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ISIS के खिलाफ ऐलान-ए-जंग?

बीते दिन काबुल एयरपोर्ट पर हुए आतंकी हमले में अमेरिका के 13 सैनिकों की मौत हो गई है जबकि 18 से अधिक सैनिक घायल हो गए हैं। इस हादसे के बाद जो बाइडेन ने देश को संबोधित करते हुए आतंकियों को चुनौती दे दी है। उन्होंने कहा कि हमला करने वालों को ढूंढ-ढंढकर मारेंगे, छोड़ेंगे नहीं। मालूम हो, एक तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पहले ही ऐलान किया था कि 31 अगस्त तक वे अपनी सेना को अफगानिस्तान से वापस बुला लेंगे। लेकिन दूसरी तरफ बाइडन का यह बयान अपने आप में बहुत सवाल खड़े कर रहा है। खबरों के मुताबिक, अमेरिका ने अफगानिस्तान छोड़ने का फैसला त्याग दिया है, क्या अमेरिका अब अफगान की धरती को तालिबान के कब्जे से एक बार फिर मुक्त कराएगा। हालांकि अमेरिकियों की ओर से अभी तक कोई बयान जारी नहीं किया गया है। बता दें कि बीते दिन काबुल एयरपोर्ट पर हुए बम विस्फोट को एक आत्मघाती हमलावर ने अंजाम दिया है। बताया जा रहा है कि हमलावर फायरिंग करते हुए आया और उसने खुद को बम से उड़ा लिया। अधिकारियों के मुताबिक एयरपोर्ट के जिस गदे पर यह हादसा हुआ उसका नाम एबी गेट है। वहां पर ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के सैनिक तैनात रहते हैं जिनको निशाना बनाया गया। वहीं, दूसरा आत्मघाती हमला एयरपोर्ट के सामने मौजूद बैरन होटल के बाहर हुआ, जो कि ऐबी गेट से कुछ ही दूरी पर है। इस हमले में करीब 60 से अधिक लोगों की जान गई है जबकि 140 से अधिक लोगों के मरने की आशंका जताई जा रही है। वहीं, इस घटना की जिम्मेदारी आतंकवादी संगठन आईएसआईएस-के ने ली है। माना जा रहा है ये संगठन तालिबान से भी अधिक कट्टरपंथी है। इस हमले की निंदा करते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया है। इस बयान में मंत्रालय ने हमले में मारे गए लोगों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की हैं। साथ ही भारत ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा है कि ये धमाका बताता है कि हमें आतंकवाद और इसे पोषित करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है।

गौरतलब है कि अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने ट्विटर पर काबुल में हुए नरसंहार पर संवेदना जाहिर की है। इसके अलावा उन्होंने लिखा कि तालिबान और हक्कानी नेटवर्क की जड़ आईएस-के जैसा आतंकी संगठन ही है। तालिबान भले ही आईएस से गठजोड़ पर इंकार करता रहे, लेकिन हमारे पास इसके सारे सबूत हैं। तालिबान ठीक वैसे ही आईएसआईएस से संबंध होने का इंकार कर रहा है, जैसे पाकिस्तान क्वेटा शूरा पर करता रहा है।

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