Imran Khan : पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के संस्थापक इमरान खान ने एक बार फिर अदालत के जरिए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा उनके खिलाफ दर्ज मानहानि मुकदमे में रणनीतिक मोर्चा खोल दिया है। लंबे समय से जेल में बंद इमरान ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर उस अदालत के अधिकार क्षेत्र को ही चुनौती दी है जो इस संवेदनशील मामले की सुनवाई कर रही है।
याचिका में क्या कहा गया है?
पाकिस्तान के प्रमुख अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, इमरान खान की ओर से दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया गया है कि जब तक यह तय नहीं हो जाता कि इस केस की सुनवाई किस न्यायिक स्तर पर होनी चाहिए, तब तक वर्तमान कार्यवाही पर रोक लगा दी जाए। खान का तर्क है कि पाकिस्तान का कानून स्पष्ट रूप से कहता है कि मानहानि जैसे मामलों की सुनवाई सिर्फ जिला और सत्र न्यायालयों के दायरे में आती है। इमरान खान की ओर से दायर याचिका में सिर्फ अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के अधिकार क्षेत्र पर ही सवाल नहीं उठाए गए, बल्कि लाहौर हाई कोर्ट द्वारा उस निर्णय को वैध ठहराने पर भी गंभीर आपत्ति जताई गई है।
उनकी कानूनी टीम का कहना है कि दोनों आदेश कानून के दायरे से बाहर हैं और इन्हें तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाना चाहिए। साथ ही सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि जब तक इस अपील पर अंतिम निर्णय नहीं हो जाता, तब तक निचली अदालत में किसी भी प्रकार की कार्यवाही पर रोक लगाई जाए।
2017 से चल रहा है विवाद
इस प्रकरण की जड़ें वर्ष 2017 से ही जुड़ी है , जब शहबाज शरीफ ने तत्कालीन विपक्ष के नेता इमरान खान पर मानहानि का मामला दायर किया था। शरीफ का आरोप था कि इमरान ने उनके खिलाफ मीडिया में ऐसी बातें कही थीं जो पूरी तरह बेबुनियाद और दुर्भावनापूर्ण थीं। इन बयानों ने न सिर्फ उनकी सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचाया, बल्कि उन्हें गहरी मानसिक पीड़ा और सामाजिक क्षति भी झेलनी पड़ी। शरीफ की टीम ने अदालत से 10 अरब रुपये के हर्जाने की मांग करते हुए तर्क दिया कि इमरान के आरोपों ने उनकी प्रतिष्ठा को झूठे आरोपों के जरिए गहरा आघात पहुंचाया।
इसके बाद साल 2021 में इमरान खान ने कोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए दावा किया कि जिस जानकारी के आधार पर उन्होंने बयान दिए, वह उन्हें एक ऐसे करीबी मित्र ने दी थी, जिसे कथित रूप से शरीफ परिवार के एक सदस्य द्वारा पनामा पेपर्स मामले को दबाने के लिए प्रस्ताव मिला था। खान का कहना है कि उन्होंने यह बात सिर्फ जनहित में सार्वजनिक की और उनके बयान में कहीं भी शहबाज शरीफ का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया गया।
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