Giza Pyramids

Giza Pyramids : 4,500 साल पुराना गीजा का महान पिरामिड जिसे अब तक गुलामों द्वारा बनाए जाने का दावा किया जाता रहा, दरअसल कुशल और वेतनभोगी श्रमिकों की मेहनत का नतीजा था। यह खुलासा हुआ है एक ताजा पुरातात्विक खोज में। इस ऐतिहासिक खोज ने न केवल सदियों पुरानी मान्यता को चुनौती दी है बल्कि पिरामिड के निर्माण से जुड़े कई अनछुए रहस्यों को भी उजागर कर दिया है।

गुलामी की थ्योरी हुई फेल

मिस्र के प्रसिद्ध पुरातत्वविद डॉ. जाही हवास और उनकी टीम ने इमेजिंग तकनीक की मदद से पिरामिड के भीतर छिपे संकीर्ण कक्षों का अध्ययन किया। इनमें उन्हें ऐसे चिह्न, मूर्तियां और शिलालेख मिले जो बताते हैं कि निर्माण कार्य में शामिल लोग न केवल कुशल थे बल्कि उन्हें बाकायदा वेतन और विश्राम दिया जाता था। अब तक की धारणा थी कि फिरौन खुफू के आदेश पर लगभग एक लाख गुलामों ने पिरामिड को 20 साल तक 3-3 महीने की शिफ्ट में बनाया था। लेकिन पिरामिड के अंदर और उसके दक्षिणी हिस्से में मिली श्रमिकों की कब्रों, औजारों और चित्रों ने इस कहानी को उलट दिया है। डॉ. हवास का कहना है कि यदि निर्माण में गुलाम होते, तो उन्हें कभी भी पिरामिड के निकट कब्र नहीं दी जाती। इन कब्रों में ‘शिल्पकार’, ‘पर्यवेक्षक’ जैसे उपाधियों वाले पत्थर तोड़ते मजदूरों की मूर्तियां भी मिली हैं।

कैसे बना था पिरामिड?

शोधकर्ताओं ने पिरामिड निर्माण की तकनीकी प्रक्रिया का भी खुलासा किया है। इसका निर्माण नजदीक की खदान से लाई गई चूना पत्थर की भारी शिलाओं से हुआ, जिन्हें मिट्टी, पत्थरों और रेत से बनाए गए रैंप सिस्टम के ज़रिए ऊपर तक पहुंचाया गया। इस रैंप के अवशेष टीम ने C2 नामक स्थल से पाए हैं। इस खोज के दौरान शोधकर्ताओं को 45 फीट ऊपर चढ़ना पड़ा और बेहद तंग रास्तों से गुजरना पड़ा। इन कक्षों तक पहुंचना इतना मुश्किल था कि डॉ. हवास ने कहा, “अगर कोई कहे कि यह सब हाल में बनाया गया है तो यह नामुमकिन है।”

वास्तुकला का बेजोड़ नमूना

गीजा का महान पिरामिड आज भी मानव इतिहास की सबसे अद्भुत रचनाओं में गिना जाता है। यह चौथे राजवंश के फिरौन खुफू के शासनकाल में निर्मित हुआ था और यह साबित करता है कि प्राचीन मिस्र की इंजीनियरिंग कितनी उन्नत थी। Giza Pyramids

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