Trade Balance : चीन ने भारत को यह संकेत दिया है कि वह भारतीय प्रीमियम उत्पादों के आयात के लिए तैयार है, जिससे भारत-चीन व्यापार असंतुलन को कम किया जा सके। इस वक्त ये घाटा लगभग 99.2 अरब डॉलर तक पहुँच चुका है। चीन चाहता है कि भारत भी चीनी कंपनियों को निष्पक्ष, पारदर्शी और भेदभाव रहित माहौल दे। यानी चीन भारतीय प्रोडक्ट्स के लिए अपना बाजार खोलेगा, लेकिन बदले में भारत को भी चीनी निवेश, कंपनियों और विशेषज्ञों के लिए दरवाजे खोलने होंगे।
इसके पीछे चीन की मंशा
व्यापार घाटा संतुलन दिखाना : अंतरराष्ट्रीय दबाव और जी 20 जैसे मंचों पर बैलेंस दिखाने के लिए ये जरूरी है।
सॉफ्ट डिप्लोमेसी : सीमा विवाद के बावजूद चीन रिश्तों में थोड़ी गर्मजोशी दिखाना चाहता है।
भारतीय बाजार की पकड़ : भारत की विशाल बाजार क्षमता को खोना चीन के लिए घाटे का सौदा है।
भारत की चिंताएं क्या हैं?
सीमा विवाद और विश्वास की कमी, इसके साथ चीनी कंपनियों के डेटा सिक्योरिटी को लेकर संदेह का होना। इसके साथ ही ब्रह्मपुत्र प्रोजेक्ट जैसे संवेदनशील मुद्दे भारत की चिंता का मुख्य कारण है। ये यू-टर्न तभी प्रभावी माना जाएगा अगर चीन अपने व्यवहार में वास्तविक पारदर्शिता और विश्वसनीयता दिखाए। भारत के लिए यह एक मौका हो सकता है, लेकिन बहुत सोच-समझकर और शर्तों को कड़ी निगरानी में रखकर।
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