Tension In The South China Sea : दक्षिण चीन सागर में हालात एक बार फिर तनावपूर्ण हो गए हैं। क्षेत्र में प्रभुत्व को लेकर चीन और फिलीपींस के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है, लेकिन हाल ही में यह तनातनी अमेरिका की सैन्य तैनाती के चलते और भी बढ़ गई। अमेरिकी सेना ने फिलीपींस में अपनी नई मध्यम दूरी की मिसाइल प्रणाली टाइफून को तैनात किया था, जिस पर चीन ने कड़ा विरोध जताया। इसी कूटनीतिक दबाव के चलते अमेरिका को अपने प्रस्तावित मिसाइल परीक्षण को रोकना पड़ा।
अमेरिका ने मिसाइल परीक्षण रोका, क्या चीन का बढ़ा दबदबा?
फिलीपींस में चीन से लगती समुद्री सीमा के पास अमेरिका ने टाइफून मिसाइल प्रणाली को तैनात किया था। यह मिसाइल 2,000 किलोमीटर (1,240 मील) तक मार कर सकती है और इसमें टॉमहॉक लैंड-अटैक क्रूज मिसाइलें भी शामिल हैं। इस तैनाती को लेकर चीन ने कड़ा ऐतराज जताया और इसे क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा बताया।
मिसाइल प्रणाली के लाइव-फायर टेस्ट को टाल दिया
हालांकि, चीन के विरोध के बाद अमेरिका ने एक बड़ा कदम उठाते हुए फिलहाल इस मिसाइल प्रणाली के लाइव-फायर टेस्ट को टाल दिया है। अमेरिकी सेना के डिप्टी चीफ आॅफ प्लानिंग एंड टेस्टिंग, जेफरी वानएंटवर्प ने बताया कि फिलहाल हम फिलीपींस में लाइव-फायरिंग की कोई योजना नहीं बना रहे हैं।
अमेरिकी रक्षा सचिव का मनीला दौरा जल्द
अमेरिका की ओर से यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ जल्द ही फिलीपींस के मनीला में शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात करने वाले हैं। माना जा रहा है कि इस बैठक में दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों को लेकर महत्वपूर्ण चर्चा होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका फिलहाल चीन को उकसाने से बचना चाहता है, लेकिन रणनीतिक रूप से वह अपनी पकड़ भी कमजोर नहीं करना चाहता। इसीलिए मिसाइल परीक्षण तो रोका गया है, लेकिन तैनाती को वापस लेने का अभी कोई संकेत नहीं दिया गया है।
चीन की आपत्ति और कड़ी चेतावनी
चीन लंबे समय से दक्षिण चीन सागर के बड़े हिस्से पर अपना दावा करता रहा है। उसने कृत्रिम द्वीप बनाकर सैन्य अड्डे स्थापित किए हैं, जिनका फिलीपींस, वियतनाम और मलेशिया समेत कई देश विरोध कर रहे हैं। चीनी रक्षा मंत्रालय ने अमेरिका की टाइफून मिसाइल तैनाती को आक्रामक कदम करार दिया था और कहा था कि यह क्षेत्र में सैन्य तनाव को बढ़ा सकता है। चीन की सेना ने कहा कि वह अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।
क्या अमेरिका झुका या यह एक नई रणनीति?
अमेरिका की ओर से मिसाइल परीक्षण रोकने का फैसला यह दिखाता है कि वह चीन से सीधे टकराव से बचने की कोशिश कर रहा है। लेकिन क्या यह अमेरिका की कमजोरी है या रणनीतिक चाल? विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका ने फिलहाल एक कूटनीतिक कदम उठाया है ताकि चीन के साथ तनाव को नियंत्रित किया जा सके। लेकिन वह दक्षिण चीन सागर में अपनी सैन्य उपस्थिति बनाए रखेगा और भविष्य में इस मिसाइल सिस्टम का इस्तेमाल कर सकता है।
ट्रंप ने दिया बयान, हम युद्ध नहीं चाहते, लेकिन तैयार हैं!
इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के साथ संभावित युद्ध को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा,
हम चीन के साथ युद्ध नहीं चाहते, लेकिन अगर ऐसी स्थिति बनती है, तो अमेरिका पूरी तरह तैयार है। ट्रंप के इस बयान से यह संकेत मिलता है कि अमेरिका किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार है और अगर चीन कोई आक्रामक कदम उठाता है, तो अमेरिका उसे जवाब देने में पीछे नहीं रहेगा। अब सबकी नजरें 28-29 मार्च को होने वाली अमेरिकी रक्षा सचिव की बैठक पर टिकी हैं। अगर अमेरिका और फिलीपींस इस बैठक में चीन के खिलाफ कोई बड़ा निर्णय लेते हैं, तो दक्षिण चीन सागर में तनाव और बढ़ सकता है। चीन भी फिलहाल शांत बैठने वाला नहीं है। उसने पहले ही संकेत दिए हैं कि अगर अमेरिका ने क्षेत्र में अपनी गतिविधियां बढ़ाईं, तो वह जवाबी कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगा।
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