​इस मुस्लिम देश में वेश्यावृत्ति को कानूनी मान्यता प्राप्त है, जानें

Veshyavritti
Recognition Of Prosttution
locationभारत
userचेतना मंच
calendar22 MAR 2025 00:53 PM
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Recognition Of Prosttution : बांग्लादेश में वेश्यावृत्ति कानूनी है, लेकिन इसके लिए सरकार द्वारा निर्धारित सख्त नियमों का पालन आवश्यक है। महिलाओं को इस पेशे में शामिल होने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होता है, जिसमें एक एफिडेविट शामिल होता है जो यह सुनिश्चित करता है कि वे अपनी मर्जी से इस पेशे में आ रही हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में लगभग 2 लाख महिलाएं इस पेशे से जुड़ी हुई हैं, और 'दौलतदिया' इस व्यवसाय का एक प्रमुख केंद्र है, जहां लगभग 1,300 महिलाएं कार्यरत हैं।​

बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल

हालांकि, हाल के महीनों में बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता और कानून-व्यवस्था की स्थिति में गिरावट देखी गई है। 5 अगस्त 2024 को तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटाया गया और उन्हें भारत में शरण लेनी पड़ी थी। इसके बाद से, हिंसक चरमपंथियों की रिहाई और अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में वृद्धि हुई है, जिससे देश की आंतरिक सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। ​

महिलाओं के लिए सुरक्षित और नियंत्रित वातावरण में कार्य करना चुनौतीपूर्ण

इन परिस्थितियों में, वेश्यावृत्ति से जुड़ी महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों की स्थिति पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक उथल-पुथल के कारण, इन महिलाओं के लिए सुरक्षित और नियंत्रित वातावरण में कार्य करना चुनौतीपूर्ण हो गया है। सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और कानून-व्यवस्था को बहाल करे, ताकि वेश्यावृत्ति में शामिल महिलाएं भी सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी सकें।​

महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाएं

भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत, बांग्लादेश ने शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है, जिससे दोनों देशों के संबंधों में तनाव बढ़ा है। यह राजनीतिक अस्थिरता देश की आंतरिक सुरक्षा और सामाजिक संरचना पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है, जिसका सीधा असर समाज के कमजोर वर्गों पर पड़ता है। ​समाज के सबसे कमजोर वर्गों, जैसे कि वेश्यावृत्ति में शामिल महिलाएं, इस अस्थिरता से सबसे अधिक प्रभावित होती हैं। उनकी सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच, और कानूनी संरक्षण खतरे में पड़ जाते हैं। इसलिए, यह आवश्यक है कि सरकार और समाज मिलकर इन महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाएं।

जमीयत उलमा-ए-हिंद का विरोध, बनाएंगे इफ्तार पार्टियों से दूरी

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Recognition Of Prosttution : बांग्लादेश में वेश्यावृत्ति कानूनी है, लेकिन इसके लिए सरकार द्वारा निर्धारित सख्त नियमों का पालन आवश्यक है। महिलाओं को इस पेशे में शामिल होने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होता है, जिसमें एक एफिडेविट शामिल होता है जो यह सुनिश्चित करता है कि वे अपनी मर्जी से इस पेशे में आ रही हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में लगभग 2 लाख महिलाएं इस पेशे से जुड़ी हुई हैं, और 'दौलतदिया' इस व्यवसाय का एक प्रमुख केंद्र है, जहां लगभग 1,300 महिलाएं कार्यरत हैं।​

बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल

हालांकि, हाल के महीनों में बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता और कानून-व्यवस्था की स्थिति में गिरावट देखी गई है। 5 अगस्त 2024 को तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटाया गया और उन्हें भारत में शरण लेनी पड़ी थी। इसके बाद से, हिंसक चरमपंथियों की रिहाई और अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में वृद्धि हुई है, जिससे देश की आंतरिक सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। ​

महिलाओं के लिए सुरक्षित और नियंत्रित वातावरण में कार्य करना चुनौतीपूर्ण

इन परिस्थितियों में, वेश्यावृत्ति से जुड़ी महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों की स्थिति पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक उथल-पुथल के कारण, इन महिलाओं के लिए सुरक्षित और नियंत्रित वातावरण में कार्य करना चुनौतीपूर्ण हो गया है। सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और कानून-व्यवस्था को बहाल करे, ताकि वेश्यावृत्ति में शामिल महिलाएं भी सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी सकें।​

महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाएं

भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत, बांग्लादेश ने शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है, जिससे दोनों देशों के संबंधों में तनाव बढ़ा है। यह राजनीतिक अस्थिरता देश की आंतरिक सुरक्षा और सामाजिक संरचना पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है, जिसका सीधा असर समाज के कमजोर वर्गों पर पड़ता है। ​समाज के सबसे कमजोर वर्गों, जैसे कि वेश्यावृत्ति में शामिल महिलाएं, इस अस्थिरता से सबसे अधिक प्रभावित होती हैं। उनकी सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच, और कानूनी संरक्षण खतरे में पड़ जाते हैं। इसलिए, यह आवश्यक है कि सरकार और समाज मिलकर इन महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाएं।

जमीयत उलमा-ए-हिंद का विरोध, बनाएंगे इफ्तार पार्टियों से दूरी

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तुर्की में इमामोगलू की गिरफ्तारी से विरोध प्रदर्शनों का तूफान

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Recep Tayyip Erdogan:
locationभारत
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calendar22 MAR 2025 00:41 PM
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Recep Tayyip Erdogan: तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन(Recep Tayyip Erdogan) के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी और इस्तांबुल के मेयर इक्रेम इमामोगलू की गिरफ्तारी ने तुर्की में राजनीतिक उथल-पुथल मचा दी है। इमामोगलू पर भ्रष्टाचार और टेरर फंडिंग के आरोप लगाए गए हैं, जिनका उन्होंने खंडन किया है। यह गिरफ्तारी 2028 के चुनाव से पहले हुई है, जहां इमामोगलू एर्दोगन के लिए एक प्रमुख चुनौती माने जा रहे थे। गिरफ्तारी के बाद से पूरे तुर्की में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और सरकार की नींद उड़ गई है।

इमामोगलू की गिरफ्तारी और विरोध प्रदर्शन

इमामोगलू की गिरफ्तारी के बाद से तुर्की की सड़कों पर हजारों लोग उतर आए हैं और सरकार के खिलाफ विरोध कर रहे हैं। 17 मार्च को तुर्की पुलिस ने इस्तांबुल के मेयर इमामोगलू को गिरफ्तार किया, जिसके बाद विरोध तेज हो गया। इमामोगलू पर आरोप है कि उन्होंने भ्रष्टाचार और आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों में हिस्सा लिया, लेकिन उन्होंने इन आरोपों को नकारा है। गिरफ्तारी के बाद सरकार ने प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ और लोग सड़कों पर उतर आए। तुर्की के इतिहास में यह सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन माना जा रहा है।

एर्दोगन(Recep Tayyip Erdogan) की सत्ता को चुनौती

इमामोगलू तुर्की के प्रमुख विपक्षी नेता हैं और उनकी गिरफ्तारी को एर्दोगन(Recep Tayyip Erdogan) की सत्ता के खिलाफ एक रणनीति माना जा रहा है। इमामोगलू के खिलाफ आरोपों की स्थिति राजनीतिक रूप से प्रेरित मानी जा रही है, क्योंकि वह 2028 के चुनाव में एर्दोगन के लिए गंभीर चुनौती बन सकते थे। इमामोगलू की लोकप्रियता तुर्की में लगातार बढ़ रही थी और वह सर्वेक्षणों में एर्दोगन(Recep Tayyip Erdogan) से आगे चल रहे थे। विपक्षी नेताओं का कहना है कि एर्दोगन(Recep Tayyip Erdogan) अपनी सत्ता को बनाए रखने के लिए इस तरह की राजनीतिक साजिश रच रहे हैं। उनके आलोचकों का कहना है कि जब इमामोगलू के नेतृत्व में रिपब्लिकन पीपल्स पार्टी (CHP) ने आगामी राष्ट्रपति चुनावों में एक मजबूत उम्मीदवार तैयार किया, तो एर्दोगन ने उन्हें रास्ते से हटाने के लिए यह कदम उठाया।

देश में बढ़ता विरोध और सत्ता विरोधी लहर

इमामोगलू की गिरफ्तारी के बाद से तुर्की में सत्ता विरोधी लहर और तेज हो गई है। लोग अब तुर्की में एर्दोगन के 20 साल से ज्यादा लंबे शासन के खिलाफ आवाज उठाने लगे हैं। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि यह गिरफ्तारी तुर्की की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने की कोशिश है। इस्तांबुल में शुक्रवार देर रात हजारों लोग सड़कों पर उतरे और सरकार के खिलाफ नारे लगाए। ऐसे प्रदर्शन तुर्की में एक दशक बाद देखे जा रहे हैं।

एर्दोगन की रणनीति और भविष्य

एर्दोगन (Recep Tayyip Erdogan)के सत्ता में बने रहने के प्रयासों के तहत, उन्होंने इमामोगलू और अन्य विपक्षी नेताओं को जेल में डालने की रणनीति अपनाई है। वह अपनी सत्ता को बनाए रखने के लिए विपक्षी नेताओं को निशाना बना रहे हैं। एर्दोगन को डर है कि इमामोगलू जैसे लोकप्रिय नेता 2028 के चुनावों में उनकी कुर्सी छीन सकते हैं। हालांकि, यह भी देखा जा रहा है कि जनता अब बगावत पर उतर आई है और एर्दोगन की सरकार के खिलाफ विरोध बढ़ गया है।Recep Tayyip Erdogan:

नागपुर हिंसा में ओवैसी ने फडणवीस सरकार को ठहराया जिम्मेदार

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