Indo-Pak War : वर्तमान भारत-पाकिस्तान तनाव और भारत की आक्रामक रणनीतिक सोच पर आधारित एक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट जैसा प्रतीत होता है। इसमें कई गंभीर और संवेदनशील मुद्दे उठाए गए हैं, जिनमें अजीत डोभाल का पुराना बयान, भारत की मॉक ड्रिल योजनाएं, और बलूचिस्तान को लेकर अटकलें शामिल हैं। यहां मुख्य बिंदुओं का निष्कर्ष और उनका विश्लेषण किया गया है:
1. मॉक ड्रिल: संकेत या संयोग?
7 मई को 295 स्थानों पर मॉक ड्रिल का आदेश देना सुरक्षा तैयारियों का हिस्सा हो सकता है, लेकिन इसे सीधे युद्ध की तैयारी मानना एक अटकल हो सकती है। 1971 में भी मॉक ड्रिल युद्ध से पहले हुई थी, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इतिहास दोहराया ही जाएगा।
2. अजीत डोभाल का बयान (2019)
“घर में घुसकर मारेंगे” वाला बयान भारत की बदली हुई रणनीति को दशार्ता है। यह डिफेंसिव नहीं, प्री-एम्पटिव रणनीति की ओर इशारा करता है, जो पुलवामा और बालाकोट के बाद और अधिक स्पष्ट हो चुकी है।
3. बलूचिस्तान फोकस में क्यों?
बलूचिस्तान में पाकिस्तान सरकार और सेना के खिलाफ स्थानीय असंतोष वर्षों पुराना है। भारत की रणनीति राजनयिक समर्थन और वैश्विक मंचों पर बलूच आंदोलन को उठाने तक सीमित रही है, न कि सीधी सैन्य कार्रवाई तक।
4. पाकिस्तान की आंतरिक स्थिति
हाल की घटनाएं, जैसे सेना और स्थानीय प्रशासन के बीच मतभेद, यह जरूर दर्शाते हैं कि पाकिस्तान में अंदरूनी समस्याएं गहराई ले रही हैं। हालांकि, किसी बाहरी देश द्वारा उसमें सैन्य हस्तक्षेप या विभाजन की संभावना कूटनीतिक और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के लिहाज से अत्यंत जटिल है।
5. भारत की वर्तमान नीति : सर्जिकल से आगे?
पुलवामा और उरी के बाद भारत ने सीमित सैन्य कार्रवाइयों से आगे की सोच को अपनाया है। लेकिन विस्तृत सैन्य कार्रवाई या विभाजन की कोशिश कई देशों की नाराजगी को आमंत्रित कर सकती है और अंतरराष्ट्रीय समीकरण बिगाड़ सकती है।
भारत अब त्रिस्तरीय नीति अपना रहा
भारत अब केवल जवाबी कार्रवाई तक सीमित नहीं है वह रणनीतिक, मनोवैज्ञानिक और कूटनीतिक दबाव की त्रिस्तरीय नीति अपना रहा है। हालांकि बलूचिस्तान या पाकिस्तान के विभाजन जैसी बातें इस समय केवल अटकलें हैं, और आधिकारिक स्तर पर ऐसी कोई सार्वजनिक पुष्टि नहीं है। Indo-Pak War
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