मुनीर आर्मी के खिलाफ 'यलगार': बलूचों के बाद अब पठानों की बगावत से पाकिस्तान में उठी गृहयुद्ध की आहट

Muneer
Pak Rebellion
locationभारत
userचेतना मंच
calendar19 JUL 2025 11:16 AM
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Pak Rebellion : पाकिस्तान एक बार फिर अपने अंदरूनी संकटों के सबसे भयावह मोड़ पर खड़ा है। बलूचिस्तान की सुलगती धरती के बाद अब खैबर पख्तूनख्वा की घाटियों में भी बगावत की चिंगारियां धधक उठी हैं। मुनीर आर्मी के दमनचक्र और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की जेल में हालत ने अब पाकिस्तान के पठानों को भी विद्रोह की राह पर धकेल दिया है। इमरान खान की गिरफ्तारी, कथित हत्या की साजिश और जेल में उन्हें और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को प्रताड़ित किए जाने के आरोपों ने स्थिति को विस्फोटक बना दिया है। पीटीआई अब खुलकर पाकिस्तानी फौज के खिलाफ मोर्चा खोल चुकी है। पार्टी ने 5 अगस्त को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है, जिसमें इमरान के बेटे भी शामिल होंगे।

इमरान खान का आरोप : अगर मुझे कुछ हुआ, तो असीम मुनीर जिम्मेदार

पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने हाल ही में जेल से एक पत्र जारी कर साफ तौर पर कहा है कि अगर उनकी मौत होती है, तो इसके लिए सीधे तौर पर सेना प्रमुख असीम मुनीर को जिम्मेदार ठहराया जाए। उन्हें रावलपिंडी की आदियाला जेल के डेथ सेल में रखा गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, उनके सेल की बिजली काट दी गई है, और उन्हें बाहरी दुनिया से पूरी तरह काट दिया गया है। इमरान की पत्नी बुशरा बीबी को भी उसी जेल में मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना दिए जाने के आरोप लगे हैं। यह मुद्दा अब पाकिस्तान के लोकतांत्रिक विमर्श और मानवाधिकारों पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है।

पठानों की बगावत : खैबर में गूंजा विद्रोह का स्वर

खैबर पख्तूनख्वा, जिसे इमरान खान की पार्टी पीटीआई का गढ़ माना जाता है, अब मुनीर आर्मी के विरुद्ध विद्रोह की धरती बन चुकी है। वजीरिस्तान जैसे सीमावर्ती इलाकों में सेना द्वारा पठानों पर चलाए जा रहे 'क्लीन-अप आॅपरेशन' ने जनाक्रोश को और अधिक तीव्र कर दिया है। स्थानीय लोग अब इसे जातीय दमन मानते हुए खुलेआम सेना के विरुद्ध प्रदर्शन कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान की कुल आबादी का लगभग 18 प्रतिशत हिस्सा पठानों का है। ये वह समुदाय है जो लंबे समय से खुद को सत्ता से उपेक्षित महसूस करता आया है और अब पहली बार संगठित स्वरूप में बगावत की मुद्रा में दिखाई दे रहा है।

बलूचिस्तान : जहां पहले से सुलग रही है बगावत की आग

बलूच विद्रोह तो पहले से ही पाकिस्तान की नींव को झकझोर रहा है। जनवरी से जून 2025 तक बलूच विद्रोहियों ने 286 हमले किए, जिनमें पाकिस्तानी सेना और सुरक्षाबलों के करीब 780 जवान मारे गए। हाल ही में साबरी ब्रदर्स के तीन कव्वालों की हत्या ने यह दिखा दिया कि बलूचिस्तान की ज्वाला अब केवल सुरक्षा प्रतिष्ठानों तक सीमित नहीं रही। कोई समय था जब बलूच आंदोलन को सीमित और अलगाववादी मानकर दबाने की कोशिश की जाती थी, लेकिन अब जब यह आग पठान बहुल प्रांत खैबर पख्तूनख्वा तक फैलने लगी है, तब पाकिस्तान के नीति-नियंताओं के होश फाख्ता हैं।

राजनीतिक समीकरणों में भूचाल

इस समय पीटीआई, जो खैबर प्रांत में सत्ता में है, गंभीर संकट में फंसी है। हालात ऐसे बनते जा रहे हैं कि आने वाले सप्ताहों में वहाँ राष्ट्रपति शासन जैसे कठोर विकल्पों की चर्चा तेज हो सकती है। लेकिन इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या पाकिस्तान की सेना अपने ही देश के इतने बड़े हिस्से की असंतुष्टि और विद्रोह को सिर्फ बल प्रयोग से कुचल पाएगी?

क्या गृहयुद्ध की तरफ बढ़ रहा है पाकिस्तान?

बलूच और पठान दो बड़े समुदाय अब सेना के खिलाफ हथियारबंद या राजनीतिक संघर्ष की राह पर हैं। एक ओर हथियार, दूसरी ओर लोकतांत्रिक आंदोलन... लेकिन दोनों का निशाना एक ही है, पाकिस्तानी सेना और उसके वर्तमान प्रमुख असीम मुनीर। अगर पाकिस्तान की सत्ता और सेना इन चेतावनियों को अनसुना करती रही, तो बहुत संभव है कि पाकिस्तान की एकता का ताना-बाना और अधिक तार-तार हो जाए। भारत सहित समूचे दक्षिण एशिया को यह घटनाक्रम बेहद सतर्कता से देखना होगा। पाकिस्तान में जिस तरह आंतरिक विद्रोह और सैन्य निरंकुशता टकरा रही है, वह क्षेत्रीय अस्थिरता को जन्म दे सकती है।
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मुनीर आर्मी के खिलाफ 'यलगार': बलूचों के बाद अब पठानों की बगावत से पाकिस्तान में उठी गृहयुद्ध की आहट

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Pak Rebellion : पाकिस्तान एक बार फिर अपने अंदरूनी संकटों के सबसे भयावह मोड़ पर खड़ा है। बलूचिस्तान की सुलगती धरती के बाद अब खैबर पख्तूनख्वा की घाटियों में भी बगावत की चिंगारियां धधक उठी हैं। मुनीर आर्मी के दमनचक्र और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की जेल में हालत ने अब पाकिस्तान के पठानों को भी विद्रोह की राह पर धकेल दिया है। इमरान खान की गिरफ्तारी, कथित हत्या की साजिश और जेल में उन्हें और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को प्रताड़ित किए जाने के आरोपों ने स्थिति को विस्फोटक बना दिया है। पीटीआई अब खुलकर पाकिस्तानी फौज के खिलाफ मोर्चा खोल चुकी है। पार्टी ने 5 अगस्त को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है, जिसमें इमरान के बेटे भी शामिल होंगे।

इमरान खान का आरोप : अगर मुझे कुछ हुआ, तो असीम मुनीर जिम्मेदार

पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने हाल ही में जेल से एक पत्र जारी कर साफ तौर पर कहा है कि अगर उनकी मौत होती है, तो इसके लिए सीधे तौर पर सेना प्रमुख असीम मुनीर को जिम्मेदार ठहराया जाए। उन्हें रावलपिंडी की आदियाला जेल के डेथ सेल में रखा गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, उनके सेल की बिजली काट दी गई है, और उन्हें बाहरी दुनिया से पूरी तरह काट दिया गया है। इमरान की पत्नी बुशरा बीबी को भी उसी जेल में मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना दिए जाने के आरोप लगे हैं। यह मुद्दा अब पाकिस्तान के लोकतांत्रिक विमर्श और मानवाधिकारों पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है।

पठानों की बगावत : खैबर में गूंजा विद्रोह का स्वर

खैबर पख्तूनख्वा, जिसे इमरान खान की पार्टी पीटीआई का गढ़ माना जाता है, अब मुनीर आर्मी के विरुद्ध विद्रोह की धरती बन चुकी है। वजीरिस्तान जैसे सीमावर्ती इलाकों में सेना द्वारा पठानों पर चलाए जा रहे 'क्लीन-अप आॅपरेशन' ने जनाक्रोश को और अधिक तीव्र कर दिया है। स्थानीय लोग अब इसे जातीय दमन मानते हुए खुलेआम सेना के विरुद्ध प्रदर्शन कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान की कुल आबादी का लगभग 18 प्रतिशत हिस्सा पठानों का है। ये वह समुदाय है जो लंबे समय से खुद को सत्ता से उपेक्षित महसूस करता आया है और अब पहली बार संगठित स्वरूप में बगावत की मुद्रा में दिखाई दे रहा है।

बलूचिस्तान : जहां पहले से सुलग रही है बगावत की आग

बलूच विद्रोह तो पहले से ही पाकिस्तान की नींव को झकझोर रहा है। जनवरी से जून 2025 तक बलूच विद्रोहियों ने 286 हमले किए, जिनमें पाकिस्तानी सेना और सुरक्षाबलों के करीब 780 जवान मारे गए। हाल ही में साबरी ब्रदर्स के तीन कव्वालों की हत्या ने यह दिखा दिया कि बलूचिस्तान की ज्वाला अब केवल सुरक्षा प्रतिष्ठानों तक सीमित नहीं रही। कोई समय था जब बलूच आंदोलन को सीमित और अलगाववादी मानकर दबाने की कोशिश की जाती थी, लेकिन अब जब यह आग पठान बहुल प्रांत खैबर पख्तूनख्वा तक फैलने लगी है, तब पाकिस्तान के नीति-नियंताओं के होश फाख्ता हैं।

राजनीतिक समीकरणों में भूचाल

इस समय पीटीआई, जो खैबर प्रांत में सत्ता में है, गंभीर संकट में फंसी है। हालात ऐसे बनते जा रहे हैं कि आने वाले सप्ताहों में वहाँ राष्ट्रपति शासन जैसे कठोर विकल्पों की चर्चा तेज हो सकती है। लेकिन इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या पाकिस्तान की सेना अपने ही देश के इतने बड़े हिस्से की असंतुष्टि और विद्रोह को सिर्फ बल प्रयोग से कुचल पाएगी?

क्या गृहयुद्ध की तरफ बढ़ रहा है पाकिस्तान?

बलूच और पठान दो बड़े समुदाय अब सेना के खिलाफ हथियारबंद या राजनीतिक संघर्ष की राह पर हैं। एक ओर हथियार, दूसरी ओर लोकतांत्रिक आंदोलन... लेकिन दोनों का निशाना एक ही है, पाकिस्तानी सेना और उसके वर्तमान प्रमुख असीम मुनीर। अगर पाकिस्तान की सत्ता और सेना इन चेतावनियों को अनसुना करती रही, तो बहुत संभव है कि पाकिस्तान की एकता का ताना-बाना और अधिक तार-तार हो जाए। भारत सहित समूचे दक्षिण एशिया को यह घटनाक्रम बेहद सतर्कता से देखना होगा। पाकिस्तान में जिस तरह आंतरिक विद्रोह और सैन्य निरंकुशता टकरा रही है, वह क्षेत्रीय अस्थिरता को जन्म दे सकती है।
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उतर कोरिया की अंतरिक्ष गतिविधियों से मची खलबली, सैटेलाइट तस्वीरों ने खोले कई राज

Uttar coriya
Secret Space Program
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calendar19 JUL 2025 10:18 AM
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Secret Space Program : उत्तर कोरिया ने एक बार फिर अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को लेकर वैश्विक समुदाय की चिंताओं को गहरा कर दिया है। ताजा सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि उसके प्रमुख स्पेस लॉन्च स्टेशन 'सोहे' में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य पूरा किया जा चुका है। रिपोर्ट्स के अनुसार, वहां एक नया पियर (जहाजों को खड़ा करने का ठिकाना) तैयार किया गया है, जिससे भारी रॉकेट के हिस्सों को समुद्री मार्ग से लाया जा सके। विशेषज्ञों का मानना है कि यह उत्तर कोरिया की गुप्त सैन्य अंतरिक्ष योजना का हिस्सा है, जो वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर संकेत दे रहा है।

क्या दिखा सैटेलाइट तस्वीरों में?

"38 नॉर्थ" प्रोजेक्ट द्वारा जारी सैटेलाइट इमेज में देखा गया है कि 25 मई तक निमार्णाधीन यह पियर अब पूरी तरह तैयार हो चुका है। इसका डिजाइन खासतौर पर ऐसे जहाजों के लिए बनाया गया है जो भारी रॉकेट हिस्सों और उपकरणों को ढो सकें। इसके साथ ही लॉन्च स्टेशन के भीतर नई सड़कों और संभवत: एक रेलवे ट्रैक का निर्माण भी हो रहा है, जिससे लॉन्च सामग्री को सुविधाजनक ढंग से एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जा सके। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सब केवल अंतरिक्ष मिशन नहीं, बल्कि सैन्य बल के विस्तार और बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता को छिपाकर आगे बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है।

पहले भी कर चुका है वादा और फिर तोड़ा

यह वही 'सोहे लॉन्च स्टेशन' है जिसे उत्तर कोरियाई सुप्रीम लीडर किम जोंग उन ने वर्ष 2022 में आधुनिक बनाने के निर्देश दिए थे। दिलचस्प बात यह है कि 2018 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात के दौरान किम ने इस स्टेशन को नष्ट करने का वादा किया था ताकि प्रतिबंधों में राहत मिल सके। परंतु वह वादा जल्द ही भुला दिया गया और स्टेशन का विस्तार जारी रहा।

उत्तर कोरिया ने अब तक कितने रॉकेट लॉन्च किए हैं?

"38 नॉर्थ" की रिपोर्ट बताती है कि 1998 से मई 2024 तक उत्तर कोरिया ने कम से कम 9 बार सैटेलाइट ले जाने वाले रॉकेट लॉन्च करने की कोशिश की है। इनमें से सिर्फ तीन मिशन ही आंशिक रूप से सफल माने गए, बाकी सभी या तो असफल रहे या तकनीकी गड़बड़ी के कारण बीच में ही टूट गए। हाल की एक कोशिश में रॉकेट लॉन्च के पहले ही चरण में फट गया था, जिससे यह अंदेशा और गहरा हो गया कि उत्तर कोरिया अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम की आड़ में किसी और उद्देश्य को साध रहा है।

सैटेलाइट या मिसाइल परीक्षण? असली मंशा क्या है?

उत्तर कोरिया बार-बार यही दावा करता रहा है कि वह अंतरिक्ष में 'सैटेलाइट्स' भेजना चाहता है, ताकि मौसम पूवार्नुमान, जासूसी और संचार सेवाएं संचालित कर सके। परंतु अंतरराष्ट्रीय समुदाय और खासतौर पर अमेरिका और दक्षिण कोरिया को संदेह है कि यह पूरी कवायद दरअसल बैलिस्टिक मिसाइल टेक्नोलॉजी के परीक्षण और विकास के लिए की जा रही है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पहले ही उत्तर कोरिया पर मिसाइल लॉन्च तकनीक के विकास पर प्रतिबंध लगा चुकी है, क्योंकि सैटेलाइट लॉन्च और मिसाइल लॉन्च में इस्तेमाल होने वाली तकनीक लगभग एक जैसी होती है जैसे इंजन, नेविगेशन, और स्टेज सेपरेशन सिस्टम।

स्पेस रेस में दक्षिण कोरिया भी सक्रिय

जहाँ उत्तर कोरिया गुप्त रूप से रॉकेट तैयारियों में जुटा है, वहीं उसका पड़ोसी दक्षिण कोरिया खुले तौर पर अब तक चार उन्नत जासूसी सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेज चुका है, और एक और लॉन्च इसी साल प्रस्तावित है। इस स्पेस रेस ने कोरियाई प्रायद्वीप में सैन्य तनाव और रणनीतिक होड़ को और अधिक तेज कर दिया है। उत्तर कोरिया का 'सोहे लॉन्च स्टेशन' का यह नया विस्तार केवल एक अंतरिक्ष गतिविधि नहीं, बल्कि रणनीतिक संदेश है। जिस समय वैश्विक भू-राजनीति में अस्थिरता और सैन्य असंतुलन बढ़ रहा है, उस वक्त उत्तर कोरिया का यह कदम न सिर्फ संयुक्त राष्ट्र के दिशा-निदेर्शों की अवहेलना है, बल्कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में नई अस्थिरता की भूमिका भी बना सकता है। अब देखना यह होगा कि अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान जैसे देश इस पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं, और क्या संयुक्त राष्ट्र इस गतिविधि पर फिर कोई ठोस कदम उठाएगा?