IMF Package : पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से बेलआउट पैकेज की अगली किस्त प्राप्त करने के लिए 11 नई शर्तों को पूरा करना होगा। आईएमएफ ने यह चेतावनी भी दी है कि भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव इस कार्यक्रम के वित्तीय, बाह्य और सुधार लक्ष्यों के लिए जोखिम पैदा कर सकते हैं। और आईएमएफ की यह राशि रोकी जा सकती है, जो पाकिस्तान की कमर तोड़कर रख देगी।
आईएमएफ की 11 नई शर्तें :
17.6 ट्रिलियन का बजट पारित करना : पाकिस्तान की संसद को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 17.6 ट्रिलियन का बजट पारित करना होगा, जिसमें 1.07 ट्रिलियन विकास व्यय के लिए निर्धारित है।
कृषि आयकर लागू करना : चारों प्रांतों को कृषि आयकर कानून लागू करना होगा, जिससे राजस्व संग्रहण बढ़ेगा।
गवर्नेंस एक्शन प्लान प्रकाशित करना : आईएमएफ की गवर्नेंस डायग्नोस्टिक असेसमेंट के आधार पर सुधार योजनाएं सार्वजनिक करनी होंगी।
वित्तीय रणनीति की रूपरेखा तैयार करना : सरकार को 2027 के बाद की वित्तीय रणनीति और 2028 से आगे के संस्थागत और नियामक ढांचे की योजना तैयार करनी होगी।
बिजली दरों की वार्षिक समीक्षा : सरकार को 1 जुलाई 2025 तक नई बिजली दरों की अधिसूचना जारी करनी होगी ताकि लागत वसूली हो सके।
गैस टैरिफ में अर्ध-वार्षिक बदलाव : 15 फरवरी 2026 तक गैस दरों में संशोधन की अधिसूचना जारी करनी होगी।
कैप्टिव पावर लेवी को स्थायी बनाना : संसद को इस महीने के अंत तक कानून पास करना होगा ताकि यह लेवी स्थायी हो जाए।
बिजली बिल पर सरचार्ज की सीमा हटाना : 3.21 प्रति यूनिट की अधिकतम सीमा को खत्म करने के लिए कानून बनाना होगा।
तीन साल से पुरानी कारों के आयात पर प्रतिबंध हटाना : संसद में कानून पेश कर तीन साल से पुरानी कारों के आयात पर सभी प्रतिबंध हटाने होंगे।
स्पेशल टेक्नोलॉजी जोन से टैक्स छूट खत्म करने की योजना : सरकार को इस साल के अंत तक ऐसी सभी छूटों को 2035 तक खत्म करने की रणनीति तैयार करनी होगी।
रक्षा बजट में वृद्धि : पाकिस्तान ने अगले वित्तीय वर्ष के लिए 2.414 ट्रिलियन का रक्षा बजट तय किया है, जो पिछले साल से 12% अधिक है।
भारत-पाक तनाव का प्रभाव :
आईएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि हाल के सप्ताहों में भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा है, जिससे इस कार्यक्रम पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। आईएमएफ ने चेतावनी दी है कि यदि यह तनाव बना रहता है या और बढ़ता है, तो यह कार्यक्रम के वित्तीय, बाह्य और सुधार लक्ष्यों के लिए जोखिम पैदा कर सकता है। इन शर्तों को पूरा करने में विफलता पाकिस्तान को आर्थिक संकट में डाल सकती है, जिससे उसे आईएमएफ की सहायता नहीं मिल पाएगी और उसकी अर्थव्यवस्था और अधिक कमजोर हो सकती है।
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