पुतिन से मिले ट्रंप के दूत, शांति की उम्मीद या दिखावा?

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Russia :
locationभारत
userचेतना मंच
calendar12 APR 2025 00:04 PM
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Russia : करीब दस दिन की चुप्पी के बाद रूस (Russia) के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सार्वजनिक रूप से फिर सामने आए। उन्होंने अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ से सेंट पीटर्सबर्ग में मुलाकात की। यह बैठक चार घंटे से अधिक चली और इसका मकसद यूक्रेन में चल रहे युद्ध को समाप्त करने की संभावनाओं पर चर्चा करना था। हालांकि बैठक को लेकर उम्मीदें ज्यादा नहीं हैं, लेकिन यह वार्ता वैश्विक स्तर पर एक नई हलचल जरूर पैदा कर रही है।

ट्रंप का दबाव और विटकॉफ की भूमिका

डोनाल्ड ट्रंप ने रूस (Russia) से शांति वार्ता में तेजी लाने की अपील की है। उन्होंने ‘ट्रुथ सोशल’ पर कहा कि रूस को अब देरी नहीं करनी चाहिए क्योंकि हर हफ्ते हजारों लोग इस युद्ध में मारे जा रहे हैं। ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अगर रूस बातचीत के लिए तैयार नहीं हुआ, तो वह उन देशों पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाएंगे जो रूसी तेल खरीदते हैं। विटकॉफ के जरिए यह संदेश पुतिन तक पहुंचाया गया है, और यह इस वर्ष पुतिन और विटकॉफ के बीच तीसरी मुलाकात थी।

रूस की रणनीति और पुतिन की शर्तें

रूस (Russia) का रुख साफ है – वह युद्ध को तभी रोकेगा जब उसकी कुछ बुनियादी मांगें मानी जाएं। इनमें प्रमुख हैं:
  • यूक्रेन का नाटो में शामिल न होना,
  • यूक्रेनी सेना का आकार सीमित किया जाना,
  • रूस द्वारा कब्जा किए गए चार यूक्रेनी क्षेत्रों से यूक्रेन का पीछे हटना।

बता दें कि रूस को विश्वास है कि वह युद्ध में मजबूत स्थिति में है, क्योंकि वह लगभग 20% यूक्रेनी क्षेत्र पर कब्जा कर चुका है।

अविश्वास की दीवार और आगे की चुनौती

यूक्रेन का मानना है कि रूस की शर्तों को स्वीकार करना आत्मसमर्पण जैसा होगा। वह रूस (Russia) पर बार-बार ऊर्जा समझौतों के उल्लंघन का आरोप लगाता रहा है। इसी कारण दोनों देशों के बीच अविश्वास बहुत गहरा है। इस बीच विटकॉफ की कूटनीतिक यात्रा जारी है और वह अगला पड़ाव ईरान के साथ परमाणु नीति पर बातचीत के लिए ओमान में करेंगे। ट्रंप पहले ही ईरान को कड़ा संदेश दे चुके हैं कि अगर वह समझौते के लिए नहीं माना, तो सैन्य कार्रवाई हो सकती है।Russia :

हिमाचल में पुल टूटने से सैंज-ओट-लुहरी राजमार्ग पर यातायात ठप,भारी जाम

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पुतिन से मिले ट्रंप के दूत, शांति की उम्मीद या दिखावा?

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Russia : करीब दस दिन की चुप्पी के बाद रूस (Russia) के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सार्वजनिक रूप से फिर सामने आए। उन्होंने अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ से सेंट पीटर्सबर्ग में मुलाकात की। यह बैठक चार घंटे से अधिक चली और इसका मकसद यूक्रेन में चल रहे युद्ध को समाप्त करने की संभावनाओं पर चर्चा करना था। हालांकि बैठक को लेकर उम्मीदें ज्यादा नहीं हैं, लेकिन यह वार्ता वैश्विक स्तर पर एक नई हलचल जरूर पैदा कर रही है।

ट्रंप का दबाव और विटकॉफ की भूमिका

डोनाल्ड ट्रंप ने रूस (Russia) से शांति वार्ता में तेजी लाने की अपील की है। उन्होंने ‘ट्रुथ सोशल’ पर कहा कि रूस को अब देरी नहीं करनी चाहिए क्योंकि हर हफ्ते हजारों लोग इस युद्ध में मारे जा रहे हैं। ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अगर रूस बातचीत के लिए तैयार नहीं हुआ, तो वह उन देशों पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाएंगे जो रूसी तेल खरीदते हैं। विटकॉफ के जरिए यह संदेश पुतिन तक पहुंचाया गया है, और यह इस वर्ष पुतिन और विटकॉफ के बीच तीसरी मुलाकात थी।

रूस की रणनीति और पुतिन की शर्तें

रूस (Russia) का रुख साफ है – वह युद्ध को तभी रोकेगा जब उसकी कुछ बुनियादी मांगें मानी जाएं। इनमें प्रमुख हैं:
  • यूक्रेन का नाटो में शामिल न होना,
  • यूक्रेनी सेना का आकार सीमित किया जाना,
  • रूस द्वारा कब्जा किए गए चार यूक्रेनी क्षेत्रों से यूक्रेन का पीछे हटना।

बता दें कि रूस को विश्वास है कि वह युद्ध में मजबूत स्थिति में है, क्योंकि वह लगभग 20% यूक्रेनी क्षेत्र पर कब्जा कर चुका है।

अविश्वास की दीवार और आगे की चुनौती

यूक्रेन का मानना है कि रूस की शर्तों को स्वीकार करना आत्मसमर्पण जैसा होगा। वह रूस (Russia) पर बार-बार ऊर्जा समझौतों के उल्लंघन का आरोप लगाता रहा है। इसी कारण दोनों देशों के बीच अविश्वास बहुत गहरा है। इस बीच विटकॉफ की कूटनीतिक यात्रा जारी है और वह अगला पड़ाव ईरान के साथ परमाणु नीति पर बातचीत के लिए ओमान में करेंगे। ट्रंप पहले ही ईरान को कड़ा संदेश दे चुके हैं कि अगर वह समझौते के लिए नहीं माना, तो सैन्य कार्रवाई हो सकती है।Russia :

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बांग्लादेश में यूनुस नहीं ये सख्स है मास्टर माइंड

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Bangladesh Situation
locationभारत
userचेतना मंच
calendar10 APR 2025 03:41 PM
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Bangladesh Situation : बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के गठन के बाद से, मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण नियुक्तियाँ की गई हैं। इनमें से एक प्रमुख नियुक्ति डॉ. खलीलुर रहमान की है, जिन्हें हाल ही में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और रोहिंग्या मुद्दों पर उच्च प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया गया है। ​

डॉ. खलीलुर रहमान कौन हैं?

डॉ. खलीलुर रहमान एक अनुभवी राजनयिक और अर्थशास्त्री हैं। उन्होंने ढाका विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी में स्नातकोत्तर किया है, और टफ्ट्स विश्वविद्यालय के फ्लेचर स्कूल आॅफ लॉ एंड डिप्लोमेसी से एमए तथा हार्वर्ड विश्वविद्यालय के केनेडी स्कूल आॅफ गवर्नमेंट से अर्थशास्त्र में पीएचडी प्राप्त की है। ​ अपने करियर के दौरान, डॉ. रहमान ने बांग्लादेश सिविल सेवा के माध्यम से विदेश सेवा में प्रवेश किया और संयुक्त राष्ट्र में विभिन्न वरिष्ठ पदों पर कार्य किया, जिसमें वे संयुक्त राष्ट्र महासचिव के कार्यकारी कार्यालय में आर्थिक, सामाजिक और विकास मामलों के प्रमुख रहे हैं। ​

अंतरिम सरकार में उनकी भूमिका

19 नवंबर 2024 को, डॉ. रहमान को मुख्य सलाहकार के रोहिंग्या समस्या और प्राथमिकता वाले मामलों के उच्च प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया गया था, जिसमें उन्हें सलाहकार के समकक्ष दर्जा दिया गया। बाद में, 9 अप्रैल 2025 को, उनकी भूमिका का विस्तार करते हुए उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का पदभार भी सौंपा गया, जिससे उनकी जिम्मेदारियाँ और प्रभाव क्षेत्र बढ़ गया। ​

शक्ति संतुलन और प्रभाव

डॉ. रहमान की नियुक्ति और उनकी बढ़ती जिम्मेदारियों से यह संकेत मिलता है कि वे अंतरिम सरकार में एक महत्वपूर्ण शक्ति केंद्र बन गए हैं। उनकी पश्चिमी देशों और संयुक्त राष्ट्र के साथ घनिष्ठ संबंधों के कारण, उन्हें अंतरराष्ट्रीय समर्थन प्राप्त है, जो बांग्लादेश की वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस संदर्भ में, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के बजाय, वास्तविक शक्ति और निर्णय लेने की क्षमता डॉ. खलीलुर रहमान के हाथों में केंद्रित हो सकती है।​ अंतरिम सरकार के भीतर इस शक्ति संतुलन का बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति और विदेश नीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है, विशेषकर भारत-बांग्लादेश संबंधों के संदर्भ में, जहां डॉ. रहमान की नीतियाँ और दृष्टिकोण महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

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