवमेंट तक की गोपनीयता खतरे में है। इसका मतलब है, आतंकियों को अंदर से सूचना मिल रही है, जो कि कहीं न कहीं अंदरूनी मिलीभगत या सुरक्षा खुफिया एजेंसियों की कमजोरी को दर्शाता है।

हमले का तरीका सोच से भी परे

आईईडी ब्लास्ट उस समय किया गया जब सेना का काफिला जीरो पॉइंट के पास से गुजर रहा था। विस्फोट एक खड़ी कार में प्लांट किया गया था, जो हाईवे किनारे लगभग आम गाड़ियों की तरह खड़ी थी। तीन गाड़ियां सीधे जिसकी चपेट में आ गईं। उनमें एक में सैनिकों के परिजन सवार थे, यानी हमला पूरी तरह से योजनाबद्ध और क्रूर था। धमाका इतना भीषण था कि कुछ शवों की पहचान तक मुश्किल हो गई।

सरकार का मौन और मीडिया में लीपापोती

घटना के तुरंत बाद पाकिस्तानी मीडिया के एक बड़े हिस्से ने इसे स्कूल बस पर हमला बताकर पेश किया। यानी जानबूझकर सच्चाई को छिपाने की कोशिश। सूत्रों के अनुसार, कुछ अधिकारी घटना को ‘सामान्य आतंकी वारदात’ बताकर नैरेटिव कंट्रोल करना चाहते हैं। लेकिन स्थानीय पत्रकारों और चश्मदीदों ने खुलासा किया कि यह कोई स्कूल बस नहीं, बल्कि मिलिट्री काफिला था। बलूचिस्तान पाकिस्तान के लिए स्थायी ज्वालामुखी बन चुका है। बलूचिस्तान वर्षों से अलगाववादी गतिविधियों और आतंकवादी हमलों का केंद्र बना हुआ है। यहां सक्रिय संगठन जैसे बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए), टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान), आईएसआईएस की स्थानीय इकाइयाँ यहां लगातार पाक सेना और सरकारी प्रतिष्ठानों को निशाना बना रही हैं। बलूचिस्तान पाकिस्तान के लिए एक नियंत्रित युद्ध क्षेत्र बन चुका है, जहां न जनता सुरक्षित है, न सैनिक।

जनता कह रही, जब सेना खुद को नहीं बचा पा रही तो हमें क्या बचाएगी

सिर्फ बलूचिस्तान में ही 2025 में अब तक 100+ सुरक्षा कर्मी मारे जा चुके हैं। जनता का गुस्सा सोशल मीडिया पर दिखाई पड़ रहा है।
आम लोग पूछ रहे हैं कि अगर सेना खुद को नहीं बचा सकती, तो हमें कौन बचाएगा? हम आतंकियों को पालते आए, अब वो हमें ही निगल रहे हैं। सरकार की ओर से कोई ठोस कार्रवाई या स्पष्ट बयान सामने नहीं आया है। विपक्ष ने सेना और सरकार की आतंक के साथ दोहरी नीति पर सवाल उठाए हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पाकिस्तान की साख गिरती जा रही है।

जो बोओगे, वही काटोगे

पाकिस्तान के इस ताजा आतंकी हमले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि “जो बोओगे, वही काटोगे”। जिस आतंकवाद को पाकिस्तान ने दशकों तक रणनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया, वही अब राष्ट्रीय विनाश का कारण बन रहा है। अगर पाकिस्तान अब भी आंखें बंद रखेगा, तो वह दिन दूर नहीं जब सुरक्षा बलों की वर्दी और आम जनता की जिंदगी दोनों ही एक जैसे असुरक्षित हो जाएंगी।

पाकिस्तान की घबराहट, रक्षा बजट पेश करने की तारीख 10 जून कर दी

ग्रेटर नोएडा – नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें।

देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें  फेसबुक  पर लाइक करें या  ट्विटर  पर फॉलो करें।