Space Mission : अंतरिक्ष की ओर भारत का अगला कदम इस बार लखनऊ के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के साथ जुड़ा है। उन्हें लेकर चल रहे एक्सिओम स्पेस AXIOM Space के मिशन एक्स-4 में उनकी बीमा राशि लगभग 150 करोड़ रुपये बताई जा रही है। यह सुनकर सवाल उठता है कि क्या अंतरिक्ष बीमा वाकई इतना महंगा होता है? और यदि हां, तो क्यों?
स्पेस बीमा : सिर्फ जान का नहीं, पूरे मिशन का कवरेज
अंतरिक्ष यात्रा को धरती पर की गई किसी भी यात्रा से अधिक खतरनाक माना जाता है। लॉन्चिंग से लेकर आर्बिट में पहुंचने, अंतरिक्ष स्टेशन से डॉकिंग और फिर सुरक्षित वापसी हर चरण में जीवन को जोखिम रहता है। इसी कारण अंतरिक्ष यात्री का बीमा केवल उसके जीवन तक सीमित नहीं होता, बल्कि इसमें शामिल होते हैं:
-ट्रेनिंग के दौरान संभावित दुर्घटनाएं
-मिशन टलने या रद होने की स्थिति
-मिशन के बीच तकनीकी विफलता या आपात वापसी
-स्थायी चोट, अपंगता या मृत्यु की स्थिति
60 मिलियन डॉलर की सीट, 150 करोड़ का बीमा
भारत सरकार ने एक्स-4 मिशन के लिए शुभांशु की सीट खरीदी है, जिसकी अनुमानित कीमत लगभग 60 मिलियन डॉलर (करीब 500 करोड़) है। इसमें ट्रेनिंग, लॉजिस्टिक्स, उपकरण, रिहायश, खानपान और बीमा शामिल है। अंतरिक्ष बीमा का कवरेज आमतौर पर यात्री के हिस्से की मिशन लागत का 30-40% तक होता है, इसलिए 150-200 करोड़ रुपये का बीमा अनुमान असामान्य नहीं है।
इतना महंगा क्यों होता है स्पेस बीमा?
-जोखिम की ऊंचाई: अंतरिक्ष में एक भी तकनीकी खराबी जानलेवा साबित हो सकती है।
-बचाव की असंभवता: संकट आने पर वहां कोई सहायता नहीं पहुंच सकती।
-लॉन्च की लागत: एक-एक सेकंड की देरी में करोड़ों का नुकसान होता है।
-मानव जीवन की जिम्मेदारी: यात्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी अंतरिक्ष एजेंसी की होती है।
कौन-कौन सी एजेंसियां देती हैं स्पेस बीमा?
-नासा, इसा, इसरो, जैक्सा जैसी सरकारी स्पेस एजेंसियां
-AXIOM Space, स्पेसेक्स, ब्लू ओरिजिन जैसी निजी कंपनियां
-बीमा की लागत मिशन आयोजक एजेंसी के जिम्मे होती है या फिर सरकार वहन करती है।
-बीमा प्रीमियम आमतौर पर राशि का 10-20% होता है और क्लेम सीधे यात्री के वैध उत्तराधिकारी को जाता है।
अतीत से सीख: जब आटोग्राफ ही थे ‘इंशोरेंस’
1960 के दशक में जब नासा के पास स्पेस बीमा की सुविधा नहीं थी, तब अंतरिक्ष यात्री मिशन से पहले अपने आटोग्राफ छोड़ जाते थे। विचार यह था कि यदि उन्हें कुछ हो जाए, तो परिवार उस आॅटोग्राफ को बेचकर आर्थिक मदद पा सके। एक वो दिन था और एक आज का दिन है, ये अंतरिक्ष के क्षेत्र की प्रगति को स्पष्टतया दर्शाती है।
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