Britain News : ब्रिटेन की ऐतिहासिक और शाही धरोहर का एक महत्वपूर्ण अध्याय अब बंद होने जा रहा है। 156 वर्षों से राजशाही की भव्यता और परंपरा की प्रतीक रही ‘रॉयल ट्रेन’ जल्द ही अपने अंतिम सफर पर निकलेगी। महारानी विक्टोरिया के समय से चली आ रही यह विशेष ट्रेन अब समय और खर्च की कसौटी पर खरी नहीं उतर रही। बकिंघम पैलेस ने पुष्टि की है कि महाराज चार्ल्स तृतीय ने इसके संचालन को समाप्त करने की सहमति दे दी है। रखरखाव की ऊंची लागत और बदलती जरूरतों को देखते हुए यह ट्रेन 2027 से पहले स्थायी रूप से सेवा से बाहर कर दी जाएगी।
इतिहास के पन्नों में दर्ज होगी ‘रॉयल ट्रेन’
‘रॉयल ट्रेन’ की शुरुआत 1869 में महारानी विक्टोरिया ने की थी। यह ट्रेन सिर्फ यात्रा का साधन नहीं थी, बल्कि ब्रिटिश राजसत्ता की भव्यता, परंपरा और विशेषाधिकार का प्रतीक भी रही है। समय के साथ इसमें तकनीकी और सुविधाजनक बदलाव हुए, लेकिन इसकी शाही पहचान और गरिमा हमेशा बरकरार रही।
क्यों लिया गया यह फैसला?
पैलेस के वित्त प्रबंधन प्रमुख जेम्स चाल्मर्स ने बयान में कहा, हमें भविष्य की ओर देखते हुए अतीत से बंधे नहीं रहना चाहिए। जिस प्रकार शाही परिवार के अन्य कार्य आधुनिक हो चुके हैं, अब समय आ गया है कि इस परंपरा को गरिमापूर्ण विदाई दी जाए। बताया गया है कि 2027 में इस ट्रेन के रखरखाव का अनुबंध समाप्त हो रहा है, और उसी से पहले इसे सेवा से बाहर कर दिया जाएगा।
एक चलता-फिरता महल
यह ट्रेन आम ट्रेनों से अलग एक चलता-फिरता महल मानी जाती रही है। इसके प्रत्येक कोच में शाही सदस्यों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए विशिष्ट सुविधाएं दी गई थीं — जैसे कि राजसी साज-सज्जा, शाही भोजन हेतु रसोईघर, व्यक्तिगत शयनकक्ष और उच्च स्तर की गोपनीयता व सुरक्षा व्यवस्था।
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डिब्बों की संख्या: आमतौर पर इसमें 9 से 11 डिब्बे होते हैं, जिनमें हर डिब्बा किसी शाही सदस्य या उद्देश्य के लिए आरक्षित होता है।
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डिज़ाइन: लकड़ी की कलात्मक कारीगरी, शाही कालीन, बैज और प्रतीकों से सजे डिब्बे किसी राजमहल से कम नहीं लगते।
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सुरक्षा: इस ट्रेन की आवाजाही अत्यंत गोपनीय रखी जाती थी, और सुरक्षा के कड़े इंतजाम होते थे।
कहां-कहां चलती थी यह ट्रेन?
यह ट्रेन पूरे यूनाइटेड किंगडम — इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड — में चल सकती थी। इसका उपयोग आमतौर पर शाही विवाह, उद्घाटन, राष्ट्र भ्रमण और विशेष आयोजनों के लिए ही किया जाता था। हालांकि यह ट्रेन शाही परंपरा की अहम कड़ी रही, लेकिन वर्षों से इस पर भारी खर्च को लेकर आलोचना भी होती रही है। बताया जाता है कि इसके रखरखाव और संचालन पर हर साल करोड़ों पाउंड खर्च होते थे। टैक्सपेयर्स के पैसे से चलने वाली इस ट्रेन की उपयोगिता को लेकर अक्सर बहस उठती रही। Britain News
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