भारत समेत 14 देशों के वीजा पर सऊदी अरब ने लगाई रोक, बदले कई नियम, आखिर हज से पहले क्यों लिया ये फैसला?

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar08 APR 2025 08:28 AM
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रियाद – सऊदी अरब ने हज यात्रा के मद्देनज़र एक बड़ा कदम उठाते हुए 14 देशों के नागरिकों के लिए कुछ वीजा श्रेणियों पर अस्थायी रोक लगाने का फैसला किया है। इस सूची में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, और कई अन्य देश शामिल हैं। यह निर्णय मुख्य रूप से हज सीजन के दौरान अत्यधिक भीड़ को नियंत्रित करने और अनधिकृत तीर्थयात्रियों को रोकने के उद्देश्य से लिया गया है।

सऊदी अरब के किस वीजा पर प्रतिबंध लगा है?

यह प्रतिबंध विशेष रूप से टूरिस्ट, विजिट, वर्क या बिजनेस वीजा जैसे अन्य सामान्य वीजा श्रेणियों पर लागू किया गया है। यानी वे लोग जो बिना वैध हज परमिट के सऊदी अरब आना चाहते थे, फिलहाल वीजा नहीं ले पाएंगे।

हज वीजा रखने वाले तीर्थयात्रियों के लिए राहत

इस फैसले से उन लोगों को छूट दी गई है जो सिर्फ हज करने के लिए जा रहे हैं और जिनके पास वैध हज वीजा या परमिट है। ऐसे तीर्थयात्रियों को मक्का और मदीना में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी और वे हज की रस्मों में हिस्सा ले सकेंगे।

सऊदी सरकार का क्या है उद्देश्य

सऊदी अधिकारियों के अनुसार, हर साल लाखों लोग हज यात्रा पर आते हैं, जिससे मक्का और मदीना में भारी भीड़ होती है। अनेक लोग बिना पंजीकरण के या अलग वीजा कैटेगरी में आकर हज में हिस्सा लेते हैं, जिससे व्यवस्था पर बोझ बढ़ता है और तीर्थयात्रियों की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। इस बार सरकार पहले से ही सतर्क है और केवल अधिकृत तीर्थयात्रियों को अनुमति देना चाहती है।

कब तक लागू रहेगा प्रतिबंध?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह वीजा निलंबन मिड-जून 2025 तक लागू रहेगा — यानी हज यात्रा समाप्त होने तक। इसके बाद स्थिति की समीक्षा कर आगे का फैसला लिया जाएगा।

भारत सहित प्रभावित देश कौन-कौन से हैं?

हालांकि पूरी 14 देशों की सूची आधिकारिक रूप से साझा नहीं की गई है, परन्तु मीडिया रिपोर्ट्स में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे दक्षिण एशियाई देशों का ज़िक्र प्रमुखता से किया गया है। इंतजार खत्म, ग्रेनो में 541 खरीदारों को जल्द मिलेगा मालिकाना हक
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भारत समेत 14 देशों के वीजा पर सऊदी अरब ने लगाई रोक, बदले कई नियम, आखिर हज से पहले क्यों लिया ये फैसला?

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रियाद – सऊदी अरब ने हज यात्रा के मद्देनज़र एक बड़ा कदम उठाते हुए 14 देशों के नागरिकों के लिए कुछ वीजा श्रेणियों पर अस्थायी रोक लगाने का फैसला किया है। इस सूची में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, और कई अन्य देश शामिल हैं। यह निर्णय मुख्य रूप से हज सीजन के दौरान अत्यधिक भीड़ को नियंत्रित करने और अनधिकृत तीर्थयात्रियों को रोकने के उद्देश्य से लिया गया है।

सऊदी अरब के किस वीजा पर प्रतिबंध लगा है?

यह प्रतिबंध विशेष रूप से टूरिस्ट, विजिट, वर्क या बिजनेस वीजा जैसे अन्य सामान्य वीजा श्रेणियों पर लागू किया गया है। यानी वे लोग जो बिना वैध हज परमिट के सऊदी अरब आना चाहते थे, फिलहाल वीजा नहीं ले पाएंगे।

हज वीजा रखने वाले तीर्थयात्रियों के लिए राहत

इस फैसले से उन लोगों को छूट दी गई है जो सिर्फ हज करने के लिए जा रहे हैं और जिनके पास वैध हज वीजा या परमिट है। ऐसे तीर्थयात्रियों को मक्का और मदीना में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी और वे हज की रस्मों में हिस्सा ले सकेंगे।

सऊदी सरकार का क्या है उद्देश्य

सऊदी अधिकारियों के अनुसार, हर साल लाखों लोग हज यात्रा पर आते हैं, जिससे मक्का और मदीना में भारी भीड़ होती है। अनेक लोग बिना पंजीकरण के या अलग वीजा कैटेगरी में आकर हज में हिस्सा लेते हैं, जिससे व्यवस्था पर बोझ बढ़ता है और तीर्थयात्रियों की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। इस बार सरकार पहले से ही सतर्क है और केवल अधिकृत तीर्थयात्रियों को अनुमति देना चाहती है।

कब तक लागू रहेगा प्रतिबंध?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह वीजा निलंबन मिड-जून 2025 तक लागू रहेगा — यानी हज यात्रा समाप्त होने तक। इसके बाद स्थिति की समीक्षा कर आगे का फैसला लिया जाएगा।

भारत सहित प्रभावित देश कौन-कौन से हैं?

हालांकि पूरी 14 देशों की सूची आधिकारिक रूप से साझा नहीं की गई है, परन्तु मीडिया रिपोर्ट्स में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे दक्षिण एशियाई देशों का ज़िक्र प्रमुखता से किया गया है। इंतजार खत्म, ग्रेनो में 541 खरीदारों को जल्द मिलेगा मालिकाना हक
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Stock Market : टैरिफ से एशिया बाजार में गिरावट, भारत क्यों हिला?

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar07 APR 2025 03:34 PM
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Stock Market :  सोमवार का दिन भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में एक और ‘ब्लैक मंडे’ बनकर उभरा। सेंसेक्स ने बाजार खुलते ही 3900 अंकों की भारी गिरावट के साथ शुरुआत की, जबकि निफ्टी भी लगभग 1100 अंकों तक टूट गया। इसका सबसे बड़ा कारण अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित आयात शुल्क है, जिसने न केवल भारत, बल्कि पूरे एशिया के वित्तीय बाजारों को हिलाकर रख दिया।

क्या है ट्रंप के टैरिफ का मामला?

डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में विदेशी वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ाने की घोषणा की है, जो वैश्विक व्यापार पर एक बड़ा झटका है। इस फैसले से अमेरिका में आयात महंगे हो जाएंगे और इसका सीधा असर एशियाई देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ेगा, जो निर्यात पर काफी हद तक निर्भर हैं।

भारत में कैसा दिखा असर?

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स सोमवार सुबह खुलते ही 5 प्रतिशत से अधिक की गिरावट के साथ लुढ़क गया। यह पिछले कुछ वर्षों में एक दिन में आई सबसे बड़ी गिरावटों में से एक है। अनुमान है कि इस एक दिन में निवेशकों के करीब 20 लाख करोड़ रुपये डूब गए।

एशिया के अन्य बाजार भी डगमगाए

सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि जापान, चीन, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के बाजारों में भी जबरदस्त बिकवाली देखने को मिली। चीन का शंघाई कंपोजिट, जापान का निक्केई और कोरिया का KOSPI सभी प्रमुख सूचकांक गिरावट के साथ बंद हुए। बाजार जानकारों ने इस दिन को ‘ब्लडबाथ’ करार दिया है।

टैरिफ का असर एशिया पर क्यों सबसे ज्यादा?

एशिया के अधिकांश देश मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात पर आश्रित हैं। भारत, चीन, वियतनाम, बांग्लादेश जैसे देशों की अर्थव्यवस्थाएं अमेरिका जैसे बड़े बाजारों में माल बेचकर फलती-फूलती हैं। ऐसे में अगर अमेरिकी ग्राहक विदेशी सामान खरीदने के लिए अधिक कीमत चुकाने को मजबूर होंगे, तो उसकी सीधी मार एशियाई निर्यातकों पर पड़ेगी। यही वजह है कि बाजारों में डर का माहौल बन गया है।

पूर्व अमेरिकी वाणिज्य उप-मंत्री फ्रैंक लाविन के अनुसार, “ट्रंप के टैरिफ से सबसे बड़ा असर एशिया के बाजारों पर पड़ेगा, क्योंकि यही देश अमेरिका को सबसे ज्यादा निर्यात करते हैं।”

आम आदमी पर क्या पड़ेगा असर?

शेयर बाजार की गिरावट का सीधा असर निवेशकों की संपत्ति पर पड़ता है, लेकिन इसका दीर्घकालिक प्रभाव आम लोगों की रोज़मर्रा की जिंदगी पर भी हो सकता है। कंपनियों के मुनाफे घटने से नौकरियों पर खतरा मंडरा सकता है, वहीं रुपए की कमजोरी से आयातित वस्तुएं महंगी हो सकती हैं।

क्या अमेरिका में मंदी की आहट है?

ट्रंप के टैरिफ के चलते केवल एशिया ही नहीं, अमेरिका की आर्थिक सेहत पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। जेपी मॉर्गन ने कहा है कि अमेरिका में मंदी की आशंका अब 60 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है। गोल्डमैन सैक्स ने भी अगले 12 महीनों में मंदी की संभावना को 45% तक बढ़ा दिया है।    Stock Market : 

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