Sunday, 22 June 2025

आतंकवाद पर दोहरी चाल? पाकिस्तान को तालिबान प्रतिबंध समिति की अध्यक्षता, रूस सहित कई देश करेंगे सहयोग

United Nations : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) से एक चौंकाने वाली और विडंबनापूर्ण खबर सामने आई है। जिस पाकिस्तान…

आतंकवाद पर दोहरी चाल? पाकिस्तान को तालिबान प्रतिबंध समिति की अध्यक्षता, रूस सहित कई देश करेंगे सहयोग

United Nations : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) से एक चौंकाने वाली और विडंबनापूर्ण खबर सामने आई है। जिस पाकिस्तान को दुनिया का ‘आतंक का गढ़’ कहा जाता है, अब वही देश 2025 में यूएनएससी की तालिबान प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष बनने जा रहा है। इतना ही नहीं, पाकिस्तान को आतंकवाद-रोधी समिति (काउंटर टेरेरिज्म कमेटी) का उपाध्यक्ष भी बनाया गया है।
इस फैसले ने वैश्विक सुरक्षा तंत्र पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। खासकर तब, जब स्वयं संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंधित सूची में दर्जनों आतंकी संगठन और व्यक्ति पाकिस्तान से जुड़े हैं, और भारत सहित कई देश लंबे समय से पाकिस्तान को आतंकियों की सुरक्षित पनाहगाह बताते रहे हैं।

तालिबान प्रतिबंध समिति : जिसे पाकिस्तान करेगा लीड

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की यह 1988 प्रतिबंध समिति, तालिबान से संबंधित आतंकियों, संगठनों और नेटवर्क पर प्रतिबंध लगाने के लिए जिÞम्मेदार है। इसमें संपत्ति जब्ती, यात्रा प्रतिबंध और हथियारों की आपूर्ति रोकने जैसे कड़े उपाय शामिल होते हैं। अब इस समिति की कमान पाकिस्तान के हाथों में होगी, और रूस व गुयाना इसके सह-अध्यक्ष होंगे। इसका सीधा अर्थ यह हुआ कि आने वाले समय में रूस जैसे शक्तिशाली देश भी पाकिस्तान की अध्यक्षता में तालिबान संबंधी मामलों पर काम करेंगे।

पाकिस्तान को आतंकवाद-रोधी समिति में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी

वहीं दूसरी ओर, संयुक्त राष्ट्र की 1373 आतंकवाद-रोधी समिति की अध्यक्षता अल्जीरिया को दी गई है, लेकिन इस समिति के उपाध्यक्ष के रूप में फ्रांस, रूस और पाकिस्तान की नियुक्ति की गई है। यह समिति वैश्विक आतंकवाद पर निगरानी और कार्रवाई के लिए एक महत्वपूर्ण इकाई मानी जाती है। 2025-26 के लिए पाकिस्तान को यूएनएससी का गैर-स्थायी सदस्य भी चुना गया है। इसके तहत पाकिस्तान दो अनौपचारिक कार्य समूहों की सह-अध्यक्षता भी करेगा, जिनमें एक दस्तावेजीकरण और प्रक्रियात्मक सुधारों पर केंद्रित होगा, जबकि दूसरा सामान्य प्रतिबंधों से संबंधित मामलों को देखेगा।

भारत की कड़ी प्रतिक्रिया और पहले का अनुभव

भारत कई बार संयुक्त राष्ट्र में यह मुद्दा उठा चुका है कि पाकिस्तान उन आतंकियों को संरक्षण देता है जिन्हें खुद संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक खतरा घोषित किया है। उदाहरण के तौर पर, अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान के एबटाबाद में छिपा पाया गया था, जहां 2011 में अमेरिका ने उसे एक सैन्य अभियान में मार गिराया था। गौरतलब है कि भारत ने 2022 में अपने गैर-स्थायी कार्यकाल के दौरान इसी आतंकवाद-रोधी समिति की अध्यक्षता की थी और आतंकवाद के विरुद्ध मजबूत अंतरराष्ट्रीय तंत्र की वकालत की थी।

संयुक्त राष्ट्र में मौजूदा सदस्यता संरचना

सुरक्षा परिषद में 5 स्थायी सदस्य हैं : अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन। पाकिस्तान के साथ-साथ अल्जीरिया, डेनमार्क, ग्रीस, गुयाना, पनामा, दक्षिण कोरिया, सिएरा लियोन, स्लोवेनिया और सोमालिया इस समय अस्थायी सदस्य हैं। क्या आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई अपने ही मानकों से भटक रही है? यह सवाल इसलिए प्रासंगिक हो गया है क्योंकि जिस देश पर स्वयं आतंक के पोषण का आरोप है, अब उसे उसी आतंक पर नियंत्रण की जिम्मेदारी दी जा रही है। यह कदम न केवल सुरक्षा परिषद की विश्वसनीयता को कठघरे में खड़ा करता है, बल्कि वैश्विक नीति में दोहरे मापदंडों की ओर भी इशारा करता है।

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