यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी, सीमा परिवर्तन अस्वीकार : ट्रंप-पुतिन बैठक के बाद यूरोपीय संघ ने दिया समर्थन

यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी, सीमा परिवर्तन अस्वीकार : ट्रंप-पुतिन बैठक के बाद यूरोपीय संघ ने दिया समर्थन
locationभारत
userचेतना मंच
calendar16 AUG 2025 01:31 PM
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Alaska Meeting : अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बैठक के बाद यूरोपीय संघ (EU) ने स्पष्ट रूप से यूक्रेन का समर्थन जारी रखने का ऐलान किया है। EU नेताओं ने कहा कि यूक्रेन को ठोस सुरक्षा गारंटी मिलनी चाहिए और उसकी अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं में जबरदस्ती बदलाव को स्वीकार नहीं किया जाएगा।

स्थायी शांति स्थापित करने के लिए सभी देश मिलकर काम करेंगे

यूरोपीय संघ की प्रेसिडेंट उसुर्ला वॉन डेर लेयेन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर, जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ और अन्य प्रमुख नेताओं ने संयुक्त बयान में कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने 15 अगस्त को रूसी राष्ट्रपति से हुई अपनी बैठक में विस्तृत जानकारी साझा की। बयान में ट्रंप के प्रयासों का स्वागत करते हुए कहा गया कि यूक्रेन में हिंसा रोकने और न्यायपूर्ण, स्थायी शांति स्थापित करने के लिए सभी देश मिलकर काम करेंगे।

सुरक्षा गारंटी और सीमा अखंडता

बयान में स्पष्ट किया गया कि यूक्रेन को अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए सुरक्षा गारंटी दी जानी चाहिए। अमेरिका और इच्छुक गठबंधन इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। साथ ही, यूक्रेन को अपने सशस्त्र बलों या अन्य देशों के सहयोग पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा और रूस या नाटो के पास यूक्रेन के मार्ग पर वीटो का अधिकार नहीं होगा।

रूस पर दबाव और स्थायी शांति

ईयू ने कहा कि जब तक यूक्रेन में हत्याएं और संघर्ष जारी रहेंगे, रूस पर आर्थिक और अन्य दबाव बनाए रखेंगे। लक्ष्य है कि एक न्यायसंगत और स्थायी शांति स्थापित हो। यूक्रेन को सहयोग का भरोसा देते हुए यूरोपीय नेताओं ने कहा कि उनका उद्देश्य ऐसे शांति प्रयासों को सुनिश्चित करना है, जो यूरोप और यूक्रेन के महत्वपूर्ण सुरक्षा हितों की रक्षा करें।

फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों का बयान

मैक्रों ने कहा कि अलास्का बैठक के बाद यूरोपीय सहयोगियों के साथ समन्वय जारी रखा गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यूक्रेन का समर्थन जारी रहेगा और रूस पर दबाव बनाए रखना जरूरी है। किसी भी स्थायी शांति के लिए अटूट सुरक्षा गारंटी अनिवार्य है। उन्होंने अमेरिका के योगदान और गठबंधन सहयोगियों के साथ ठोस प्रगति के लिए काम करने की तत्परता की सराहना की। ईयू का संदेश साफ है यूक्रेन के पक्ष में एकजुटता, उसकी संप्रभुता और स्थायी शांति के लिए सभी यूरोपीय देश सक्रिय भूमिका निभाएंगे।
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यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी, सीमा परिवर्तन अस्वीकार : ट्रंप-पुतिन बैठक के बाद यूरोपीय संघ ने दिया समर्थन

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Alaska Meeting : अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बैठक के बाद यूरोपीय संघ (EU) ने स्पष्ट रूप से यूक्रेन का समर्थन जारी रखने का ऐलान किया है। EU नेताओं ने कहा कि यूक्रेन को ठोस सुरक्षा गारंटी मिलनी चाहिए और उसकी अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं में जबरदस्ती बदलाव को स्वीकार नहीं किया जाएगा।

स्थायी शांति स्थापित करने के लिए सभी देश मिलकर काम करेंगे

यूरोपीय संघ की प्रेसिडेंट उसुर्ला वॉन डेर लेयेन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर, जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ और अन्य प्रमुख नेताओं ने संयुक्त बयान में कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने 15 अगस्त को रूसी राष्ट्रपति से हुई अपनी बैठक में विस्तृत जानकारी साझा की। बयान में ट्रंप के प्रयासों का स्वागत करते हुए कहा गया कि यूक्रेन में हिंसा रोकने और न्यायपूर्ण, स्थायी शांति स्थापित करने के लिए सभी देश मिलकर काम करेंगे।

सुरक्षा गारंटी और सीमा अखंडता

बयान में स्पष्ट किया गया कि यूक्रेन को अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए सुरक्षा गारंटी दी जानी चाहिए। अमेरिका और इच्छुक गठबंधन इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। साथ ही, यूक्रेन को अपने सशस्त्र बलों या अन्य देशों के सहयोग पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा और रूस या नाटो के पास यूक्रेन के मार्ग पर वीटो का अधिकार नहीं होगा।

रूस पर दबाव और स्थायी शांति

ईयू ने कहा कि जब तक यूक्रेन में हत्याएं और संघर्ष जारी रहेंगे, रूस पर आर्थिक और अन्य दबाव बनाए रखेंगे। लक्ष्य है कि एक न्यायसंगत और स्थायी शांति स्थापित हो। यूक्रेन को सहयोग का भरोसा देते हुए यूरोपीय नेताओं ने कहा कि उनका उद्देश्य ऐसे शांति प्रयासों को सुनिश्चित करना है, जो यूरोप और यूक्रेन के महत्वपूर्ण सुरक्षा हितों की रक्षा करें।

फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों का बयान

मैक्रों ने कहा कि अलास्का बैठक के बाद यूरोपीय सहयोगियों के साथ समन्वय जारी रखा गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यूक्रेन का समर्थन जारी रहेगा और रूस पर दबाव बनाए रखना जरूरी है। किसी भी स्थायी शांति के लिए अटूट सुरक्षा गारंटी अनिवार्य है। उन्होंने अमेरिका के योगदान और गठबंधन सहयोगियों के साथ ठोस प्रगति के लिए काम करने की तत्परता की सराहना की। ईयू का संदेश साफ है यूक्रेन के पक्ष में एकजुटता, उसकी संप्रभुता और स्थायी शांति के लिए सभी यूरोपीय देश सक्रिय भूमिका निभाएंगे।
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रूसी तेल पर भारत को बड़ी राहत! पुतिन से मुलाकात के बाद ट्रंप का यू-टर्न

रूसी तेल पर भारत को बड़ी राहत! पुतिन से मुलाकात के बाद ट्रंप का यू-टर्न
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userचेतना मंच
calendar16 AUG 2025 08:02 AM
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अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बहुचर्चित बैठक भले ही किसी बड़े समझौते के बिना खत्म हुई हो, लेकिन इसके बाद दिया गया ट्रंप का बयान भारत के लिए बड़ी राहत लेकर आया है। रूसी तेल आयात करने वाले देशों पर नए टैरिफ लगाने की अटकलों को खारिज करते हुए ट्रंप ने साफ कर दिया कि फिलहाल इस तरह की कोई योजना नहीं है। ट्रंप की इस घोषणा से भारत को बड़ी राहत मिली है। Alaska Meeting :

ट्रंप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा-

आज की बातचीत के बाद मुझे नहीं लगता कि रूसी आॅयल इंपोर्ट पर किसी नए टैरिफ पर विचार करने की जरूरत है। हां, दो-तीन हफ्ते बाद हालात की समीक्षा जरूर की जाएगी। इस बयान के बाद साफ हो गया कि फिलहाल भारत जैसे देशों को अतिरिक्त टैरिफ से राहत मिलती रहेगी। गौरतलब है कि भारत अपने कुल क्रूड आॅयल इंपोर्ट का लगभग 38 फीसदी हिस्सा रूस से खरीद रहा है।

अमेरिका-रूस मीटिंग का बैकग्राउंड

अलास्का शिखर वार्ता को लेकर उम्मीदें काफी बड़ी थीं। दुनिया भर की निगाहें इस बैठक पर टिकी थीं कि क्या यूक्रेन युद्ध, गैस-आॅयल सप्लाई और वैश्विक सुरक्षा पर कोई ठोस सहमति बन पाएगी। लेकिन तीन घंटे चली बंद कमरे की बातचीत के बाद न तो सीजफायर पर कोई सहमति बनी और न ही बड़े समझौते पर दस्तखत। फिर भी तेल पर टैरिफ को लेकर आया ट्रंप का बयान भारत समेत कई देशों के लिए उम्मीद की किरण लेकर आया।

भारत पर ट्रंप की रणनीति

ट्रंप ने स्वीकार किया कि भारत पर भारी टैरिफ लगाने का ही असर था कि रूस बातचीत के लिए मजबूर हुआ। उन्होंने दावा किया कि जब मैंने भारत से कहा कि हम आप पर अतिरिक्त शुल्क लगाएंगे क्योंकि आप रूस से तेल खरीद रहे हैं, तब भारत ने कुछ खरीद कम की। रूस के लिए भारत दूसरा सबसे बड़ा ग्राहक था। उसे महसूस हुआ कि अब विकल्प सीमित हो रहे हैं और तभी उन्होंने मीटिंग के लिए हामी भरी। इस बयान ने साफ कर दिया कि ट्रंप, भारत को दबाव की रणनीति में एक लीवरेज टूल के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं।

भारत का साफ संदेश, एनर्जी पॉलिसी में बदलाव नहीं

भारत ने हालांकि अमेरिकी दबाव के बावजूद अपनी तेल खरीद नीति में कोई बदलाव करने से इनकार कर दिया है। इंडियन आॅयल कॉपोर्रेशन के चेयरमैन ए.एस. साहनी ने कहा, रूसी तेल पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। खरीदारी पूरी तरह आर्थिक आधार पर होगी। विदेश मंत्रालय ने भी ट्रंप के 25% अतिरिक्त टैरिफ को अनुचित बताया और साफ कर दिया कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए स्वतंत्र नीति अपनाएगा।

बड़ा खतरा, भारत के निर्यात पर असर

ट्रंप ने पिछले सप्ताह भारत से अमेरिकी आयात पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। इसके चलते भारत का लगभग 40 अरब डॉलर का निर्यात खतरे में आ गया है। यह टैरिफ 27 अगस्त से लागू हो चुका है। जानकारों के मुताबिक, अगर आने वाले हफ्तों में अमेरिका टैरिफ की नीति को और कड़ा करता है तो इसका सीधा असर भारत की आईटी, टेक्सटाइल, स्टील और कृषि निर्यात पर भी पड़ सकता है। अलास्का बैठक से दुनिया भले ही किसी बड़े समझौते की उम्मीद कर रही थी, लेकिन इसका सबसे अहम नतीजा यही रहा कि भारत को फिलहाल रूसी तेल आयात पर नई पेनाल्टी से राहत मिली है। हालांकि, ट्रंप का दो-तीन हफ्तों बाद विचार करेंगे, वाला बयान संकेत देता है कि यह राहत अस्थायी हो सकती है। आने वाले समय में भारत को अपनी कूटनीति और ऊर्जा नीति दोनों मोर्चों पर बेहद संतुलित चाल चलनी होगी।