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ISRO पर प्रतिदिन होते हैं सैकड़ों साइबर अटैक

ISRO News

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ISRO News कोच्चि। विश्‍व के कुछ देश तकनीकी उन्‍नति को अपने बल पर आगे बढ़ा रहे हैं वहीं कुछ देश एक दूसरे को पीछे छोड़ने की अंधी दौड़ में शामिल हो गए हैं। इसी अंधी दौड़ का परिणाम है कि कुछ देश दूसरे देशों के बेहतरीन और डेवलप्‍ड सॉफ्टवेयर की चोरी करने की फि‍राक में रहते हैं। इसी क्रम में इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) के सॉफ्टवेयर पर प्रतिदिन लगभग 100 से ज्यादा साइबर अटैक होते हैं। ISRO चीफ एस सोमनाथ ने शनिवार को केरल के कोच्चि में दो दिवसीय इंटरनेशनल साइबर कॉन्फ्रेंस के दौरान के दौरान यह बात कही।

इसरो चीफ सोमनाथ ने कहा कि रॉकेट तकनीक में साइबर हमलों की संभावना बहुत अधिक होती है, क्योंकि इसमें एडवांस सॉफ्टवेयर और चिप का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि सॉफ्टवेयर और चिप की चोरी करने वालों के पीछे किसी बड़े देश का हाथ होता है लेकिन ISRO ऐसे हमलों से बचने के लिए पूरी तरह सुरक्षित है। हमारा पूरा का पूरा सिस्टम साइबर सुरक्षा नेटवर्क से लैस है। इसमें किसी तरह से सेंध लगाने की गुंजाइश नहीं छोड़ी गई है।

इसरो दुनियां की सबसे कामयाब एजेंसी

यह तो सभी जानते हैं कि दुनियां की सबसे कामयाब एजेंसी है इसरो। 431 विदेशी स्‍पेस मिशन के साथ भारत शामिल हो चुका है जो इसकी बढ़ती मांग और कामयाबी को बताता है। 125 स्‍पेशल स्‍पेस क्राफ्ट मिशन, 94 स्‍पेस मिशन और 15 स्‍टूडेंट सेटेलाइट मिशन के द्वारा इसरो ने दुनियां में अपना डंका बजा रखा है। भारत की तेजी से बढ़ रहे सेटेलाइट और स्‍पेस के क्षेत्र में नित नई कामयाबी से इससे आगे निकलने की चाह में दूसरे देश इसका लेटेस्‍ट साफ्टवेयर आर उसमें प्रयोग होने वाला चिप चोरी करना चाहते हैं। इसलिए साइबर चोरों द्वारा लगातार प्रयास किए जाते रहते हैं।

टेक्नोलॉजी बदल रही है, हमें भी अपडेट होना चाहिए

इसरो प्रमुख ने कहा कि सॉफ्टवेयर के अलावा हमारा संगठन रॉकेट के अंदर हार्डवेयर चिप्स की सुरक्षा पर भी फोकस कर रहा है। इसके लिए भी अलग-अलग प्रकार से टेस्टिंग की जा रही है। उन्‍होंने कहा कि पहले हम एक सैटेलाइट की निगरानी करने के लिए सॉफ्टवेयर तैयार करते थे। अब हम कई सैटेलाइट की निगरानी के लिए काम कर रहे हैं। इससे पता चलता है कि समय के साथ टेक्नोलॉजी कितनी बदल रही है। हमको समय के बदलाव के हिसाब से अपडेट होना होगा। उन्‍होंने कहा कि  आम लोगों के डेली रूटीन में मदद करने वाले कई सैटेलाइट भी मौजूद हैं। इन सभी को विभिन्न प्रकार के सॉफ्टवेयर द्वारा कंट्रोल किया जाता है। इन सभी की सुरक्षा के लिए साइबर सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की ले सकते हैं मदद

साइबर हमलों के बारे में बताते हुए सोमनाथ ने आगे कहा कि एडवांस्ड टेक्नोलॉजी हमारे लिए एक वरदान भी है और खतरा भी। हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी टेक्नीक का इस्तेमाल कर साइबर क्राइम की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए हमें बेहतर रिसर्च और कड़ी मेहनत करनी होगी।

भारत ‘गगनयान’ के क्रू एस्केप सिस्टम की टेस्टिंग करने जा रहा

ISRO भारत के पहले ह्यूमन स्पेस फ्लाइट मिशन ‘गगनयान’ के क्रू एस्केप सिस्टम की टेस्टिंग करने जा रहा है। इसके लिए फ्लाइट टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 भेजने की तैयारी चल रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर के अंत तक टेस्ट फ्लाइट भेजी जा सकती है। क्रू एस्केप सिस्टम का मतलब है कि मिशन के दौरान कोई परेशानी आती है तो रॉकेट में मौजूद एस्ट्रोनॉट पृथ्वी पर सुरक्षित रूप से कैसे पहुंच सकेंगे।

भारत ‘गगनयान’ के तहत दो अंतरिक्ष मिशन भेजेगा

​​​​​​​​​​​​ISRO अपने पहले ह्यूमन स्पेस-फ्लाइट मिशन ‘गगनयान’ के तहत साल के आखिरी में दो आरंभिक अंतरिक्ष मिशन भेजेगा। इसमें एक मिशन पूरी तरह से मानवरहित होगा। दूसरे मिशन में ‘व्योममित्र’ नाम की एक महिला रोबोट भेजी जाएगी। आरंभिक मिशन का मकसद यह सुनिश्चत करना है कि गगनयान रॉकेट जिस मार्ग से जाए उसी मार्ग से सुरक्षित भी लौटे। यानी इसके कामयाब होने के बाद ही 2024 में इंसानों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।

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