अमेरिका-चीन के बीच 'टैरिफ वॉर' में ब्राजील बना गेमचेंजर, रेयर अर्थ भंडार से पलटेगा शक्ति संतुलन
भारत
चेतना मंच
25 OCT 2025 01:06 PM
दुनिया की आर्थिक रणनीति के केंद्र में अब रेयर अर्थ एलिमेंट्स यानी दुर्लभ धातुएं आ चुकी हैं। और इस भू-राजनीतिक खेल में अब ब्राजील वह देश बन गया है, जिसके पास ऐसा हथियार है जो न सिर्फ अमेरिका-चीन की प्रतिस्पर्धा का रुख बदल सकता है, बल्कि नई वैश्विक शक्ति संतुलन की कहानी भी लिख सकता है। Tariff War :
रेयर अर्थ हाईटेक दुनिया की जीवनरेखा
रेयर अर्थ मेटल्स 17 ऐसी धातुएं हैं जो हर आधुनिक तकनीक की रीढ़ हैं इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, सोलर पैनल, मोबाइल फोन, मिसाइल सिस्टम से लेकर जेट इंजन तक। इन धातुओं के बिना कोई भी हाई-टेक उद्योग टिक नहीं सकता। अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, चीन के पास 44 मिलियन मीट्रिक टन, जबकि ब्राजील के पास 21 मिलियन टन का विशाल भंडार है। यही कारण है कि इन धातुओं को अब भू-राजनीतिक हथियार कहा जा रहा है। जो देश इन्हें नियंत्रित करेगा, वह वैश्विक सप्लाई चेन की दिशा तय करेगा।
ट्रंप प्रशासन से बढ़ता तनाव और लूला का संतुलन
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा के बीच हाल के महीनों में टैरिफ विवाद बढ़ा है। अमेरिका ने ब्राजील से आयातित कुछ उत्पादों पर 50% तक का शुल्क लगा दिया है। हालांकि उम्मीद है कि आने वाले एसियन समिट (कुआलालंपुर) में ट्रंप और लूला की आमने-सामने मुलाकात इस विवाद को नए दिशा में मोड़ सकती है। लूला ने कहा है कि वे गाजा, यूक्रेन, रूस, वेनेजुएला और रेयर अर्थ जैसे संवेदनशील मुद्दों पर बात करने को तैयार हैं।
खनिज शक्ति से खुला अवसर का नया दरवाजा
ब्राजील के खनन मंत्री एलेक्जेंडर सिल्वेरा के अनुसार, चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते अविश्वास ने हमारे देश के लिए अवसर की नई खिड़की खोली है। ब्राजील की खनिज क्षमता और अमेरिकी निवेश के बीच अब नए हितों का संगम बन सकता है। वर्तमान में कई अमेरिकी कंपनियां पहले ही ब्राजील के खनन प्रोजेक्ट्स में निवेश कर चुकी हैं, हालांकि यह निवेश फिलहाल केवल माइनिंग लेवल तक सीमित है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ब्राजील वाकई वैश्विक मंच पर निर्णायक भूमिका चाहता है, तो उसे खनिज प्रसंस्करण और मैग्नेट निर्माण जैसे उच्च तकनीकी क्षेत्रों में उतरना होगा।
चीन के साथ साझेदारी की संभावना
एल इकोनोमिस्टा की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्राजील के रेयर अर्थ विशेषज्ञ गिल्बर्टो फर्नांडीस मानते हैं कि अगर ब्राजील इस क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ना चाहता है, तो उसे चीन की तकनीकी विशेषज्ञता का लाभ लेना चाहिए। दरअसल, चीन पहले से ही ब्राजील का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और आॅटोमोबाइल सेक्टर में भारी निवेश कर चुका है। दोनों देश ब्रिक्स समूह के सदस्य भी हैं। यही समीकरण अगर और गहरा हुआ तो यह वाशिंगटन के लिए चिंता का कारण बन सकता है।
वैश्विक शक्ति-संतुलन के चौराहे पर ब्राजील
आज ब्राजील एक रणनीतिक दोराहे पर खड़ा है। एक तरफ अमेरिकी पूंजी और आर्थिक साझेदारी का आकर्षण है, दूसरी ओर चीन की तकनीकी ताकत और दीर्घकालिक निवेश का भरोसा। विशेषज्ञों का कहना है कि ब्राजील की यही डुअल पॉलिसी पोजिशन उसे एक नई वैश्विक शक्ति बना सकती है जो आने वाले वर्षों में रेयर अर्थ डिप्लोमेसी के केंद्र में होगी। Tariff War :
भारत की कोनेरु हम्पी ने दूसरी बार जीता विश्व रैपिड शतरंज, रचा इतिहास
World Chess Champion
भारत
चेतना मंच
29 DEC 2024 05:19 PM
World Chess Champion : खेल के लिहाज से वर्ष 2024 भारत के लिए एक नहीं दो बार एक ही खेल में ऐसा विश्व विजेता खिताब लेकर आया कि सारी दुनियां देखती रह गई। जाते जाते यह वर्ष चेस के क्षेत्र में भारत के लिए यादगार साबित हो गया, जब डी गुकेश के शतरंज में बादशाहत कायम करने के बाद 2024 के अंत में भारत की महिला चेस खिलाड़ी कोनेरु हम्पी ने भी यह बड़ा कारनामा कर दिया। अभी हाल में ही भारत के 18 वर्षीय चेस खिलाड़ी डी गुकेश वर्ल्ड चैम्पियन बने थे, और अब 37 वर्षीय कोनेरु हम्पी ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने महिला चेस में विश्व रैपिड शतरंज खिताब अपने नाम कर लिया है। और उनकी सबसे खास बात यह है कि इस खिताब पर हम्पी ने दूसरी बार कब्जा जमाया है। भारत की कोनेरु हम्पी ने इंडोनेशिया की इरीन सुकंदर को हराकर यह खिताब अपने नाम किया है।
चैंपियन हम्पी को पीएम मोदी ने दी बधाई
पूरा देश डी गुकेश के बाद अब हम्पी की उपलब्धि पर भी गर्व महसूस कर रहा है। भारत की कोनेरु हम्पी ने दूसरी बार इस खिताब पर कब्जा किया है। पहली बार हम्पी ने विश्व रैपिड शतरंज चैंपियनशिप 2019 में जॉर्जिया में जीती थी। अब पांच साल बाद फिर से उन्होंने इतिहास दोहरा दिया है। हम्पी को ऐतिहासिक जीत पर देशभर से उन्हें बधाई और शुभकामनांए मिल रही है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें विश्व चैंपियन बनने की बधाई दी है। मात्र पांच साल बाद दोबारा इस खिताब पर कब्जा करके हम्पी ने ये दिखा दिया कि महिलाएं भी किसी से कम नहीं हैं।
अगर न जीतती तो मेरा पांच साल का सपना टूट जाता
दूसरी बार विश्व रैपिड खिताब अपने नाम करने के बाद कोनेरू हम्पी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, मैं बहुत खुश और उत्साहित हूं क्योंकि यह मेरा दूसरा विश्व रैपिड खिताब है। मैं 2019 में भी जीती थी। तभी से इसे एक बार और जीतने का मैं सपना देख रही थी। अगर यह मुकाबला ड्रॉ हो जाता तो मेरा पांच साल का सपना टूट जाता। उन्हें जीत की दरकार थी और उन्होंने अपनी विरोधी इरिन सुकंदर को हराकर शानदार जीत हासिल की। भारतीय ग्रैंडमास्टर ने 11 में से 8.5 अंकों के साथ चैम्पियनशिप का अंत किया। शतरंज की इस विश्व विजेता 37 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा, मैं अपने करियर में, जब भी मैं निचले स्तर पर होती हूं और सोचती हूं कि मैं हार रही हूं, तो कुछ चमत्कार होता है और मैं वापस आ जाती हूं। इससे मुझे आगे लड़ते रहने करने की प्रेरणा मिलती है, आज उसी का नतीजा है कि मैं एक बार फिर इस विश्व खिताब को जीत सकी।
World Chess Champion : खेल के लिहाज से वर्ष 2024 भारत के लिए एक नहीं दो बार एक ही खेल में ऐसा विश्व विजेता खिताब लेकर आया कि सारी दुनियां देखती रह गई। जाते जाते यह वर्ष चेस के क्षेत्र में भारत के लिए यादगार साबित हो गया, जब डी गुकेश के शतरंज में बादशाहत कायम करने के बाद 2024 के अंत में भारत की महिला चेस खिलाड़ी कोनेरु हम्पी ने भी यह बड़ा कारनामा कर दिया। अभी हाल में ही भारत के 18 वर्षीय चेस खिलाड़ी डी गुकेश वर्ल्ड चैम्पियन बने थे, और अब 37 वर्षीय कोनेरु हम्पी ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने महिला चेस में विश्व रैपिड शतरंज खिताब अपने नाम कर लिया है। और उनकी सबसे खास बात यह है कि इस खिताब पर हम्पी ने दूसरी बार कब्जा जमाया है। भारत की कोनेरु हम्पी ने इंडोनेशिया की इरीन सुकंदर को हराकर यह खिताब अपने नाम किया है।
चैंपियन हम्पी को पीएम मोदी ने दी बधाई
पूरा देश डी गुकेश के बाद अब हम्पी की उपलब्धि पर भी गर्व महसूस कर रहा है। भारत की कोनेरु हम्पी ने दूसरी बार इस खिताब पर कब्जा किया है। पहली बार हम्पी ने विश्व रैपिड शतरंज चैंपियनशिप 2019 में जॉर्जिया में जीती थी। अब पांच साल बाद फिर से उन्होंने इतिहास दोहरा दिया है। हम्पी को ऐतिहासिक जीत पर देशभर से उन्हें बधाई और शुभकामनांए मिल रही है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें विश्व चैंपियन बनने की बधाई दी है। मात्र पांच साल बाद दोबारा इस खिताब पर कब्जा करके हम्पी ने ये दिखा दिया कि महिलाएं भी किसी से कम नहीं हैं।
अगर न जीतती तो मेरा पांच साल का सपना टूट जाता
दूसरी बार विश्व रैपिड खिताब अपने नाम करने के बाद कोनेरू हम्पी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, मैं बहुत खुश और उत्साहित हूं क्योंकि यह मेरा दूसरा विश्व रैपिड खिताब है। मैं 2019 में भी जीती थी। तभी से इसे एक बार और जीतने का मैं सपना देख रही थी। अगर यह मुकाबला ड्रॉ हो जाता तो मेरा पांच साल का सपना टूट जाता। उन्हें जीत की दरकार थी और उन्होंने अपनी विरोधी इरिन सुकंदर को हराकर शानदार जीत हासिल की। भारतीय ग्रैंडमास्टर ने 11 में से 8.5 अंकों के साथ चैम्पियनशिप का अंत किया। शतरंज की इस विश्व विजेता 37 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा, मैं अपने करियर में, जब भी मैं निचले स्तर पर होती हूं और सोचती हूं कि मैं हार रही हूं, तो कुछ चमत्कार होता है और मैं वापस आ जाती हूं। इससे मुझे आगे लड़ते रहने करने की प्रेरणा मिलती है, आज उसी का नतीजा है कि मैं एक बार फिर इस विश्व खिताब को जीत सकी।
भारत की कोनेरु हम्पी ने दूसरी बार जीता विश्व रैपिड शतरंज, रचा इतिहास
World Chess Champion
भारत
चेतना मंच
29 DEC 2024 05:19 PM
World Chess Champion : खेल के लिहाज से वर्ष 2024 भारत के लिए एक नहीं दो बार एक ही खेल में ऐसा विश्व विजेता खिताब लेकर आया कि सारी दुनियां देखती रह गई। जाते जाते यह वर्ष चेस के क्षेत्र में भारत के लिए यादगार साबित हो गया, जब डी गुकेश के शतरंज में बादशाहत कायम करने के बाद 2024 के अंत में भारत की महिला चेस खिलाड़ी कोनेरु हम्पी ने भी यह बड़ा कारनामा कर दिया। अभी हाल में ही भारत के 18 वर्षीय चेस खिलाड़ी डी गुकेश वर्ल्ड चैम्पियन बने थे, और अब 37 वर्षीय कोनेरु हम्पी ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने महिला चेस में विश्व रैपिड शतरंज खिताब अपने नाम कर लिया है। और उनकी सबसे खास बात यह है कि इस खिताब पर हम्पी ने दूसरी बार कब्जा जमाया है। भारत की कोनेरु हम्पी ने इंडोनेशिया की इरीन सुकंदर को हराकर यह खिताब अपने नाम किया है।
चैंपियन हम्पी को पीएम मोदी ने दी बधाई
पूरा देश डी गुकेश के बाद अब हम्पी की उपलब्धि पर भी गर्व महसूस कर रहा है। भारत की कोनेरु हम्पी ने दूसरी बार इस खिताब पर कब्जा किया है। पहली बार हम्पी ने विश्व रैपिड शतरंज चैंपियनशिप 2019 में जॉर्जिया में जीती थी। अब पांच साल बाद फिर से उन्होंने इतिहास दोहरा दिया है। हम्पी को ऐतिहासिक जीत पर देशभर से उन्हें बधाई और शुभकामनांए मिल रही है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें विश्व चैंपियन बनने की बधाई दी है। मात्र पांच साल बाद दोबारा इस खिताब पर कब्जा करके हम्पी ने ये दिखा दिया कि महिलाएं भी किसी से कम नहीं हैं।
अगर न जीतती तो मेरा पांच साल का सपना टूट जाता
दूसरी बार विश्व रैपिड खिताब अपने नाम करने के बाद कोनेरू हम्पी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, मैं बहुत खुश और उत्साहित हूं क्योंकि यह मेरा दूसरा विश्व रैपिड खिताब है। मैं 2019 में भी जीती थी। तभी से इसे एक बार और जीतने का मैं सपना देख रही थी। अगर यह मुकाबला ड्रॉ हो जाता तो मेरा पांच साल का सपना टूट जाता। उन्हें जीत की दरकार थी और उन्होंने अपनी विरोधी इरिन सुकंदर को हराकर शानदार जीत हासिल की। भारतीय ग्रैंडमास्टर ने 11 में से 8.5 अंकों के साथ चैम्पियनशिप का अंत किया। शतरंज की इस विश्व विजेता 37 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा, मैं अपने करियर में, जब भी मैं निचले स्तर पर होती हूं और सोचती हूं कि मैं हार रही हूं, तो कुछ चमत्कार होता है और मैं वापस आ जाती हूं। इससे मुझे आगे लड़ते रहने करने की प्रेरणा मिलती है, आज उसी का नतीजा है कि मैं एक बार फिर इस विश्व खिताब को जीत सकी।
World Chess Champion : खेल के लिहाज से वर्ष 2024 भारत के लिए एक नहीं दो बार एक ही खेल में ऐसा विश्व विजेता खिताब लेकर आया कि सारी दुनियां देखती रह गई। जाते जाते यह वर्ष चेस के क्षेत्र में भारत के लिए यादगार साबित हो गया, जब डी गुकेश के शतरंज में बादशाहत कायम करने के बाद 2024 के अंत में भारत की महिला चेस खिलाड़ी कोनेरु हम्पी ने भी यह बड़ा कारनामा कर दिया। अभी हाल में ही भारत के 18 वर्षीय चेस खिलाड़ी डी गुकेश वर्ल्ड चैम्पियन बने थे, और अब 37 वर्षीय कोनेरु हम्पी ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने महिला चेस में विश्व रैपिड शतरंज खिताब अपने नाम कर लिया है। और उनकी सबसे खास बात यह है कि इस खिताब पर हम्पी ने दूसरी बार कब्जा जमाया है। भारत की कोनेरु हम्पी ने इंडोनेशिया की इरीन सुकंदर को हराकर यह खिताब अपने नाम किया है।
चैंपियन हम्पी को पीएम मोदी ने दी बधाई
पूरा देश डी गुकेश के बाद अब हम्पी की उपलब्धि पर भी गर्व महसूस कर रहा है। भारत की कोनेरु हम्पी ने दूसरी बार इस खिताब पर कब्जा किया है। पहली बार हम्पी ने विश्व रैपिड शतरंज चैंपियनशिप 2019 में जॉर्जिया में जीती थी। अब पांच साल बाद फिर से उन्होंने इतिहास दोहरा दिया है। हम्पी को ऐतिहासिक जीत पर देशभर से उन्हें बधाई और शुभकामनांए मिल रही है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें विश्व चैंपियन बनने की बधाई दी है। मात्र पांच साल बाद दोबारा इस खिताब पर कब्जा करके हम्पी ने ये दिखा दिया कि महिलाएं भी किसी से कम नहीं हैं।
अगर न जीतती तो मेरा पांच साल का सपना टूट जाता
दूसरी बार विश्व रैपिड खिताब अपने नाम करने के बाद कोनेरू हम्पी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, मैं बहुत खुश और उत्साहित हूं क्योंकि यह मेरा दूसरा विश्व रैपिड खिताब है। मैं 2019 में भी जीती थी। तभी से इसे एक बार और जीतने का मैं सपना देख रही थी। अगर यह मुकाबला ड्रॉ हो जाता तो मेरा पांच साल का सपना टूट जाता। उन्हें जीत की दरकार थी और उन्होंने अपनी विरोधी इरिन सुकंदर को हराकर शानदार जीत हासिल की। भारतीय ग्रैंडमास्टर ने 11 में से 8.5 अंकों के साथ चैम्पियनशिप का अंत किया। शतरंज की इस विश्व विजेता 37 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा, मैं अपने करियर में, जब भी मैं निचले स्तर पर होती हूं और सोचती हूं कि मैं हार रही हूं, तो कुछ चमत्कार होता है और मैं वापस आ जाती हूं। इससे मुझे आगे लड़ते रहने करने की प्रेरणा मिलती है, आज उसी का नतीजा है कि मैं एक बार फिर इस विश्व खिताब को जीत सकी।
मेलबर्न में नितीश रेड्डी ने जड़ा तूफानी शतक, भारत को उबारा
India V's Australia
भारत
चेतना मंच
28 DEC 2024 01:27 PM
India V's Australia : मेलबर्न में आस्ट्रेलिया के विशाल स्कोर का जवाब देने उतरी इंडिया की टीम की बैटिंग इतनी खराब रही कि एक समय तो लगा कि किसी भी सूरत में उन्हें फॉलोआन खेलना ही पड़ेगा। लेकिन नितीश रेड्डी आठवें नंबर पर बल्लेबाजी के लिए जब उतरे तो सारा सिनेरियो ही चेंज हो गया। बल्लेबाजी के लिए आठवें नंबर पर जब नितीश रेड्डी उतरे तो अपनी इस पारी के दौरान शुरुआत से ही अच्छे लय में नजर आ रहे थे। नितीश रेड्डी का टेस्ट क्रिकेट और आस्ट्रेलियाई धरती पर पहला शतक है लेकिन कहीं से भी यह नजर नहीं आ रहा था। पूरे खेल के दौरान वे किसी पेशेवर की तरह खेलते नजर आए। मेलबर्न की पिच पर नितीश रेड्डी ने शतक जड़कर पूरी दुनिया को ये बता दिया कि वह वर्ल्ड क्लास आॅलराउंडर हैं। नितीश रेड्डी ने अपनी पारी के दौरान कंगारू गेंदबाजों की नाक में दम कर दिया। नितीश रेड्डी ऐसी बल्लेबाजी की कि किसी भी मैच का रुख पलटने में वे सक्षम हैं।
रनों की आतिशबाजी से फैंस का भरपूर मनोरंजन
नितीश रेड्डी ने अपने बल्ले से धमाका करते हुए यह सिद्ध कर दिया कि वे भारत के धाकड़ आॅलराउंडर हैं। उन्होंने मेलबर्न में आॅस्ट्रेलिया पर बल्ले से मैदान के चारों ओर महाप्रहार किया। मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में भारत के इस युवा आलराउंडर ने चौथे टेस्ट के तीसरे दिन रनों की आतिशबाजी से फैंस का भरपूर मनोरंजन किया। नितीश रेड्डी ने मैदान के चारों ओर शाट लगाते हुए अपने टेस्ट करियर का पहला शतक ठोकते हुए मेलबर्न टेस्ट में भारत को मुश्किल हालात से निकालने का काम किया है। मेलबर्न में आस्ट्रेलिया की धरती पर नितीश रेड्डी ने टेस्ट शतक जड़कर ऐसा तूफान मचाया है कि इस समय वर्ल्ड क्रिकेट में उनकी तूती बोल रही है। उनके पराक्रमी खेल को देखते हुए सभी यह कह रहे थे कि अगर भारतीय टीम से एक और ऐसा खेल गया होता तो क्या होता।
नितीश रेड्डी ने अपने टेस्ट डेब्यू मैच में शतक ठोका
खबर लिखते समय भारत के 21 साल के नितीश रेड्डी फिलहाल 176 गेंदों पर 105 रन बनाकर खेल रहे थे। नितीश रेड्डी ने इस दौरान 59.66 के स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी करते हुए 10 चौके और 1 छक्का ठोक कर आस्ट्रलियाई टीम को भारी परेशानी में डाल दिया है। इस पारी के बाद टीम इंडिया के फास्ट बॉलिंग आलराउंडर नितीश रेड्डी की हर जगह चर्चा हो रही है। खास बात यह है कि इसी आॅस्ट्रेलियाई दौरे पर नितीश रेड्डी ने अपना टेस्ट डेब्यू किया है। मेलबर्न की जिस पिच पर भारत के बड़े-बड़े बल्लेबाजों का टिकना बेहद मुश्किल साबित हो रहा था, वहां नितीश रेड्डी ने दिखाया कि बल्लेबाजी कैसे करते हैं। उन्होंने अपनी बल्लेबाजी के दम पर विदेशी सरजमीं पर अपना पहला शतक ठोक दिया। सबसे खास यह है कि यह शतक ऐसे समय पर मारा है जब भारतीय टीम को इस तरह के खेल की सख्त जरूरत थी। चारों ओर उनके खेल की चर्चा हो रहा है।
याद रहेगा नितीश का यह पहला शतक
भारतीय टीम को संकट की घड़ी में मेलबर्न में नितीश रेड्डी ने अपने खेल से बेहतरीन संबल दिया और एक छोर संभाले रखा। उन्होंन अपने प्रदर्शन के बल पर भारतीय पारी को बिखरने नहीं दिया। जिस समय नितीश रेड्डी बल्लेबाजी करने उतरे तो टीम इंडिया का स्कोर 191/6 था। नितीश रेड्डी ने रवींद्र जडेजा के साथ मिलकर सातवें विकेट के लिए 30 रन बनाए और उसके बाद वॉशिंगटन सुंदर ने नितीश रेड्डी का अच्छा साथ दिया। वॉशिंगटन सुंदर और नितीश रेड्डी की जोड़ी ने सातवें विकेट के लिए 127 रन जोड़े। वॉशिंगटन सुंदर 50 रन बनाकर आउट हुए। आॅस्ट्रेलिया के अपने पहले ही दौरे पर नितीश रेड्डी ने टेस्ट शतक जड़कर हर किसी को अपना मुरीद बना लिया है। सोशल मीडिया पर भी नितीश रेड्डी के इस शतक की काफी चर्चा हो रही है। अपने पदार्पण मैच में अपना पहला और टीम के लिए बेशकीमती शतक बनाकर नितीश रेड्डी ने सबका दिल तो जीता ही, यह शतक उन्हें जीवन भर याद रहेगा। यह खबर लिखने तक टीम इंडिया ने पहली पारी में अभी तक 9 विकेट गंवाकर 358 रन बना लिए हैं। इससे पहले आॅस्ट्रेलिया ने अपनी पहली पारी में 474 रन का स्कोर बोर्ड पर लगाया था।
India V's Australia : मेलबर्न में आस्ट्रेलिया के विशाल स्कोर का जवाब देने उतरी इंडिया की टीम की बैटिंग इतनी खराब रही कि एक समय तो लगा कि किसी भी सूरत में उन्हें फॉलोआन खेलना ही पड़ेगा। लेकिन नितीश रेड्डी आठवें नंबर पर बल्लेबाजी के लिए जब उतरे तो सारा सिनेरियो ही चेंज हो गया। बल्लेबाजी के लिए आठवें नंबर पर जब नितीश रेड्डी उतरे तो अपनी इस पारी के दौरान शुरुआत से ही अच्छे लय में नजर आ रहे थे। नितीश रेड्डी का टेस्ट क्रिकेट और आस्ट्रेलियाई धरती पर पहला शतक है लेकिन कहीं से भी यह नजर नहीं आ रहा था। पूरे खेल के दौरान वे किसी पेशेवर की तरह खेलते नजर आए। मेलबर्न की पिच पर नितीश रेड्डी ने शतक जड़कर पूरी दुनिया को ये बता दिया कि वह वर्ल्ड क्लास आॅलराउंडर हैं। नितीश रेड्डी ने अपनी पारी के दौरान कंगारू गेंदबाजों की नाक में दम कर दिया। नितीश रेड्डी ऐसी बल्लेबाजी की कि किसी भी मैच का रुख पलटने में वे सक्षम हैं।
रनों की आतिशबाजी से फैंस का भरपूर मनोरंजन
नितीश रेड्डी ने अपने बल्ले से धमाका करते हुए यह सिद्ध कर दिया कि वे भारत के धाकड़ आॅलराउंडर हैं। उन्होंने मेलबर्न में आॅस्ट्रेलिया पर बल्ले से मैदान के चारों ओर महाप्रहार किया। मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में भारत के इस युवा आलराउंडर ने चौथे टेस्ट के तीसरे दिन रनों की आतिशबाजी से फैंस का भरपूर मनोरंजन किया। नितीश रेड्डी ने मैदान के चारों ओर शाट लगाते हुए अपने टेस्ट करियर का पहला शतक ठोकते हुए मेलबर्न टेस्ट में भारत को मुश्किल हालात से निकालने का काम किया है। मेलबर्न में आस्ट्रेलिया की धरती पर नितीश रेड्डी ने टेस्ट शतक जड़कर ऐसा तूफान मचाया है कि इस समय वर्ल्ड क्रिकेट में उनकी तूती बोल रही है। उनके पराक्रमी खेल को देखते हुए सभी यह कह रहे थे कि अगर भारतीय टीम से एक और ऐसा खेल गया होता तो क्या होता।
नितीश रेड्डी ने अपने टेस्ट डेब्यू मैच में शतक ठोका
खबर लिखते समय भारत के 21 साल के नितीश रेड्डी फिलहाल 176 गेंदों पर 105 रन बनाकर खेल रहे थे। नितीश रेड्डी ने इस दौरान 59.66 के स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी करते हुए 10 चौके और 1 छक्का ठोक कर आस्ट्रलियाई टीम को भारी परेशानी में डाल दिया है। इस पारी के बाद टीम इंडिया के फास्ट बॉलिंग आलराउंडर नितीश रेड्डी की हर जगह चर्चा हो रही है। खास बात यह है कि इसी आॅस्ट्रेलियाई दौरे पर नितीश रेड्डी ने अपना टेस्ट डेब्यू किया है। मेलबर्न की जिस पिच पर भारत के बड़े-बड़े बल्लेबाजों का टिकना बेहद मुश्किल साबित हो रहा था, वहां नितीश रेड्डी ने दिखाया कि बल्लेबाजी कैसे करते हैं। उन्होंने अपनी बल्लेबाजी के दम पर विदेशी सरजमीं पर अपना पहला शतक ठोक दिया। सबसे खास यह है कि यह शतक ऐसे समय पर मारा है जब भारतीय टीम को इस तरह के खेल की सख्त जरूरत थी। चारों ओर उनके खेल की चर्चा हो रहा है।
याद रहेगा नितीश का यह पहला शतक
भारतीय टीम को संकट की घड़ी में मेलबर्न में नितीश रेड्डी ने अपने खेल से बेहतरीन संबल दिया और एक छोर संभाले रखा। उन्होंन अपने प्रदर्शन के बल पर भारतीय पारी को बिखरने नहीं दिया। जिस समय नितीश रेड्डी बल्लेबाजी करने उतरे तो टीम इंडिया का स्कोर 191/6 था। नितीश रेड्डी ने रवींद्र जडेजा के साथ मिलकर सातवें विकेट के लिए 30 रन बनाए और उसके बाद वॉशिंगटन सुंदर ने नितीश रेड्डी का अच्छा साथ दिया। वॉशिंगटन सुंदर और नितीश रेड्डी की जोड़ी ने सातवें विकेट के लिए 127 रन जोड़े। वॉशिंगटन सुंदर 50 रन बनाकर आउट हुए। आॅस्ट्रेलिया के अपने पहले ही दौरे पर नितीश रेड्डी ने टेस्ट शतक जड़कर हर किसी को अपना मुरीद बना लिया है। सोशल मीडिया पर भी नितीश रेड्डी के इस शतक की काफी चर्चा हो रही है। अपने पदार्पण मैच में अपना पहला और टीम के लिए बेशकीमती शतक बनाकर नितीश रेड्डी ने सबका दिल तो जीता ही, यह शतक उन्हें जीवन भर याद रहेगा। यह खबर लिखने तक टीम इंडिया ने पहली पारी में अभी तक 9 विकेट गंवाकर 358 रन बना लिए हैं। इससे पहले आॅस्ट्रेलिया ने अपनी पहली पारी में 474 रन का स्कोर बोर्ड पर लगाया था।