Washington/New Delhi : भारतीय मूल के एक और होनहार नाम ने अंतरिक्ष की ओर कदम बढ़ा दिया है। नासा के अंतरिक्ष यात्री डॉ. अनिल मेनन वर्ष 2026 में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) के मिशन का हिस्सा बनने जा रहे हैं। उनका चयन न केवल विज्ञान और तकनीक की दुनिया के लिए अहम है, बल्कि यह भारतवंशी समुदाय के लिए भी गर्व का विषय है।
तीन यूनिवर्सिटी, पांच डिग्रियां, ज्ञान और समर्पण की मिसाल
डॉ. अनिल मेनन का प्रोफेशनल सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। वे डॉक्टर हैं, इंजीनियर हैं, साइंटिस्ट हैं और अमेरिकी स्पेस फोर्स में कर्नल भी। उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से न्यूरोबायोलॉजी, स्टैनफोर्ड से मैकेनिकल इंजीनियरिंग, और टेक्सास यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस एवं इमरजेंसी मेडिसिन की पढ़ाई की है। इसके अलावा, वह एक प्रशिक्षित एमबीबीएस डॉक्टर भी हैं। इतनी बहुआयामी शैक्षिक पृष्ठभूमि के साथ अंतरिक्ष में जाना किसी विलक्षण प्रतिभा का ही संकेत है।
2026 में अंतरिक्ष यात्रा की तैयारी पूरी
नासा ने पुष्टि की है कि अनिल मेनन जून 2026 में रूसी अंतरिक्ष यान सोयूज एमएस-29 से अंतरिक्ष की उड़ान भरेंगे। यह उड़ान कजाखस्तान के बैकानूर कोस्मोड्रोम से भरी जाएगी। इस मिशन में उनके साथ प्योत्र डुबरोव और अन्ना किकीना जैसे अनुभवी रूसी अंतरिक्ष यात्री भी होंगे। मिशन की अवधि लगभग 8 महीने होगी, जिसमें ये टीम अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर रहकर वैज्ञानिक अनुसंधान करेगी।
भारतीय जड़ों से जुड़ी अंतरिक्ष में उड़ान
अनिल मेनन का जन्म अमेरिका के मिनियापोलिस (मिनेसोटा) में हुआ था। उनके पिता भारतीय और मां यूक्रेनी मूल की हैं। अंतरिक्ष के प्रति उनका आकर्षण बचपन से रहा है, जिसे उन्होंने चिकित्सा विज्ञान और इंजीनियरिंग के गहन अध्ययन से साधा। उनके पेशेवर सफर की खास बात यह भी है कि वह मशहूर कंपनी स्पेसएक्स के साथ मेडिकल सहयोगी के रूप में भी काम कर चुके हैं। यही नहीं, वह अमेरिकी स्पेस फोर्स में भी मेडिकल अफसर के रूप में सेवाएं दे चुके हैं।
एक और भारतवंशी, एक और प्रेरणा
गौरतलब है कि कुछ ही समय पहले भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भी एक्सिओम मिशन के तहत आईएसएस गए थे। अब अनिल मेनन की यह अंतरिक्ष यात्रा भारतवंशी वैज्ञानिकों की वैश्विक पहचान को और भी मजबूत बनाएगी। अनिल मेनन की कहानी न सिर्फ एक अंतरिक्ष यात्री की है, बल्कि यह उस सपने की मिसाल है, जिसमें सीमाएं मायने नहीं रखतीं। भारत की माटी से जुड़ा यह बेटा अब उस गगन को छूने जा रहा है, जो कभी सिर्फ कल्पना हुआ करता था।
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