Friday, 20 June 2025

भारत ने बांग्लादेश पर लगाए प्रतिबंध, 6000 करोड़ का लगेगा चूना

Import Restrictions : भारत और बांग्लादेश के बीच हालिया व्यापारिक और कूटनीतिक तनाव ने दक्षिण एशिया में नई चुनौतियाँ खड़ी…

भारत ने बांग्लादेश पर लगाए प्रतिबंध, 6000 करोड़ का लगेगा चूना

Import Restrictions : भारत और बांग्लादेश के बीच हालिया व्यापारिक और कूटनीतिक तनाव ने दक्षिण एशिया में नई चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं। भारत ने बांग्लादेश से आयातित लगभग 6,000 करोड़ (लगभग $770 मिलियन) मूल्य के सामानों पर सख्त प्रतिबंध लगाए हैं, जो कुल द्विपक्षीय आयात का लगभग 42% है। अब कोई भी प्रतिबंधित वस्तुएं सड़क मार्ग से ना आकर केवल बंदरगाहों के माध्यम से ही आ पाएंगी।

भारत का जवाब : आयात पर सख्ती

17 मई 2025 को, भारत के वाणिज्य मंत्रालय और विदेश व्यापार महानिदेशालय ने बांग्लादेश से आने वाले कुछ प्रमुख उपभोक्ता वस्तुओं पर आयात प्रतिबंध लगाए। इनमें रेडीमेड वस्त्र, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, प्लास्टिक उत्पाद, फर्नीचर, और अन्य उपभोक्ता वस्तुएँ शामिल हैं। अब ये वस्तुएँ केवल कोलकाता और न्हावा शेवा बंदरगाहों के माध्यम से ही भारत में प्रवेश कर सकेंगी। इसके अतिरिक्त, भारत ने अपने पूर्वोत्तर राज्यों (असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम) के एकीकृत चेक पोस्टों और पश्चिम बंगाल के चांगराबांधा और फूलबाड़ी के माध्यम से इन वस्तुओं के आयात पर रोक लगा दी है।

बांग्लादेश की नीतियाँ : भारत पर प्रतिबंध

बांग्लादेश ने हाल ही में भारत से आयातित धागा, चावल, कागज, तंबाकू, मछली, और दूध पाउडर जैसे उत्पादों पर प्रतिबंध लगाए हैं। इसके साथ ही, भारतीय माल के लिए प्रति टन प्रति किलोमीटर 1.8 टका का ट्रांजिट शुल्क भी लागू किया गया है। जबसे यूनुस की सरकार बनी है तब से चीन की ओर बांग्लादेश का झुकाव तेजी से बढ़ा है। मार्च 2025 में, बांग्लादेश के अंतरिम मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने चीन का दौरा किया और वहां आर्थिक और तकनीकी सहयोग पर एक समझौते सहित नौ समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इस यात्रा के दौरान, उन्होंने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को “समुद्र से कटा हुआ” क्षेत्र बताया, जिससे भारत में नाराजगी उत्पन्न हुई।

दोनों देशों के संबंधों में बढ़ सकती है खटास

भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ते व्यापारिक और कूटनीतिक तनाव से दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आ सकती है। भारत के इस कदम से बांग्लादेश के निर्यात पर प्रभाव पड़ेगा, जबकि भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में भी व्यापारिक गतिविधियाँ प्रभावित हो सकती हैं। दोनों देशों के लिए यह आवश्यक है कि वे संवाद के माध्यम से इन मुद्दों का समाधान खोजें, ताकि क्षेत्रीय स्थिरता बनी रहे।

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