Indo-Pak War : कश्मीर में पहलगाम में आतंकी हमले के बाद जो माहौल बना है उसमें पूरे भारतवासी पाकिस्तान के ऊपर अटैक करने की मांग कर रहे हैं। ताकि पाकिस्तान को सबक मिल सके। अगर युद्ध होता है तो तमाम वे मुल्क जो आतंकवाद को गलत मानते हैं और पाकिस्तान के इस कृत्य को गलत मानते हैं, वे भारत के साथ खड़े होंगे। जिसका विवरण इस प्रकार है।
भारत के पक्ष में कौन-कौन से देश हो सकते हैं?
अमेरिका : अमेरिका अब भारत को रणनीतिक सहयोगी मानता है, खासकर चीन के खिलाफ इंडो-पैसिफिक रणनीति में। पाकिस्तान के साथ पुराने संबंध अब कमजोर हो चुके हैं।
फ्रांस : भारत का रक्षा साझेदार (राफेल डील, स्कॉर्पीन पनडुब्बी)। आतंकवाद के खिलाफ भारत के स्टैंड का समर्थक।
रूस : भले ही रूस पाकिस्तान को कुछ हथियार बेच रहा है, लेकिन भारत उसका पुराना और भरोसेमंद रक्षा सहयोगी है। रूस युद्ध को टालना चाहेगा लेकिन भारत के खिलाफ नहीं जाएगा।
इजरायल : भारत को लगातार सैन्य तकनीक और खुफिया जानकारी देता रहा है। आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख का प्रबल समर्थक।
यूएई और सऊदी अरब : दोनों देशों ने हाल के वर्षों में भारत के साथ आर्थिक और कूटनीतिक संबंध मजबूत किए हैं। उन्होंने खुलकर आतंकवाद की निंदा की है।
जापान और आस्ट्रेलिया : क्वाड समूह में भारत के साथ हैं। क्षेत्रीय स्थिरता और चीन की बढ़त को संतुलित करने के लिए भारत को सहयोग देंगे।
पाकिस्तान के संभावित समर्थक देश :
चीन : पाकिस्तान का सबसे बड़ा सैन्य और कूटनीतिक सहयोगी। लेकिन खुलकर युद्ध में कूदने की संभावना कम है। हथियार, ड्रोन, मिसाइल और खुफिया सपोर्ट दे सकता है।
तुर्की : खुद को इस्लामी देशों का नेता मानता है। पाकिस्तान को सैन्य साजोसामान और राजनीतिक समर्थन दे सकता है।
कतर और मलेशिया (संभावित समर्थन) : पहले भारत विरोधी बयानों के चलते चर्चा में रहे। लेकिन खुला समर्थन देने की संभावना कम है।
बांग्लादेश (नए हालात में अनिश्चित) : नई सरकार की नीति स्पष्ट नहीं है। भारत विरोधी सुर समय-समय पर सामने आए हैं, लेकिन पूरी तरह पाकिस्तान के साथ जाने की संभावना कम है।
अधिकांश वैश्विक ताकतें आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के साथ
अधिकांश वैश्विक ताकतें आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के साथ खड़ी हैं। पाकिस्तान को सीमित सैन्य और कूटनीतिक मदद ही मिल सकती है, जबकि भारत को व्यापक अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिल सकता है। जंग से पहले कूटनीति और वैश्विक दबाव से हालात संभालने की कोशिश जरूर होगी।
फिर एक बार पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय मंच पर हुई फजीहत
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