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International News : क्यों है ताइवान का हौवा, आसान भाषा में समझिये चीनी व अमेरिकी तनाव का पूरा कारण

International News : अमेरिका की बादशाहत को चुनौती देने की मंशा लिए ड्रैगन सुपरपावर का तमगा पाने की लालसा में है। वैसे तो चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक ताकत है। बात चाहे सेना की करें, आधुनिक हथियारों की या फिर अतंरिक्ष क्षेत्र की। जिनपिंग का देश चीन हर जगह अपनी मौजूदगी को दिनों-दिन मजबूत करता जा रहा है। लेकिन, दुनिया की दो महिलाओं ताइवान की पहली महिला राष्ट्रपति त्साई इंग वेन और अमेरिकी कांग्रेस की पहली महिला स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने ड्रैगन को बैचेन कर दिया है। चीन लगातार धमकी पर धमकी दे रहा है, लेकिन इन बातों से बेपरवाह अमेरिका और ताइवान की दोस्ती की नई इबारत लिखी जा रही है। खुन्नस में आकर ड्रैगन ने छह जगहों पर सैन्य अभ्यास भी किया। लेकिन इससे कुछ खास असर होता नहीं दिखा। दरअसल, चीन की नजर ताइवान के 786 अरब डालर के उद्योग पर है।

वन चाइना पॉलिसी के तहत चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। जबकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश मानता है। चीन इसलिए ताइवान पर कब्जा करना चाहता है। ऐसा करके चीन पश्चिमी प्रशांत महासागर इलाके में अपना दबदबा दिखाने के लिए आजाद हो जाएगा। इससे गुआम और हवाई जैसे अमेरिकी मिलिट्री बेस के लिए खतरा पैदा हो जाएगा। चीन का लक्ष्य ताइवान को उनकी राजनीतिक मांग के आगे झुकने और चीन के कब्जे को मानने के लिए ताइवान को मजबूर करने का रहा है।

दूसरी ओर अमेरिका भी वन चाइना पॉलिसी को मानता है, लेकिन ताइवान पर चीन का कब्जा नहीं देखना चाहता है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दो महीने पहले कहा था कि हम वन चाइना पॉलिसी पर राजी हुए, हमने उस पर साइन किया, लेकिन यह सोचना गलत है कि ताइवान को बल के प्रयोग से छीना जा सकता है। चीन का ये कदम न केवल गलत होगा, बल्कि यह पूरे क्षेत्र को एक तरह की नई जंग में झोंक देगा।

ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच का विवाद अमेरिकी सदन की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद और गहरा गया है। बौखलाए चीन ने ताइवान के आसपास के समुद्र में पांच दिनों का सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया है। ऐसा कर चीन ताइवान को डराने की कोशिश कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार चीन यह अभ्यास दुनिया के सबसे व्यस्त जलमार्गों में कर रहा है। इसमें रेंज लाइव गोला बारूद की शूटिंग लंबे समय तक हो सकती है। इस बीच, ताइवान ने जवाब में कहा कि उसने पहले ही जेट विमानों तैयार कर लिया है। ताइवान ने यह भी कहा कि उसने जहाजों को इस ड्रिल से बचने के लिए वैकल्पिक मार्ग खोजने के लिए भी कहा है और पड़ोसी जापान और फिलीपींस के साथ बातचीत कर रहा है।

इधर, नैन्सी पेलोसी ने अपनी यात्रा के बाद एक बयान में कहा कि चीन विश्व नेताओं या किसी को भी यात्रा करने से नहीं रोक सकता है। नैन्सी ने कहा कि ताइवान को अपने फलते-फूलते लोकतंत्र का सम्मान करने, उसकी कई सफलताओं को बताने का हक है।
लेकिन, चीन ने पोलोसी की यात्रा से आगबबूला हो गया है। अमेरिका पर लोकतंत्र की आड़ में चीन की संप्रभुता का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने हमला बोला है। वांग ने कहा कि आग से खेलने वालों का अंत अच्छा नहीं होगा और चीन को नाराज करने वालों को दंडित किया जाएगा। चीनी विदेश मंत्रालय ने पेलोसी की यात्रा को गंभीर उकसावे की कार्रवाई करार देते हुए इसका विरोध करने के लिए चीन में अमेरिकी राजदूत निकोलस बर्न्स को भी तलब किया।

इस बीच, पेलोसी की विजिट से बौखलाए चीन ने ताइवान के लिए आर्थिक परेशानियां खड़ी करना शुरू कर दिया है। चीनी सरकार ने ताइवान को नेचुरल सैंड के देने पर रोक लगा दी है। इससे ताइवान को काफी नुकसान हो सकता है। कोरोना महामारी के बाद से कंस्ट्रक्शन और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट ताइवान के लिए इनकम का सोर्स बन गया है। ऐसे में रेत का निर्यात रोकने से ताइवान को आर्थिक नुकसान होगा। एक जुलाई को भी चीन ने ताइवान के 100 से ज्यादा फूड सप्लायर से आयात (इम्पोर्ट) पर प्रतिबंध लगाया था।

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