भारत से दोस्ती को बेचैन मालदीव : राष्ट्रपति मुइज्जू ने बदला रुख, पीएम मोदी को फिर भेजा न्योता

बीते वर्ष भारत विरोध की नीति थी हावी
राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद मुइज्जू ने भारत विरोध की तीखी लहर चलाई। उनकी सरकार ने मालदीव में तैनात भारतीय सैन्य कर्मियों को हटाने की मांग की, जिन्होंने आपदा प्रबंधन, स्वास्थ्य सेवाओं और समुद्री निगरानी जैसे क्षेत्रों में योगदान दिया था। इसके साथ ही उनके मंत्रिमंडल के कुछ सदस्यों ने सोशल मीडिया पर भारत और पीएम मोदी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियाँ कीं, जिससे भारत में "बॉयकॉट मालदीव" जैसी जन-भावनाएं उभर आईं। मुइज्जू ने भारत की जगह अपनी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा तुर्की और फिर चीन को प्राथमिकता दी। इन सब घटनाओं ने भारत-मालदीव रिश्तों में तीखा तनाव पैदा कर दिया।आर्थिक दबाव और रणनीतिक हकीकतों ने बदला समीकरण
लेकिन जल्द ही मालदीव को भारत की अहमियत समझ में आ गई। पर्यटन और आर्थिक निवेश पर निर्भर इस छोटे द्वीप देश के लिए भारत की दूरी नुकसानदायक साबित होने लगी। परिणामस्वरूप मुइज्जू को अक्टूबर 2024 में भारत आना पड़ा और उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से भेंट कर रिश्तों को "मजबूत और परस्पर भरोसेमंद" बताया। दोनों देशों ने मुक्त व्यापार समझौते और आपसी सहयोग को लेकर वार्ता फिर से शुरू की। भारत ने स्पष्ट कर दिया कि वह मालदीव की संप्रभुता का सम्मान करता है, लेकिन क्षेत्रीय स्थिरता में उसकी भूमिका को नकारा नहीं जा सकता।पीएम मोदी को फिर न्योता, जुलाई में संभावित दौरा
अब खबर है कि मालदीव सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी को एक बार फिर आमंत्रित किया है। मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला खलील ने हाल ही में भारत आकर दोबारा यह न्योता दिया है। संभावना है कि पीएम मोदी 26 जुलाई को मालदीव की स्वतंत्रता दिवस पर वहां जा सकते हैं। यदि यह यात्रा होती है, तो यह राष्ट्रपति मुइज्जू के कार्यकाल में मोदी की पहली यात्रा होगी।भारत-मालदीव रिश्तों की नई दिशा
विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अब्दुल्ला खलील की हालिया बैठक में दोनों पक्षों ने सुरक्षा, रक्षा, व्यापार और विकास साझेदारी जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा की। जयशंकर ने कहा कि भारत हमेशा मालदीव की स्थिरता और समृद्धि में भागीदार रहेगा। आतंकवाद के खिलाफ मालदीव की नीतियों की सराहना भी की गई।मालदीव का भारत के प्रति रुख बदलना कोई संयोग नहीं
मालदीव का भारत के प्रति रुख बदलना कोई संयोग नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति में छोटे राष्ट्रों की बड़ी समझदारी का उदाहरण है। चीन के बढ़ते प्रभाव और घरेलू आर्थिक चुनौतियों के बीच मुइज्जू को यह समझ में आ गया है कि भारत से दूरी बनाकर वह अपने देश की स्थिरता और विकास को जोखिम में नहीं डाल सकते। पीएम मोदी की संभावित यात्रा इस बदलते समीकरण की सबसे बड़ी पुष्टि होगी।जेलेंस्की की रणनीतिक भूल! रूस पर बड़ा ड्रोन हमला, ट्रंप भी खफा
ग्रेटर नोएडा– नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें। देश–दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।अगली खबर पढ़ें
बीते वर्ष भारत विरोध की नीति थी हावी
राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद मुइज्जू ने भारत विरोध की तीखी लहर चलाई। उनकी सरकार ने मालदीव में तैनात भारतीय सैन्य कर्मियों को हटाने की मांग की, जिन्होंने आपदा प्रबंधन, स्वास्थ्य सेवाओं और समुद्री निगरानी जैसे क्षेत्रों में योगदान दिया था। इसके साथ ही उनके मंत्रिमंडल के कुछ सदस्यों ने सोशल मीडिया पर भारत और पीएम मोदी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियाँ कीं, जिससे भारत में "बॉयकॉट मालदीव" जैसी जन-भावनाएं उभर आईं। मुइज्जू ने भारत की जगह अपनी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा तुर्की और फिर चीन को प्राथमिकता दी। इन सब घटनाओं ने भारत-मालदीव रिश्तों में तीखा तनाव पैदा कर दिया।आर्थिक दबाव और रणनीतिक हकीकतों ने बदला समीकरण
लेकिन जल्द ही मालदीव को भारत की अहमियत समझ में आ गई। पर्यटन और आर्थिक निवेश पर निर्भर इस छोटे द्वीप देश के लिए भारत की दूरी नुकसानदायक साबित होने लगी। परिणामस्वरूप मुइज्जू को अक्टूबर 2024 में भारत आना पड़ा और उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से भेंट कर रिश्तों को "मजबूत और परस्पर भरोसेमंद" बताया। दोनों देशों ने मुक्त व्यापार समझौते और आपसी सहयोग को लेकर वार्ता फिर से शुरू की। भारत ने स्पष्ट कर दिया कि वह मालदीव की संप्रभुता का सम्मान करता है, लेकिन क्षेत्रीय स्थिरता में उसकी भूमिका को नकारा नहीं जा सकता।पीएम मोदी को फिर न्योता, जुलाई में संभावित दौरा
अब खबर है कि मालदीव सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी को एक बार फिर आमंत्रित किया है। मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला खलील ने हाल ही में भारत आकर दोबारा यह न्योता दिया है। संभावना है कि पीएम मोदी 26 जुलाई को मालदीव की स्वतंत्रता दिवस पर वहां जा सकते हैं। यदि यह यात्रा होती है, तो यह राष्ट्रपति मुइज्जू के कार्यकाल में मोदी की पहली यात्रा होगी।भारत-मालदीव रिश्तों की नई दिशा
विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अब्दुल्ला खलील की हालिया बैठक में दोनों पक्षों ने सुरक्षा, रक्षा, व्यापार और विकास साझेदारी जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा की। जयशंकर ने कहा कि भारत हमेशा मालदीव की स्थिरता और समृद्धि में भागीदार रहेगा। आतंकवाद के खिलाफ मालदीव की नीतियों की सराहना भी की गई।मालदीव का भारत के प्रति रुख बदलना कोई संयोग नहीं
मालदीव का भारत के प्रति रुख बदलना कोई संयोग नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति में छोटे राष्ट्रों की बड़ी समझदारी का उदाहरण है। चीन के बढ़ते प्रभाव और घरेलू आर्थिक चुनौतियों के बीच मुइज्जू को यह समझ में आ गया है कि भारत से दूरी बनाकर वह अपने देश की स्थिरता और विकास को जोखिम में नहीं डाल सकते। पीएम मोदी की संभावित यात्रा इस बदलते समीकरण की सबसे बड़ी पुष्टि होगी।जेलेंस्की की रणनीतिक भूल! रूस पर बड़ा ड्रोन हमला, ट्रंप भी खफा
ग्रेटर नोएडा– नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें। देश–दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।संबंधित खबरें
अगली खबर पढ़ें



