Tulbul Project

Tulbul Project : पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का जवाब अब भारत सिर्फ सीमा पर गोली से नहीं, पानी के प्रवाह से भी देने जा रहा है। पहलगाम हमले के बाद कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर जवाब देने के बाद अब केंद्र सरकार पाकिस्तान को सिंधु जल संधि के तहत मिलने वाले पानी पर लगाम कसने की ओर बढ़ रही है। इस दिशा में बड़ा संकेत है तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट को पुनर्जीवित करने की योजना।

क्या है तुलबुल प्रोजेक्ट, जिससे बौखलाया है पाकिस्तान?

तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट झेलम नदी पर स्थित है, जो जम्मू-कश्मीर के सोपोर के पास वुलर झील के मुहाने पर बनना था। इस परियोजना का उद्देश्य झेलम में न्यूनतम जल प्रवाह बनाए रखना है, जिससे श्रीनगर से बारामूला तक नौवहन को बढ़ावा मिले।
1984 में शुरू हुई यह परियोजना तकनीकी रूप से एक नॉन-कंजम्पटिव यानी गैर-खपत आधारित जल संरचना है, लेकिन पाकिस्तान के भारी विरोध के चलते 1987 में इसे पूरी तरह रोक दिया गया।

भारत को मिलेगा जल अधिकारों का संपूर्ण लाभ

तथ्यों के अनुसार, सिंधु जल संधि भारत को पश्चिमी नदियों के गैर-उपभोगी उपयोग की अनुमति देती है। जैसे नौवहन, बिजली उत्पादन और सीमित जल भंडारण। तुलबुल प्रोजेक्ट इसी दायरे में आता है। इस प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करना भारत को न केवल जलसंचय की अनुमति देगा, बल्कि कश्मीर में आंतरिक व्यापार, पर्यटन, सिंचाई और ऊर्जा उत्पादन में भी बड़ा योगदान देगा।

पाकिस्तान क्यों घबराया हुआ है?

इस परियोजना से भारत को झेलम का बहाव नियंत्रित करने की कुछ हद तक सामर्थ्य मिलेगी। पाकिस्तान को डर है कि वुलर झील में 3 लाख एकड़ फीट पानी का भंडारण होने से झेलम के नीचे प्रवाह को रोका जा सकता है जिससे पंजाब और सिंध जैसे इलाकों में पानी की भारी किल्लत हो सकती है। पाकिस्तान की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था खासकर सिंधु बेसिन पर निर्भर है, और भारत की कोई भी जल-नीति वहां बड़ी आर्थिक अस्थिरता ला सकती है।

पानी अब भारत का रणनीतिक हथियार

पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने पहली बार स्पष्ट रूप से सिंधु जल संधि को पुनर्विचार के दायरे में बताया। यह कोई नई बात नहीं है। 2016 में उरी हमले के बाद भी तत्कालीन प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, रक्त और पानी एक साथ नहीं बह सकते।
अब तुलबुल प्रोजेक्ट को दोबारा शुरू करना इस नीति को धरातल पर लाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

आत्मनिर्भर भारत की जल कूटनीति

तुलबुल प्रोजेक्ट का पुनरुद्धार न केवल कश्मीर को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगा, बल्कि केंद्र की जलमार्ग विकास नीति के तहत लॉजिस्टिक्स और कनेक्टिविटी को भी मजबूत करेगा। इसके साथ-साथ रोड ट्रांसपोर्ट पर निर्भरता घटेगी और कश्मीर की आंतरिक व्यापारिक ताकत में इजाफा होगा।

पानी की धार से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर वार?

विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर भारत धीरे-धीरे पश्चिमी नदियों पर अपनी अधिकृत योजनाओं को गति देता है, तो पाकिस्तान के लिए यह एक वॉटर स्ट्रैंगल जैसी स्थिति बन सकती है। भारत ने लंबे समय तक संयम बरता, लेकिन अब बदलते वैश्विक और सुरक्षा परिदृश्य में पानी को रणनीतिक संसाधन के तौर पर उपयोग करने की दिशा में स्पष्ट संकेत दिए जा रहे हैं। तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट अब सिर्फ एक जल परियोजना नहीं, बल्कि भारत की बदली हुई रणनीति का प्रतीक है। यह भारत की उस नई सोच का हिस्सा है, जिसमें वह हर मोर्चे पर अपनी संप्रभुता, संसाधनों और सुरक्षा को सर्वोपरि मानता है चाहे मैदान हो, सीमा हो या बहते हुए जल की धार।

ट्रेन पकड़ने से पहले जान लें किराया! लंबी दूरी की यात्रा बनी और महंगी

ग्रेटर नोएडा – नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें।

देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें  फेसबुक  पर लाइक करें या  ट्विटर  पर फॉलो करें।