अमेरिका का निशाना : एडवाइजर बोले, टैरिफ कम चाहिए तो बंद करो रूसी तेल की खरीद

अमेरिका का निशाना : एडवाइजर बोले, टैरिफ कम चाहिए तो बंद करो रूसी तेल की खरीद
locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 AUG 2025 11:37 AM
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भारत-अमेरिका रिश्तों में इन दिनों ट्रंप की टैरिफ को लेकर तल्खी साफ झलक रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% तक का टैरिफ लगा दिया है और अब व्हाइट हाउस के सलाहकार पीटर नवारो ने बयान देकर इसे रूस-यूक्रेन युद्ध से जोड़ दिया है। नवारो ने यहां तक कह दिया कि यूक्रेन की जंग अब मोदी का युद्ध है। क्योंकि भारत रूसी तेल खरीदकर मॉस्को की आक्रामकता को बढ़ावा दे रहा है। अगर उसे इस टैरिफ से बचना हो तो वह रूस से तेल खरीदना बंद करे। Trump Tarriffs :

अमेरिका का सीधा प्रस्ताव, रूसी तेल छोड़ो, टैरिफ घटेगा

पीटर नवारो ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर भारत रूसी तेल खरीदना बंद कर दे, तो उसे अमेरिकी टैरिफ में तुरंत 25% की राहत मिल सकती है। उन्होंने इसे आसान रास्ता बताते हुए कहा कि भारत चाहे तो कल से ही टैरिफ कम हो सकता है, बशर्ते वह रूसी तेल से हाथ खींच ले। ब्लूमबर्ग टीवी को दिए इंटरव्यू में नवारो ने कहा कि यूक्रेन युद्ध का समाधान आंशिक रूप से नई दिल्ली के रुख पर निर्भर है। उनका कहना था कि भारत का रवैया अमेरिकी टैक्सपेयर्स पर बोझ डाल रहा है, क्योंकि रूस से सस्ता तेल खरीदने के बाद भारत उसे रिफाइन करके बेचता है और इस कमाई से रूस अपनी युद्ध मशीनरी को और ताकतवर बना रहा है।

भारत की संप्रभुता पर तंज

नवारो ने भारत पर अहंकार दिखाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, भारतीय कहते हैं कि यह हमारी संप्रभुता है, हम जिससे चाहें तेल खरीद सकते हैं, लेकिन नतीजा यह है कि रूस और मजबूत हो रहा है और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है। व्हाइट हाउस एडवाइजर ने कहा कि भारत की मौजूदा पॉलिसी से अमेरिका के हर सेक्टर पर असर पड़ रहा है। हमारी नौकरियां जा रही हैं, फैक्ट्रियां बंद हो रही हैं और वेतन कम हो रहा है। भारत हमें सामान बेचता है, उस पैसे से रूसी तेल खरीदता है और रूस उस पैसे से हथियार बनाकर यूक्रेनियों को मारता है। इसका खामियाजा अमेरिकी टैक्सपेयर्स को भुगतना पड़ रहा है।

मोदी पर डबल एज कमेंट

नवारो ने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें महान नेता और परिपक्व लोकतंत्र का प्रतिनिधि बताया, लेकिन साथ ही निराशा जताई कि भारत ने अमेरिकी दबाव में झुकने के बजाय अपने हितों को प्राथमिकता दी है। कुल मिलाकर, अमेरिका भारत को रूस से दूरी बनाने के लिए लगातार दबाव में ला रहा है। लेकिन सवाल यह है कि क्या भारत अपने ऊर्जा सुरक्षा हितों से समझौता करेगा, या फिर वाशिंगटन की चेतावनियों को नजरअंदाज कर रूसी तेल खरीद जारी रखेगा? Trump Tarriffs :
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अमेरिका का निशाना : एडवाइजर बोले, टैरिफ कम चाहिए तो बंद करो रूसी तेल की खरीद

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भारत-अमेरिका रिश्तों में इन दिनों ट्रंप की टैरिफ को लेकर तल्खी साफ झलक रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% तक का टैरिफ लगा दिया है और अब व्हाइट हाउस के सलाहकार पीटर नवारो ने बयान देकर इसे रूस-यूक्रेन युद्ध से जोड़ दिया है। नवारो ने यहां तक कह दिया कि यूक्रेन की जंग अब मोदी का युद्ध है। क्योंकि भारत रूसी तेल खरीदकर मॉस्को की आक्रामकता को बढ़ावा दे रहा है। अगर उसे इस टैरिफ से बचना हो तो वह रूस से तेल खरीदना बंद करे। Trump Tarriffs :

अमेरिका का सीधा प्रस्ताव, रूसी तेल छोड़ो, टैरिफ घटेगा

पीटर नवारो ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर भारत रूसी तेल खरीदना बंद कर दे, तो उसे अमेरिकी टैरिफ में तुरंत 25% की राहत मिल सकती है। उन्होंने इसे आसान रास्ता बताते हुए कहा कि भारत चाहे तो कल से ही टैरिफ कम हो सकता है, बशर्ते वह रूसी तेल से हाथ खींच ले। ब्लूमबर्ग टीवी को दिए इंटरव्यू में नवारो ने कहा कि यूक्रेन युद्ध का समाधान आंशिक रूप से नई दिल्ली के रुख पर निर्भर है। उनका कहना था कि भारत का रवैया अमेरिकी टैक्सपेयर्स पर बोझ डाल रहा है, क्योंकि रूस से सस्ता तेल खरीदने के बाद भारत उसे रिफाइन करके बेचता है और इस कमाई से रूस अपनी युद्ध मशीनरी को और ताकतवर बना रहा है।

भारत की संप्रभुता पर तंज

नवारो ने भारत पर अहंकार दिखाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, भारतीय कहते हैं कि यह हमारी संप्रभुता है, हम जिससे चाहें तेल खरीद सकते हैं, लेकिन नतीजा यह है कि रूस और मजबूत हो रहा है और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है। व्हाइट हाउस एडवाइजर ने कहा कि भारत की मौजूदा पॉलिसी से अमेरिका के हर सेक्टर पर असर पड़ रहा है। हमारी नौकरियां जा रही हैं, फैक्ट्रियां बंद हो रही हैं और वेतन कम हो रहा है। भारत हमें सामान बेचता है, उस पैसे से रूसी तेल खरीदता है और रूस उस पैसे से हथियार बनाकर यूक्रेनियों को मारता है। इसका खामियाजा अमेरिकी टैक्सपेयर्स को भुगतना पड़ रहा है।

मोदी पर डबल एज कमेंट

नवारो ने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें महान नेता और परिपक्व लोकतंत्र का प्रतिनिधि बताया, लेकिन साथ ही निराशा जताई कि भारत ने अमेरिकी दबाव में झुकने के बजाय अपने हितों को प्राथमिकता दी है। कुल मिलाकर, अमेरिका भारत को रूस से दूरी बनाने के लिए लगातार दबाव में ला रहा है। लेकिन सवाल यह है कि क्या भारत अपने ऊर्जा सुरक्षा हितों से समझौता करेगा, या फिर वाशिंगटन की चेतावनियों को नजरअंदाज कर रूसी तेल खरीद जारी रखेगा? Trump Tarriffs :
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श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे जमानत पर रिहा

श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे जमानत पर रिहा
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userचेतना मंच
calendar26 AUG 2025 02:10 PM
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Colombo News : भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार देश के पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को आज दोपहर जमानत पर रिहा कर दिया गया। इससे पहले कोलंबो फोर्ट मजिस्ट्रेट निलुपिली लंकापुरा ने उन्हें जमानत प्रदान की। अगली सुनवाई 29 अक्टूबर को होगी। पुलिस ने आज उनकी अदालत में पेशी होने की संभावना के मद्देनजर सुरक्षा का कड़ा बंदोबस्त किया।

श्रीलंका के इतिहास में गिरफ्तार होने वाले पहले पूर्व राष्ट्रपति

डेली मिरर अखबार के अनुसार, पुलिस ने अदालत की ओर जाने वाले तीन प्रमुख रास्तों पर लोगों की आवाजाही सीमित कर दी। उल्लेखनीय है कि आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने 22 अगस्त को चार घंटे की पूछताछ के बाद पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को गिरफ्तार किया था। वे सरकारी धन के दुरुपयोग के आरोपों पर बयान दर्ज कराने के लिए एजेंसी के दफ्तर पहुंचे थे। यह मामला सितंबर, 2023 में उनकी पत्नी प्रो. मैत्री विक्रमसिंघे के वॉल्वरहैम्प्टन विश्वविद्यालय के स्नातक समारोह में शामिल होने के लिए लंदन की उनकी यात्रा से संबंधित है। वह श्रीलंका के इतिहास में गिरफ्तार होने वाले पहले पूर्व राष्ट्रपति हैं।

यात्रा और सुरक्षा खर्चों के लिए सरकारी धन का इस्तेमाल

आपराधिक जांच विभाग के अधिकारियों का दावा है कि यात्रा और सुरक्षा खर्चों के लिए सरकारी धन का इस्तेमाल किया गया। पूर्व राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने इन आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने जोर देकर कहा है कि उनकी पत्नी ने अपना खर्च खुद वहन किया और किसी भी सार्वजनिक धन का दुरुपयोग नहीं किया। इससे पहले सीआईडी ​​ने उनकी पूर्व निजी सचिव सैंड्रा परेरा और पूर्व राष्ट्रपति सचिव समन एकनायके के बयान दर्ज किए थे। बाद में बयानों को फोर्ट मजिस्ट्रेट कोर्ट में साक्ष्य के तौर पर पेश किया। विक्रमसिंघे ने गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे के बाद जुलाई, 2022 में राष्ट्रपति पद संभाला था। सितंबर, 2024 में वह चुनाव हार गए।