Indo-Pak war : भारत में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद एक बार फिर पाकिस्तान को अपनी नीतियों की कीमत चुकानी पड़ रही है। इस बार मार युद्ध की नहीं, पानी की है। भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर पाकिस्तान को करारा झटका दे दिया है, जिसका असर अब उसकी अर्थव्यवस्था, कृषि और खाद्य सुरक्षा पर पड़ने लगा है। सिंधु और उसकी सहायक नदियों का जलस्तर गिरने से खरीफ फसलों की बुआई गंभीर संकट में है। सिंध और पंजाब प्रांतों में हजारों किसान हताश हैं, क्योंकि खेतों में बीज डालने से पहले ही पानी ने साथ छोड़ दिया है।
भारत ने क्यों कसा पानी पर शिकंजा?
भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने के साथ चिनाब नदी पर बने बगलिहार और सलाल बांधों से पानी का बहाव रोक दिया है। इसके अतिरिक्त, इन बांधों में जमा गाद को हटाकर अतिरिक्त जल संग्रहण की क्षमता बढ़ा दी गई है। भारत ने अब पाकिस्तान को जल आंकड़ों की आपूर्ति भी बंद कर दी है, जिससे वहां की जल प्रबंधन प्रणाली ध्वस्त होने की कगार पर है, खासकर मानसून से पहले के इस संवेदनशील काल में।
बांध सूखे, सिंचाई संकट में
पाकिस्तान की इंडस रिवर सिस्टम अथॉरिटी (आईआरएसए) की ताजा रिपोर्ट स्थिति की गंभीरता को दर्शाती है। मंगला बांध, जो झेलम नदी पर स्थित है, अपनी क्षमता के आधे से भी कम यानी मात्र 2.7 मिलियन एकड़ फीट जल संचित कर पा रहा है, जबकि इसकी क्षमता 5.9 मिलियन एकड़ फीट है। वहीं सिंधु नदी पर स्थित तरबेला बांध में 6 मिलियन एकड़ फीट जल ही उपलब्ध है, जो कि सामान्य से काफी कम है।
खरीफ फसलों पर संकट की शुरुआत
चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा और दलहनों की बुआई के लिए अप्रैल से जून तक का समय महत्वपूर्ण होता है। आईआरएसए का मानना है कि सिंधु और चिनाब में जल प्रवाह में आई कमी के चलते इन फसलों की बुआई में व्यापक गिरावट आ सकती है। यह संकट केवल फसल उत्पादन तक सीमित नहीं, बल्कि खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण रोजगार पर भी गंभीर प्रभाव डालेगा। Indo-Pak war
भारत-पाक जल विवाद की पृष्ठभूमि
1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि हुई थी, जिसके तहत भारत को पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलुज) और पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों (झेलम, चिनाब, सिंधु) का नियंत्रण दिया गया था। हालाँकि भारत को पश्चिमी नदियों पर सीमित भंडारण और विद्युत उत्पादन का अधिकार था, जिसे वह अब सशक्त रूप से उपयोग में ला रहा है। Indo-Pak war
क्या पाकिस्तान के हालात और बिगड़ेंगे?
पाकिस्तान के जल और विद्युत प्राधिकरण (डब्ल्यूएपीडीए) ने चिनाब नदी में जलप्रवाह में भारी गिरावट की पुष्टि की है। आंकड़े बताते हैं कि मात्र दो दिनों में चिनाब नदी में जलस्तर 91,000 क्यूसेक से घटकर 7,200 क्यूसेक रह गया है। यह गिरावट पाकिस्तान के लिए किसी चेतावनी से कम नहीं। Indo-Pak war
बिना गोली चलाए भारत का हाइड्रॉलिक स्ट्राइक
भारत की यह रणनीति केवल जवाबी कार्रवाई नहीं, बल्कि पाकिस्तान को चेतावनी है कि वह आतंकवाद का समर्थन बंद करे, अन्यथा “पानी की नाकाबंदी” से हालात और बिगड़ सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह “हाइड्रॉलिक स्ट्राइक” पाकिस्तान के लिए वैसी ही मारक साबित हो सकती है, जैसी किसी सैन्य कार्रवाई की होती है लेकिन इससे अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया न्यूनतम रहती है। भारत और पाकिस्तान के बीच बहते पानी की यह लड़ाई अब खेती, भोजन और जनजीवन को प्रभावित करने लगी है। पहाड़ों से निकलने वाली नदियां केवल भौगोलिक सीमाएं नहीं तय करतीं, वे राजनीति, सुरक्षा और कूटनीति का हिस्सा बन चुकी हैं। और इस बार, पाकिस्तान को यह समझ आ गया है कि युद्ध सिर्फ बंदूकों से नहीं, पानी से भी लड़े जाते हैं और जीते भी जाते हैं। Indo-Pak war
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