Indo-Pak War : भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, अमेरिकी और खाड़ी देशों से आई कुछ आर्थिक खबरें भारत के लिए राहत की सांस बन सकती हैं, विशेषकर रुपये की मजबूती के संदर्भ में। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है। ब्रेंट क्रूड आयल की कीमतें $61 प्रति बैरल से नीचे आ गई हैं, जबकि अमेरिकी क्रूड आॅयल $58 प्रति बैरल से नीचे ट्रेड कर रहा है। यह गिरावट वैश्विक मांग में कमी और आपूर्ति में वृद्धि के कारण हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि 2025 में ब्रेंट क्रूड की औसत कीमत $64 प्रति बैरल तक रह सकती है, जो 2024 की तुलना में $17 कम है।
कम तेल कीमतों से आयात बिल में कमी आएगी
भारत, जो अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए कच्चे तेल का बड़ा आयातक है, के लिए यह गिरावट आर्थिक रूप से फायदेमंद हो सकती है। कम तेल कीमतों से आयात बिल में कमी आएगी, जिससे चालू खाता घाटा कम हो सकता है और रुपये पर दबाव घट सकता है। रुपये में मजबूती विदेशी निवेश और डॉलर की कमजोरी का असर है। अप्रैल 2025 में, भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 1.2% मजबूत हुआ, जो नवंबर 2024 के बाद का उच्चतम स्तर है। यह मजबूती विदेशी निवेशकों के भारतीय बाजारों में निवेश और भारतीय निर्यातकों द्वारा डॉलर की बिक्री के कारण हुई है। इसके अतिरिक्त, अमेरिकी डॉलर की कमजोरी ने भी रुपये को समर्थन दिया है।
भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के कारण रुपये में अस्थिरता देखी गई
हालांकि, भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के कारण रुपये में अस्थिरता देखी गई है। 29 अप्रैल को, रुपये की एक महीने की अनुमानित अस्थिरता 5.5% तक पहुंच गई, जो मार्च 2023 के बाद का उच्चतम स्तर है। इसके बावजूद, विदेशी निवेश और तेल कीमतों में गिरावट ने रुपये को समर्थन प्रदान किया है। भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बावजूद, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और अमेरिकी डॉलर की कमजोरी ने भारतीय रुपये को समर्थन प्रदान किया है। यदि तेल की कीमतें निम्न स्तर पर बनी रहती हैं और विदेशी निवेश जारी रहता है, तो रुपये में और मजबूती देखी जा सकती है। हालांकि, भू-राजनीतिक जोखिमों के कारण सतर्कता बनाए रखना आवश्यक है। Indo-Pak War
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