New Delhi/Washington : मध्य पूर्व में छिड़ी नई जंग ने वैश्विक ऊर्जा बाजारों में भारी उथल-पुथल मचा दी है। अमेरिका द्वारा ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हवाई हमले किए जाने के बाद अब यह संकट सिर्फ इजरायल-ईरान तक सीमित नहीं रहा। इसके साथ ही कच्चे तेल की कीमतों में बड़ा उछाल देखने को मिल सकता है, जिससे भारत समेत तेल आयात पर निर्भर देशों की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ना तय है।
24% उछाल के बाद 77 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचा ब्रेंट क्रूड
जून में अब तक ब्रेंट क्रूड की कीमतों में 24 फीसदी तक की तेजी दर्ज की गई है, जो वर्तमान में 77 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच चुकी है। विशेषज्ञों का मानना है कि सोमवार से शुरू होने वाले कारोबारी हफ्ते में तेल की कीमतें 80 डॉलर से ऊपर खुल सकती हैं और स्थिति गंभीर बनी रही तो यह 100 डॉलर प्रति बैरल से भी आगे निकल सकती है।
होर्मुज जलडमरूमध्य बना वैश्विक चिंता का केंद्र
अगर ईरान ने स्ट्रेट आफ होर्मुज को बंद करने की धमकी पर अमल किया, तो स्थिति और बिगड़ सकती है। यह जलमार्ग दुनिया की लगभग 20% कच्चे तेल आपूर्ति का माध्यम है। विश्लेषकों के मुताबिक, यदि यह रास्ता अवरुद्ध होता है, तो तेल की कीमतें 130 डॉलर प्रति बैरल तक भी पहुंच सकती हैं। केडिया एडवाइजरी के अजय केडिया के अनुसार, अगर तनाव बढ़ता है, तो सोमवार को कीमतों में 10-15% की तेजी देखी जा सकती है और ब्रेंट क्रूड 95 से 100 डॉलर के दायरे में जा सकता है। हालांकि, ओपेक+ और अमेरिका द्वारा उत्पादन बढ़ाने की रणनीति कीमतों को काबू में रखने का प्रयास कर सकती है।
भारत पर पड़ेगा सीधा असर
भारत अपनी जरूरत का 85 से 90 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है। कीमतों में हर 10 डॉलर प्रति बैरल की वृद्धि, भारत के चालू खाता घाटे (सीएडी) को जीडीपी का 0.3% तक बढ़ा सकती है। इसके अलावा महंगाई बढ़ने का खतरा मंडराएगा, जिससे ब्याज दरों पर दबाव आ सकता है। रुपये की कीमत में 50 से 75 पैसे तक की गिरावट संभव है। शेयर बाजारों में भारी बिकवाली का अंदेशा है, खासतौर पर तेल, उड्डयन और एफएमसीजी सेक्टर पर।
ग्लोबल मार्केट में क्या हैं संकेत?
ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के मुताबिक, शुक्रवार को खाड़ी देशों के कच्चे तेल की कीमतों में हल्की गिरावट देखी गई और ब्रेंट क्रूड 77.01 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ। हालांकि जून में ही ब्रेंट में 21% से ज्यादा और अमेरिकी क्रूड में 23% की तेजी देखी जा चुकी है। एक्सिस सिक्योरिटीज के अक्षय चिंचलकर का कहना है कि ब्रेंट क्रूड फिलहाल सितंबर 2023 के 97 डॉलर के हाई लेवल को टेस्ट कर रहा है। अगर यह स्तर टूटता है, तो बाजार में नई तेजी का रुख बन सकता है।
जेपी मॉर्गन की चेतावनी
जेपी मॉर्गन ने अपने नोट में चेतावनी दी है कि अगर होर्मुज जलडमरूमध्य लंबे समय के लिए बंद होता है और सैन्य संघर्ष व्यापक रूप लेता है, तो ब्रेंट क्रूड की कीमतें 120 से 130 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती हैं। इससे निवेशकों का रुझान ‘सेफ हैवन एसेट्स’ की ओर शिफ्ट हो सकता है। ईरान-इजरायल टकराव में अमेरिका के खुलकर कूदने से अब ऊर्जा बाजार में अनिश्चितता का दौर शुरू हो चुका है। भारत जैसे तेल आयातक देशों के लिए यह संकट मुद्रास्फीति, चालू खाता घाटा और विदेशी मुद्रा पर दबाव के रूप में सामने आ सकता है। अब सारी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि होर्मुज जलडमरूमध्य खुला रहता है या नहीं क्योंकि वहीं से तय होगी वैश्विक तेल कीमतों की अगली चाल।