भारत समेत 14 देशों के वीजा पर सऊदी अरब ने लगाई रोक, बदले कई नियम, आखिर हज से पहले क्यों लिया ये फैसला?





Stock Market : सोमवार का दिन भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में एक और ‘ब्लैक मंडे’ बनकर उभरा। सेंसेक्स ने बाजार खुलते ही 3900 अंकों की भारी गिरावट के साथ शुरुआत की, जबकि निफ्टी भी लगभग 1100 अंकों तक टूट गया। इसका सबसे बड़ा कारण अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित आयात शुल्क है, जिसने न केवल भारत, बल्कि पूरे एशिया के वित्तीय बाजारों को हिलाकर रख दिया।
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में विदेशी वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ाने की घोषणा की है, जो वैश्विक व्यापार पर एक बड़ा झटका है। इस फैसले से अमेरिका में आयात महंगे हो जाएंगे और इसका सीधा असर एशियाई देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ेगा, जो निर्यात पर काफी हद तक निर्भर हैं।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स सोमवार सुबह खुलते ही 5 प्रतिशत से अधिक की गिरावट के साथ लुढ़क गया। यह पिछले कुछ वर्षों में एक दिन में आई सबसे बड़ी गिरावटों में से एक है। अनुमान है कि इस एक दिन में निवेशकों के करीब 20 लाख करोड़ रुपये डूब गए।
सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि जापान, चीन, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के बाजारों में भी जबरदस्त बिकवाली देखने को मिली। चीन का शंघाई कंपोजिट, जापान का निक्केई और कोरिया का KOSPI सभी प्रमुख सूचकांक गिरावट के साथ बंद हुए। बाजार जानकारों ने इस दिन को ‘ब्लडबाथ’ करार दिया है।
एशिया के अधिकांश देश मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात पर आश्रित हैं। भारत, चीन, वियतनाम, बांग्लादेश जैसे देशों की अर्थव्यवस्थाएं अमेरिका जैसे बड़े बाजारों में माल बेचकर फलती-फूलती हैं। ऐसे में अगर अमेरिकी ग्राहक विदेशी सामान खरीदने के लिए अधिक कीमत चुकाने को मजबूर होंगे, तो उसकी सीधी मार एशियाई निर्यातकों पर पड़ेगी। यही वजह है कि बाजारों में डर का माहौल बन गया है।
पूर्व अमेरिकी वाणिज्य उप-मंत्री फ्रैंक लाविन के अनुसार, “ट्रंप के टैरिफ से सबसे बड़ा असर एशिया के बाजारों पर पड़ेगा, क्योंकि यही देश अमेरिका को सबसे ज्यादा निर्यात करते हैं।”
शेयर बाजार की गिरावट का सीधा असर निवेशकों की संपत्ति पर पड़ता है, लेकिन इसका दीर्घकालिक प्रभाव आम लोगों की रोज़मर्रा की जिंदगी पर भी हो सकता है। कंपनियों के मुनाफे घटने से नौकरियों पर खतरा मंडरा सकता है, वहीं रुपए की कमजोरी से आयातित वस्तुएं महंगी हो सकती हैं।
ट्रंप के टैरिफ के चलते केवल एशिया ही नहीं, अमेरिका की आर्थिक सेहत पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। जेपी मॉर्गन ने कहा है कि अमेरिका में मंदी की आशंका अब 60 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है। गोल्डमैन सैक्स ने भी अगले 12 महीनों में मंदी की संभावना को 45% तक बढ़ा दिया है। Stock Market :
Stock Market : सोमवार का दिन भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में एक और ‘ब्लैक मंडे’ बनकर उभरा। सेंसेक्स ने बाजार खुलते ही 3900 अंकों की भारी गिरावट के साथ शुरुआत की, जबकि निफ्टी भी लगभग 1100 अंकों तक टूट गया। इसका सबसे बड़ा कारण अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित आयात शुल्क है, जिसने न केवल भारत, बल्कि पूरे एशिया के वित्तीय बाजारों को हिलाकर रख दिया।
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में विदेशी वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ाने की घोषणा की है, जो वैश्विक व्यापार पर एक बड़ा झटका है। इस फैसले से अमेरिका में आयात महंगे हो जाएंगे और इसका सीधा असर एशियाई देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ेगा, जो निर्यात पर काफी हद तक निर्भर हैं।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स सोमवार सुबह खुलते ही 5 प्रतिशत से अधिक की गिरावट के साथ लुढ़क गया। यह पिछले कुछ वर्षों में एक दिन में आई सबसे बड़ी गिरावटों में से एक है। अनुमान है कि इस एक दिन में निवेशकों के करीब 20 लाख करोड़ रुपये डूब गए।
सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि जापान, चीन, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के बाजारों में भी जबरदस्त बिकवाली देखने को मिली। चीन का शंघाई कंपोजिट, जापान का निक्केई और कोरिया का KOSPI सभी प्रमुख सूचकांक गिरावट के साथ बंद हुए। बाजार जानकारों ने इस दिन को ‘ब्लडबाथ’ करार दिया है।
एशिया के अधिकांश देश मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात पर आश्रित हैं। भारत, चीन, वियतनाम, बांग्लादेश जैसे देशों की अर्थव्यवस्थाएं अमेरिका जैसे बड़े बाजारों में माल बेचकर फलती-फूलती हैं। ऐसे में अगर अमेरिकी ग्राहक विदेशी सामान खरीदने के लिए अधिक कीमत चुकाने को मजबूर होंगे, तो उसकी सीधी मार एशियाई निर्यातकों पर पड़ेगी। यही वजह है कि बाजारों में डर का माहौल बन गया है।
पूर्व अमेरिकी वाणिज्य उप-मंत्री फ्रैंक लाविन के अनुसार, “ट्रंप के टैरिफ से सबसे बड़ा असर एशिया के बाजारों पर पड़ेगा, क्योंकि यही देश अमेरिका को सबसे ज्यादा निर्यात करते हैं।”
शेयर बाजार की गिरावट का सीधा असर निवेशकों की संपत्ति पर पड़ता है, लेकिन इसका दीर्घकालिक प्रभाव आम लोगों की रोज़मर्रा की जिंदगी पर भी हो सकता है। कंपनियों के मुनाफे घटने से नौकरियों पर खतरा मंडरा सकता है, वहीं रुपए की कमजोरी से आयातित वस्तुएं महंगी हो सकती हैं।
ट्रंप के टैरिफ के चलते केवल एशिया ही नहीं, अमेरिका की आर्थिक सेहत पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। जेपी मॉर्गन ने कहा है कि अमेरिका में मंदी की आशंका अब 60 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है। गोल्डमैन सैक्स ने भी अगले 12 महीनों में मंदी की संभावना को 45% तक बढ़ा दिया है। Stock Market :