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China Tibet Policy : तिब्बती बच्चों को जबरन हान-चीनी समुदाय में मिलाना खतरनाक

China Tibet Policy

चीन की खतरनाक नीतियों (China Tibet Policy) के द्वारा तिब्बती समुदाय के अस्तित्व को मिटाने के बारे में संयुक्त राष्ट्र (United States ) ने इसे खतरनाक बताते हुए चीन को आगाह किया है। संयुक्त राष्ट्र ने बताया कि चीन में करीब 10 लाख तिब्बती बच्चों को जबरन बोर्डिंग स्कूल में डाला गया और उन्हें बहुसंख्यक हान-चीनी समुदाय के साथ मिलाने की कोशिश की जा रही है जो कि चीन देश की दमनकारी नीतियों (China Tibet Policy) को दर्शाता है।

चीनी नीतियों (China Tibet Policy) के बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ का वक्तव्य

चीन की इन दमनकारी नीतियों के बारे में अपना पक्ष रखते हुए संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञ का कथन है कि, ” हम तिब्बती बच्चों के लिए आवासीय विद्यालय प्रणाली को लेकर चिंतित हैं, जो तिब्बतियों को बहुसंख्यक हान संस्कृति में शामिल करने के उद्देश्य से शुरू किया गया एक कार्यक्रम प्रतीत होता है और यह अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के विपरीत है। ” संयुक्त राष्ट्र का यह भी कहना है कि चीन के द्वारा तिब्बती समुदाय की भाषा, धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान मिटाने वाली इस नीति के कारण करीब 10 लाख तिब्बती बच्चे प्रभावित हुए हैं।

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हान समुदाय से प्रेरित है तिब्बती बच्चों के लिए चुना गया यह परिवेश

संयुक्त राष्ट्र के द्वारा दिए गए इस बयान के अनुसार तिब्बती बच्चों को जिन बोर्डिंग स्कूल में प्रवेश लेने के लिए बाधित किया गया है वहाँ का परिवेश पूरी तरह से हान समुदाय से प्रभावित है। पुस्तकों में शामिल पाठ्यक्रम में भी हान लोगों एवं समुदायों के अनुभव का समावेश ही देखने को मिलता है। तिब्बती बच्चों को उनकी संस्कृति की शिक्षा देने की बजाय मंडारिन चीनी भाषा का ज्ञान दिया जाता है। जिससे अल्पसंख्यकों की भाषा और संस्कृति का लगातार लोप होता जाएगा। चीन की यह नीति ( China Tibet Policy) अल्पसंख्यकों के बिल्कुल खिलाफ है और उनके मानवाधिकारों का दमन करने वाली है।

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