भारत से दोस्ती को बेचैन मालदीव : राष्ट्रपति मुइज्जू ने बदला रुख, पीएम मोदी को फिर भेजा न्योता

Muijju modi
New Delhi/Male
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 JUN 2025 01:44 PM
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New Delhi/Male : जिस मालदीव ने बीते वर्ष भारत को आंखें दिखाने की कोशिश की थी, अब वही भारत की दोस्ती के लिए हाथ जोड़ रहा है। राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू, जिन्होंने नवंबर 2023 में सत्ता संभालते ही इंडिया आउट नीति अपनाई थी, अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बार-बार अपने देश आने का आमंत्रण दे रहे हैं। आखिर ऐसा क्या बदला कि मुइज्जू का रुख एकदम नरम हो गया? यह बदलाव केवल कूटनीति नहीं, बल्कि भू-राजनीतिक दबाव और आंतरिक जरूरतों का परिणाम है।

बीते वर्ष भारत विरोध की नीति थी हावी

राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद मुइज्जू ने भारत विरोध की तीखी लहर चलाई। उनकी सरकार ने मालदीव में तैनात भारतीय सैन्य कर्मियों को हटाने की मांग की, जिन्होंने आपदा प्रबंधन, स्वास्थ्य सेवाओं और समुद्री निगरानी जैसे क्षेत्रों में योगदान दिया था। इसके साथ ही उनके मंत्रिमंडल के कुछ सदस्यों ने सोशल मीडिया पर भारत और पीएम मोदी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियाँ कीं, जिससे भारत में "बॉयकॉट मालदीव" जैसी जन-भावनाएं उभर आईं। मुइज्जू ने भारत की जगह अपनी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा तुर्की और फिर चीन को प्राथमिकता दी। इन सब घटनाओं ने भारत-मालदीव रिश्तों में तीखा तनाव पैदा कर दिया।

आर्थिक दबाव और रणनीतिक हकीकतों ने बदला समीकरण

लेकिन जल्द ही मालदीव को भारत की अहमियत समझ में आ गई। पर्यटन और आर्थिक निवेश पर निर्भर इस छोटे द्वीप देश के लिए भारत की दूरी नुकसानदायक साबित होने लगी। परिणामस्वरूप मुइज्जू को अक्टूबर 2024 में भारत आना पड़ा और उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से भेंट कर रिश्तों को "मजबूत और परस्पर भरोसेमंद" बताया। दोनों देशों ने मुक्त व्यापार समझौते और आपसी सहयोग को लेकर वार्ता फिर से शुरू की। भारत ने स्पष्ट कर दिया कि वह मालदीव की संप्रभुता का सम्मान करता है, लेकिन क्षेत्रीय स्थिरता में उसकी भूमिका को नकारा नहीं जा सकता।

पीएम मोदी को फिर न्योता, जुलाई में संभावित दौरा

अब खबर है कि मालदीव सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी को एक बार फिर आमंत्रित किया है। मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला खलील ने हाल ही में भारत आकर दोबारा यह न्योता दिया है। संभावना है कि पीएम मोदी 26 जुलाई को मालदीव की स्वतंत्रता दिवस पर वहां जा सकते हैं। यदि यह यात्रा होती है, तो यह राष्ट्रपति मुइज्जू के कार्यकाल में मोदी की पहली यात्रा होगी।

भारत-मालदीव रिश्तों की नई दिशा

विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अब्दुल्ला खलील की हालिया बैठक में दोनों पक्षों ने सुरक्षा, रक्षा, व्यापार और विकास साझेदारी जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा की। जयशंकर ने कहा कि भारत हमेशा मालदीव की स्थिरता और समृद्धि में भागीदार रहेगा। आतंकवाद के खिलाफ मालदीव की नीतियों की सराहना भी की गई।

मालदीव का भारत के प्रति रुख बदलना कोई संयोग नहीं

मालदीव का भारत के प्रति रुख बदलना कोई संयोग नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति में छोटे राष्ट्रों की बड़ी समझदारी का उदाहरण है। चीन के बढ़ते प्रभाव और घरेलू आर्थिक चुनौतियों के बीच मुइज्जू को यह समझ में आ गया है कि भारत से दूरी बनाकर वह अपने देश की स्थिरता और विकास को जोखिम में नहीं डाल सकते। पीएम मोदी की संभावित यात्रा इस बदलते समीकरण की सबसे बड़ी पुष्टि होगी।

जेलेंस्की की रणनीतिक भूल! रूस पर बड़ा ड्रोन हमला, ट्रंप भी खफा

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New Delhi/Male : जिस मालदीव ने बीते वर्ष भारत को आंखें दिखाने की कोशिश की थी, अब वही भारत की दोस्ती के लिए हाथ जोड़ रहा है। राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू, जिन्होंने नवंबर 2023 में सत्ता संभालते ही इंडिया आउट नीति अपनाई थी, अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बार-बार अपने देश आने का आमंत्रण दे रहे हैं। आखिर ऐसा क्या बदला कि मुइज्जू का रुख एकदम नरम हो गया? यह बदलाव केवल कूटनीति नहीं, बल्कि भू-राजनीतिक दबाव और आंतरिक जरूरतों का परिणाम है।

बीते वर्ष भारत विरोध की नीति थी हावी

राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद मुइज्जू ने भारत विरोध की तीखी लहर चलाई। उनकी सरकार ने मालदीव में तैनात भारतीय सैन्य कर्मियों को हटाने की मांग की, जिन्होंने आपदा प्रबंधन, स्वास्थ्य सेवाओं और समुद्री निगरानी जैसे क्षेत्रों में योगदान दिया था। इसके साथ ही उनके मंत्रिमंडल के कुछ सदस्यों ने सोशल मीडिया पर भारत और पीएम मोदी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियाँ कीं, जिससे भारत में "बॉयकॉट मालदीव" जैसी जन-भावनाएं उभर आईं। मुइज्जू ने भारत की जगह अपनी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा तुर्की और फिर चीन को प्राथमिकता दी। इन सब घटनाओं ने भारत-मालदीव रिश्तों में तीखा तनाव पैदा कर दिया।

आर्थिक दबाव और रणनीतिक हकीकतों ने बदला समीकरण

लेकिन जल्द ही मालदीव को भारत की अहमियत समझ में आ गई। पर्यटन और आर्थिक निवेश पर निर्भर इस छोटे द्वीप देश के लिए भारत की दूरी नुकसानदायक साबित होने लगी। परिणामस्वरूप मुइज्जू को अक्टूबर 2024 में भारत आना पड़ा और उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से भेंट कर रिश्तों को "मजबूत और परस्पर भरोसेमंद" बताया। दोनों देशों ने मुक्त व्यापार समझौते और आपसी सहयोग को लेकर वार्ता फिर से शुरू की। भारत ने स्पष्ट कर दिया कि वह मालदीव की संप्रभुता का सम्मान करता है, लेकिन क्षेत्रीय स्थिरता में उसकी भूमिका को नकारा नहीं जा सकता।

पीएम मोदी को फिर न्योता, जुलाई में संभावित दौरा

अब खबर है कि मालदीव सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी को एक बार फिर आमंत्रित किया है। मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला खलील ने हाल ही में भारत आकर दोबारा यह न्योता दिया है। संभावना है कि पीएम मोदी 26 जुलाई को मालदीव की स्वतंत्रता दिवस पर वहां जा सकते हैं। यदि यह यात्रा होती है, तो यह राष्ट्रपति मुइज्जू के कार्यकाल में मोदी की पहली यात्रा होगी।

भारत-मालदीव रिश्तों की नई दिशा

विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अब्दुल्ला खलील की हालिया बैठक में दोनों पक्षों ने सुरक्षा, रक्षा, व्यापार और विकास साझेदारी जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा की। जयशंकर ने कहा कि भारत हमेशा मालदीव की स्थिरता और समृद्धि में भागीदार रहेगा। आतंकवाद के खिलाफ मालदीव की नीतियों की सराहना भी की गई।

मालदीव का भारत के प्रति रुख बदलना कोई संयोग नहीं

मालदीव का भारत के प्रति रुख बदलना कोई संयोग नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति में छोटे राष्ट्रों की बड़ी समझदारी का उदाहरण है। चीन के बढ़ते प्रभाव और घरेलू आर्थिक चुनौतियों के बीच मुइज्जू को यह समझ में आ गया है कि भारत से दूरी बनाकर वह अपने देश की स्थिरता और विकास को जोखिम में नहीं डाल सकते। पीएम मोदी की संभावित यात्रा इस बदलते समीकरण की सबसे बड़ी पुष्टि होगी।

जेलेंस्की की रणनीतिक भूल! रूस पर बड़ा ड्रोन हमला, ट्रंप भी खफा

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जेलेंस्की की रणनीतिक भूल! रूस पर बड़ा ड्रोन हमला, ट्रंप भी खफा

Tramp putin jelensaki
Russia Ukraine War
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 JUN 2025 00:59 PM
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Russia Ukraine War : यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने रूस के भीतर किए गए एक अभूतपूर्व ड्रोन हमले से जहां मॉस्को को गहरी चोट पहुंचाई है, वहीं अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के मोर्चे पर खुद को मुश्किल में डाल लिया है। रविवार को हुए इस हमले में यूक्रेन ने रूस की सीमा के भीतर करीब 4,000 किलोमीटर अंदर घुसकर एक प्रमुख एयरबेस को निशाना बनाया। बताया जा रहा है कि इस हमले में रूसी वायुसेना के कम से कम 40 बमवर्षक विमान पूरी तरह तबाह हो गए।

रूस का अब तक का सबसे बड़ा नुकसान

विशेषज्ञ इस हमले को आधुनिक रूस के सैन्य इतिहास में सबसे बड़ा हवाई नुकसान मान रहे हैं। इससे पहले कभी भी यूक्रेन ने इतनी गहराई में जाकर रूस के भीतर इतने बड़े पैमाने पर हमला नहीं किया था। हालांकि इस कार्रवाई से यह स्पष्ट हो गया है कि यूक्रेन की रक्षा रणनीति अब पूरी तरह आक्रामक हो चुकी है।

व्हाइट हाउस में नाराजगी की लहर

यूक्रेनी कार्रवाई से केवल क्रेमलिन में ही नहीं, बल्कि वॉशिंगटन डीसी में भी खलबली मच गई है। एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इस हमले की जानकारी पहले से नहीं दी गई थी। यह तथ्य अमेरिकी नेतृत्व को खासी नाराजगी का कारण बन सकता है, खासकर तब जब ट्रंप खुद रूस-यूक्रेन युद्ध में मध्यस्थता की कोशिशें कर रहे हैं।

ट्रंप को नाराज करना जेलेंस्की को पड़ेगा महंगा?

पिछले तीन वर्षों में अमेरिका ने यूक्रेन को आर्थिक और सैन्य सहायता में अरबों डॉलर की मदद दी है, जिसकी बदौलत वह रूस के खिलाफ लंबे समय तक टिक सका है। हालांकि हालिया महीनों में यूरोपीय देशों ने भी सहयोग बढ़ाया है, लेकिन अमेरिका की नाराजगी यूक्रेन की सैन्य और राजनीतिक स्थिति को कमजोर कर सकती है। Russia Ukraine War

पुतिन से भी खिन्न दिखे ट्रंप

चौंकाने वाली बात यह है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, जिनके साथ ट्रंप कभी सौहार्दपूर्ण संबंधों के लिए जाने जाते थे, अब उन्हीं पर ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से कड़ी टिप्पणी कर दी है। एक रूसी हमले के संदर्भ में ट्रंप ने कहा, मेरे व्लादिमीर पुतिन से हमेशा अच्छे रिश्ते रहे हैं, लेकिन अब वह जैसे सुधबुध खो चुके हैं। वह बिल्कुल पागल हो गए हैं। जेलेंस्की का यह साहसिक कदम जहां सैन्य दृष्टि से एक बड़ी सफलता माना जा रहा है, वहीं कूटनीतिक रूप से यूक्रेन को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। अमेरिका और रूस दोनों ही महाशक्तियों को एक साथ नाराज करना, यूक्रेन की रणनीतिक संतुलन नीति के लिए खतरनाक मोड़ साबित हो सकता है। Russia Ukraine War

पानी की चोट से तिलमिलाया पाकिस्तान, भारत की नीति ने दिखाया असर

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