अफगानिस्तान को तालिबान ने इस्मालिक अमीरात बना दिया। अफगानिस्तानी सत्ता संभालने में 5 खुंखार नाम सामने आए है। हमले के दौरान राष्ट्रपति भवन, संसद भवन समेत सभी सरकारी इमारतों पर कब्जा कर लिया गया है। तालिबान के हमले से दुनिया में अफरा-तफरी मच गई। सत्ता की मुख्य जिममेदारी हिब्तुल्लाह अखुंदजादा के हाथों में होगी। इसके साथ मुल्ला अब्दुल गनी बरादर, मुल्ला मोहम्मद याकूब, सिराजुद्दीन हक्कानी और मुल्ला अब्दुल हकीम के हाथों में सत्ता की कमान सौंपी जाएगी। 1996 से 2001 तक सत्ता पक्ष में शामिल रहे है। बता दें कि अखुंदजादा हत्या और चोरी करने वालों के हाथ कटवा दिए थे। इनका जन्म 1961 में अफगानिस्तान के कंधार में हुआ था। इसने तालिबान फाउंडर मुल्ला उमर को चलाया जिसमें 1 लाख से ज्यादा स्टूडेंट पढ़ते थे। 25 मई 2016 को हिब्तुल्लाह अखुंदजादा को तालिबान की कमान सौंपी गई। अब्दुल गनी तालिबान का चीफ है, 2001 में अमेरिकी हमले के दौरान वो रक्षामंत्री रह चुका है। 2010 में अमेरिका ने इसे गिरफ्तार किया था, जिसके बाद 2013 में रिहा हो गया था। 2018 में स्वंय का राजनीतिक दफ्तर खोला था। बरादर का जन्म उरूज्गान प्रांत के देहरावुड जिले के वीटमाक गांव में 1968 में हुआ था। याकूब तालिबान संगठन के संस्थापक थे। तालिबान की रहबरी शूरा ने मोहम्मद याकूब को मिलिट्री विंग का कमांडर नियुक्त किया था। हक्कानी नेटवर्क का एमडी सिराजुद्दीन आगे प्रोपर्टी फाइनेंशियल का काम किया। विगत साल पहले अफगान राष्ट्रपति की हत्या करने की साजिश रची थी। इसने भारतीय दूतावास की हत्या करने का प्रयास किया था। अब्दुल हकीम तालिबान के शासन काल में मुख्य न्यायाधीश रहे है। इसका सबसे करीबी अखुंदजादा था।
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